सोमवार, 2 नवंबर 2015

१०८ / ३०/४/१५

यक्ष -
सरकार के क्या काम है ?
युधिष्ठिर -
सरकार के मुख्यतः चार काम है , जो निम्न है ..
१. यह बताना है कि किसान , न राम भरोसे रहे , न सरकार भरोसे |
२. आत्महत्या करने वाले को कायर और अपराधी करार देना |
३.घोषणा द्वारा स्पष्ट करना कि ऐसे अपराधियों की सरकार कोई मदद नही करेगी |
४. संसद की कैंटीन में किसान द्वारा उपजाए अन्न ग्रहण के बाद ' अन्नदाता सुखी भव ' का दस्तावेजीकरण करना ..ताकि सनद रहे |
क्योंकि होता यह है कि , मुंह से दिए गये बयान ऑटोमेटिकली खुद को तोड़ मरोड़ लेते है और मुंह से बाहर आते ही खुद सन्दर्भ से भी बाहर हो जाते है  |  बाद में बार बार बताने पर भी लोग मानते नही ... देर हो जाती है|

१०७ / ३०/४/१५

यक्ष -
क्या आत्महत्या करने वाले पे अपने बीवी बच्चों की जिम्मेवारी नही थी ?
युधिष्ठिर -
जी केवल और केवल उसी की थी .....न किसी पालनहार, न किसी तारनहार और न ही किसी सरकार की थी |

१०६ / ३०/४/१५

यक्ष -
क्या किसान की आत्म हत्या पलायन है
युधिष्ठिर -
जी हा , यह पलायन है | ऐसा पलायन , जो ईश्वरीय प्रकोप और सरकारी नीतियों की मार के डर से किया जाता है |

१०५/३०/४/१५

यक्ष - क्या आत्महत्या अपराध है ?
युधिष्ठिर - जी हाँ , यह एक विशेष किस्म का अपराध है जो न किसी लोभ से प्रेरित होता है और न ही किसी लाभ के लिए किया जाता है | यह अपराध किसी को कोई कष्ट भी नही पहुंचाता है |

१०४ / ३०/४/१५

यक्ष -
क्या आत्म हत्या कायरता है ?
युधिष्ठिर -
 जी ! आत्महत्या कायरता है परन्तु यह एक विशेष किस्म की कायरता है जिसमे कायर मौत से भी नहीं डरता |

१०३ / २९/४/१५

यक्ष -
यदि आत्महत्या अपराध है तो हत्या क्या है ?
युधिष्ठिर -
हत्या , आत्म हत्या जैसा अपराध रोकने की सामाजिक , आर्थिक , राजनीतिक न्याय व्यवस्था है  .....

१०२/ २९ /४/१५

यक्ष -
नेतागण आपदा का वास्तविक जायजा लेने के लिए हवाई उड़ान क्यों प्रिफर करते है ?
युधिष्ठिर -
इसका ठीक ठीक कारण अब तक अज्ञात है क्योंकि इतनी ऊंचाई से सिर्फ दो आँखों के भरोसे किसी आपदा का वास्तविक जायजा लेना लगभग असम्भव है |
फिर भी , पहला कारण यह हो सकता है कि आसमांन वाला होने मात्र से कुछ ईश्वरीय गुण आ जाते हों या फिर इससे उनके भीतर इश्वरत्व प्राप्त करने की दमित इक्षा तुष्ट होती हो |
दूसरा वैज्ञानिक कारण यह कि , पक्षी विज्ञान के अनुसंधानों के मुताबिक़ चीलों और गिद्धों की प्रजाति में यह गुण प्राकृतिक तौर से होता है | यह अनुसंधान सनातन धर्म में प्रतिपादित जन्म - जन्मान्तर के सिद्धांतों से और भी पुष्ट होता है | इस सिद्धांत के अनुसार पूर्व जन्म के कई गुण अगले जन्म में अंतरित हो जाते है | धर्म ग्रंथो में यह परिभाषा जन्मान्तर शीर्षक में वर्णित है |

१०१ /२८/४/१५

यक्ष - '' आप '' का भविष्य कैसा है ?
युधिष्ठिर -
आप का भविष्य बहुत उज्जवल और उर्ध्वमुखी है खास तौर से ताज़ा छंटनी के बाद | पहले उनके यहाँ प्रशांत भूषण जैसे लोग हुआ करते थे जिन्हें पार्टी में किसी मकाम तक पहुँचने के लिए सालों साल क़ानून की शिक्षा , उसका अभ्यास और जनहित में उपयोग किया जाना लगभग पूर्वशर्त थी |आज यह मकाम , यहाँ तक कि मंत्रिपद भी इस पार्टी में बिना पढे लिखे , फर्जी डिग्री के सहारे हासिल हो सकता है | इतने कम समय इतना योग्य हो जाने की टेक्नोलजी एक चमत्कारिक उपलब्धि है | इसके बाद दिल्ली वासियों के भीतर इस पार्टी के उज्ज्वल भविष्य को प्रति आस्था और बढ़ गई है |

१०० / २८/४/१५

यक्ष - 
सबकी पीड़ा एक है तो राष्ट्रीयताएँ अलग अलग क्यों है ?
युधिष्ठिर -
क्योंकि राष्ट्रीयताएँ सिर्फ हितों और संसाधनों का बंटवारा रोकने की व्यवस्थाएं है .....

९९ / २८/४/१५

यक्ष - आपदाएं , किस वर्ग का असली चेहरा उजागर करती है ?
युधिष्ठिर - व्यापारी वर्ग का......

९८/ २७/४/१५

यक्ष -
विडम्बना किसे कहते है ?
युधिष्ठिर -
जब ढांचे , इश्वर का महात्म्य तय करने लगे तो उसे विडम्बना कहते है .......उदाहरण के लिए आपदा के उपरान्त भगवान केदारनाथ  और पशुपति नाथ के महात्म्य वर्णन पर्याप्त हैं ,

९७ / २६ /४/१५

यक्ष -
लोग कह रहे हैं की चाँद उल्टा दिख रहा है , क्या लोग पागल हो गए हैं | पागल होने का सिम्पटम क्या है और यह लक्षण प्रकट होते ही क्या करना चाहिये
युधिष्ठिर-
लोग अपने हिसाब से ठीक कह रहे हैं , पगलाने का पहला सिम्पटम है चाँद उल्टा दिखना .......जिन्हें ऐसा दिख रहा है उन्हें फौरन पागलखाने मे भर्ती करना चाहिये ........ये भूकम्प , सुनामी आदि आपदाओं के स्वयम्भू भविष्य वक्ता और अफवाह फैलाने में माहिर होते है , ऐसे लोगो को जंजीर में जकड कर रखें ये कहीं जाने न पायें .....क्योंकि ये दुनिया के सबसे जीनियस लोग है ......जो कोई न कर पाया ये कूढ़मगज कर रह होते हैं .....और अफवाहें जहाँ सुनायी दिखाई पड़े ..वहीं गाड़ दें .....इतना प्रिकाशन फौरन लेना चाहिये

९६ / २६/४/१५

यक्ष -
तमाम आपदा और विपत्ति के बीच भी क्या शाश्वत और निरंतर है ?
युधिष्ठिर - विज्ञापन ......

९५ /२५ / ४ / १५

यक्ष -
पहला प्रस्ताव तो तुम बता चुके हो लेकिन गजेन्द्र की आत्महत्या के बाद बदली हुई परिस्थितियों में दिल्ली विधान सभा में अरविन्द केजरीवाल दूसरा कौन सा प्रस्ताव पास करवाएंगे ?
युधिष्ठिर -
जंतर मंतर के आस पास के सारे पेड़ों को कटवाने का | न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी ..

९४/ २५ /४/१५

यक्ष -
जंतर मंतर क्या है ?
युधिष्ठिर -
जंतर-मंतर एक सिद्धपीठ है जहाँ जंतर और मंतर दोनों के स्न्श्लेष्ण से अद्भुत रसायन तैयार किया जाता है | इस पीठ पर मत्था टेकने के पश्चात इस रसायन का पान करने से समस्त आर्यवर्त में प्रसिद्धि प्राप्त होती है |

९३/ २५ /४/१५

यक्ष -
T.R.P क्या है
युधिष्ठिर -
T.R.P , एक खास प्रजाति के कौवे को अंगेजी में T.R.P कहते है |.
यह वही कुख्यात और शातिर कौव्वा है , जो व्यक्ति के मन में यह विश्वास पैदा कर देता है , कि वह उसका कान ले उड़ा है और इस कुटिल काक कला से सम्मोहित हो वह , बजाय अपना कान चेक करने के , उस कौव्वे के पीछे भागने लगता है ......

९२ / २४/४/१५

यक्ष -
मध्य वर्गीय बुद्धि वैभव का बुद्धि वंचना में उत्परिवर्तन कैसे होता है ?
युधिष्ठिर-
आपकी प्रश्न कला के आतंक से आक्रान्त हुए बिना , मैं इसे मध्यवर्गीय भोलापन मात्र कहूँगा , क्षमा करें ... यह वास्तव में , उन राजनीतिक वक्तव्यों की रौ में बह जाने की क्रिया है , जिन वक्तव्यों के जरिये यह शिक्षा दी जाती है कि अलां फलां मुद्दों पर कोई राजनीति नही होनी चाहिये |जब कि यह वास्तविक राजनीतिक मुद्दे होते है जिन्हें वर्तमान राजनीति परिदृश्य से विस्थापित कर देना चाहती है |यह मुद्दे विशुद्ध राजनीतिक विमर्श और समाधान मांगते है |

९१ / २४/४/१५

यक्ष - किस प्रकार का पश्चाताप खतरनाक होता है ?
युधिष्ठिर - क्षणिक पश्चताप घडियाली आंसुओं खतरनाक होता है क्योंकि धीरे धीरे यह आवेग कम होने लगता है और अंततः आपको इससे इम्यून कर देता है | इसी क्रम में आपको इसका अभ्यास हो जाता है और आप सस्ती लोकप्रियता पाने के लिए इस फूहड़ प्रहसन को बार बार दुहराने में सिद्धहस्त हो जाते हैं ......'' आशुतोष '' और आशुपश्चाताप दोनों से सतर्क रहना चाहिये

९० / २४/४/१५

यक्ष -
सबसे ज्यादा टी आर पी किसे मिलती है ?
युधिष्ठिर-
घडियाल को ......वो भी सिर्फ तब , जब वह रोता है |

८९ / २४ /४/ १५

यक्ष -
मेक इन इण्डिया के तहत कौन सी कम्पनी सबसे पहले अपना उद्योग लगाएगी ?
युधिष्ठिर-
फांसी का फंदा बनाने वाली ....इतना सम्भावना शील सेक्टर और अभी तक यह कुटीर उद्योग के हवाले ही है , जब कि देश में उच्च गुणवत्ता वाले फंदों की बेहद मांग है ....

८८ / २३ /४/१५

यक्ष - आधुनिक कर्ण किसे कहा जा सकता है ?
युधिष्ठिर -
अनिल अम्बानी ........
आधुनिक दुर्योधन से अपनी मित्रता के लिए यह आज भी बड़े से बड़ा त्याग कर सकता है |यहाँ तक की अपनी रसोई गैस सब्सिडी भी त्याग सकता है......

८७ /२१ /४/१५

यक्ष -
आज परशुराम जयंती है | क्या तुम भी परशुराम को पूज्य मानते हो , यदि हाँ तो क्यों ?
युधिष्ठिर -
जी मानता हूँ .......परशुराम मेरे पूज्य इसलिए हैं क्योंकि ..
.
१.
गुस्सा उनकी नाक पर निवास करता था | वह हर छोटी बड़ी चीज़ को नाक का सवाल बना लेते थे | इस स्वार्थी जगत में कितने लोग नाक के सवाल को इतना महत्व देते है |

२.
उन्होंने धरती को इक्कीस बार क्षत्रिय विहीन कर हमारा बहुत भला किया वरना कौरवों की सेना कितनी बड़ी होती कल्पना करना मुश्किल है |
३.
उन्होंने पिता के कहने पर अपनी माता का गला काटा था | आजकल कौन बेटा अपने बाप का कहा मानता है |
४.
हस्तिनापुर हस्तगत करने में उनके योगदान को हम पांडव कैसे भूल सकते है | उन्होंने ही कर्ण को शाप दिया था कि जब उसे ब्रह्मास्त्र की सबसे ज्यादा जरूरत होगी वह उसे भूल जाएगा ....यदि यह न होता तो ...
पांचवां और अंतिम तो नितांत निजी अभिरुचि के कारण .....वो यह कि उन्हें भी मेरी तरह कोंहड़ा बहुत पसंद था | जैसे ही उन्हें पता चला कि जनक की सभा में कोई कुम्हड़े की बतिया तक नही है उनका गुस्सा देखते ही बनता था .....परशुराम लक्ष्मण सम्वाद की यह अंतर कथा है , जो सिर्फ मुझे मालूम है .....

८६ / २१/४/१५

यक्ष - भक्ति क्या है ?
युधिष्ठिर - भक्ति , गरीबी की तरह ही एक मानसिक अवस्था है जिसमे भगवान के कह देने मात्र से ३०० का माल , १०० रु का हो जाता है | भक्ति , भगवान की सबसे बड़ी नेमत है ...यह दुःख में सुखी होने , पीटे जाने पर स्नेहिल स्पर्श का , गरियाए जाने पर प्रवचन का आस्वाद कराती है ......

८५ / २०/४/१५

यक्ष - अच्छे दिन के नारे के उत्पत्ति कैसे हुई ?
युधिष्ठिर - कलियुग की २१ वीं सदी के दूसरे दशक में हस्तिनापुर में भीषण सत्तासंघर्ष हुआ | नए उम्मीदवार को सफलता हेतु कई चीज़ों की दरकार थी लेकिन उसका खजाना बिलकुल खाली था , इसके पास न ही कोई ऐसा आदर्श पुरुष था जो जनता में कोई आस्था पैदा करता न नारे , न उद्धरण ....सो उसने देश और दुनिया भर की विरासतों में सेंध मारी शुरू की .....सरदार पटेल की प्रतिमा , नेहरू के उद्धरण , भगत सिंह के पगड़ी और भी न जाने क्या क्या .....
सूची काफी लम्बी अतः इस नारे के बारे में कुछ भी कहने के बजाय बस् एक कविता सुनाता हूँ .....
आ रहे हैं अच्छे दिन
-----------------------
सब कुछ बदलता है
कानून का पहिया बदल जाता है
बिना थमे |
बारिश के बाद बढिया मौसम
पलक झपकते ही
संसार उतार देता है
अपने मैले कपड़े
दस हजार मीलों तक
फैला है भूदृश्य
बेल बूटों से सुसज्जित
मुलायम धूप
मंद हवाएं , मुस्कुराते फूल |
ऊंचे ऊंचे पेड़ों से झरती पत्तियों
एक साथ चहक उठे सारे पंछी |
मनुष्य और पशु जाग उठे नवजीवन लेकर |
इस से बढ़ कर क्या हो सकता है प्राकृतिक ?
दुःख के बाद आती है खुशी |
खुशी , किसी के लिए जेल से रिहाई जैसी |
----- हो ची मिन्ह

८४ / १९/४/१५

यक्ष -
इतवार क्यों आता है ??
युधिष्ठिर -
इतवार , समाज में अपनी गढी गई छवि से बेहद क्षुब्ध था , गेरेगेरियन कैलेंडर की इजाद के बाद न जाने वह कौन सा मनहूस मरहला था कि, जब लोग यह मानने लगे के इतवार लोगों के भीतर निट्ठल्लेपन और आरामतलबी का भाव जगाता है | यही चेक करने इतवार खुद हर संडे आने लगा .....बिलकुल रियल टाइम चेकिंग ......इसके नतीजे चमत्कारिक रूप से उसकी गढ़ी गयी छवि से बिल्कुल इतर परिणाम देने वाले साबित हुए .......उसने खुद देखा कि दुनिया तो वास्तव में मुझ इतवार के भरोसे ही चल रही है .......बाकी दिन उसने लोगों को तमाम अलहदा कामों में जुटा पाया ......
बस् एक इतवार के आने से लोगों में अपने आप को वैल्यू करने का सेन्स डेवलप होने लगा है ........लोग घर परिवार के तमाम पेंडिंग काम निपटाने लगे और एक सामाजिक प्राणी के तौर पर अपने कर्तव्यों के प्रति सचेत होने और अन्य समाजोपयोगी कामों में भी ध्यान देने लगे है ........वास्तविक छवि और गढी हुई छवि के फर्क को खुद टेस्ट करने के बाद अब इतवार बहुत खुश है , वह तो अब रोज़ आना चाहता है , लोग भी उसका स्वागत करने के लिए तैयार हैं परन्तु इतवार की लोकप्रियता से घबरा कर सारे ग्रह एक जुट हो उसके रास्ते की बाधा बने हुए है , जैसे ही इतवार घर से निकलता है सबसे पहले सोम नामक छोटा सा परन्तु अत्यंत प्रभावी उपग्रह उसका रास्ता रोक लेता है , उसे परास्त करते ही लाल पीले तेवर वाला मंगल .....ऐसे ही अंत में शनि महराज स्वयम ........परन्तु इतवार इन सारी बाधाओं को पार करते , सबसे लड़ते भिड़ते हमारे जीवन में प्रवेश करता है , इसलिए हमारे मन में , इतवार के इस कल्याणकारी रूप के सामने सहज ही नत होने का भाव जाग उठता है ......
ईतवार का आना समाज के व्यापक हित में कितना जरूरी है ......अब यह सबकी समझ में आने लगा है ..........इतवार का छवि भंजन अब हर संडे समारोहपूर्वक मनाया जाना प्रारम्भ हो चुका है | इसका सबसे बड़ा प्रमाण है कि मनुष्य अपने जीवन का हर महत्वपूर्ण काम इतवार के आने तक मुल्तवी रखता है ..... इतवार का आना एक मुहावरा सा बनता जा रहा है ........जैसे इतवार आने दीजिए , आपका काम कर देंगे पक्का .......

८३/१९/४/१५

यक्ष -
इतवार क्यों आता है ??
युधिष्ठिर -
इतवार , समाज में अपनी गढी गई छवि से बेहद क्षुब्ध था , गेरेगेरियन कैलेंडर की इजाद के बाद न जाने वह कौन सा मनहूस मरहला था कि, जब लोग यह मानने लगे के इतवार लोगों के भीतर निट्ठल्लेपन और आरामतलबी का भाव जगाता है | यही चेक करने इतवार खुद हर संडे आने लगा .....बिलकुल रियल टाइम चेकिंग ......इसके नतीजे चमत्कारिक रूप से उसकी गढ़ी गयी छवि से बिल्कुल इतर परिणाम देने वाले साबित हुए .......उसने खुद देखा कि दुनिया तो वास्तव में मुझ इतवार के भरोसे ही चल रही है .......बाकी दिन उसने लोगों को तमाम अलहदा कामों में जुटा पाया ......
बस् एक इतवार के आने से लोगों में अपने आप को वैल्यू करने का सेन्स डेवलप होने लगा है ........लोग घर परिवार के तमाम पेंडिंग काम निपटाने लगे और एक सामाजिक प्राणी के तौर पर अपने कर्तव्यों के प्रति सचेत होने और अन्य समाजोपयोगी कामों में भी ध्यान देने लगे है ........वास्तविक छवि और गढी हुई छवि के फर्क को खुद टेस्ट करने के बाद अब इतवार बहुत खुश है , वह तो अब रोज़ आना चाहता है , लोग भी उसका स्वागत करने के लिए तैयार हैं परन्तु इतवार की लोकप्रियता से घबरा कर सारे ग्रह एक जुट हो उसके रास्ते की बाधा बने हुए है , जैसे ही इतवार घर से निकलता है सबसे पहले सोम नामक छोटा सा परन्तु अत्यंत प्रभावी उपग्रह उसका रास्ता रोक लेता है , उसे परास्त करते ही लाल पीले तेवर वाला मंगल .....ऐसे ही अंत में शनि महराज स्वयम ........परन्तु इतवार इन सारी बाधाओं को पार करते , सबसे लड़ते भिड़ते हमारे जीवन में प्रवेश करता है , इसलिए हमारे मन में , इतवार के इस कल्याणकारी रूप के सामने सहज ही नत होने का भाव जाग उठता है ......
ईतवार का आना समाज के व्यापक हित में कितना जरूरी है ......अब यह सबकी समझ में आने लगा है ..........इतवार का छवि भंजन अब हर संडे समारोहपूर्वक मनाया जाना प्रारम्भ हो चुका है | इसका सबसे बड़ा प्रमाण है कि मनुष्य अपने जीवन का हर महत्वपूर्ण काम इतवार के आने तक मुल्तवी रखता है ..... इतवार का आना एक मुहावरा सा बनता जा रहा है ........जैसे इतवार आने दीजिए , आपका काम कर देंगे पक्का .......

८२ / १९ /४/१५

यक्ष -
पाण्डु लिपि किसे कहते है ...क्या इसका तुम्हारे पिता से कोई सम्बन्ध है |
युधिष्ठिर -
जी हाँ .....पाण्डु लिपि , वह लिखित क्रिया है जिसके जरिये व्यक्ति अपना क्लेम दाखिल करता है जिसमे , अधिकाँश क्लेम स्वीकृत नहीं होते ...
इसका सर्वोत्तम उदाहरण हम पांडव स्वयम है .....हम पांडव , मूल पांडु-लिपि है जिसे हस्तिनापुर के प्रभु प्रकाशकों ने अस्वीकृत कर दिया है | हम प्रभु प्रकाशकों द्वारा निर्देशित संशोधन के दौर से गुज़र रहे है फिर भी , कत्तई आश्वस्त नही है | दुनिया की प्रथम ज्ञात पांडुलिपि , के अस्वीकृत होने के अपशकुन के कारण , कालान्तर में , पांडुलिपियों का प्रारब्ध अस्वीकार में परिणत हो गया |

८१ / १८/ ४/१५

यक्ष - भारतीय समाज किस व्याधि / विकार से सर्वाधिक पीड़ित है ?
युधिष्ठिर - शीघ्र-पतन से ....

८० / १८/४/१५

यक्ष -
आर्यावर्त में अच्छे दिन कब तक आयेंगे या इसमें अभी कोई संदेह है ..
युधिष्ठिर -
जिस प्रकार से घटनाएँ घट रही है उसे देखते हुए अच्छे दिन के बजाय मुझे तो दूसरे महाभारत के आसार दिख रहे हैं ...
यक्ष -
अपने कथन को उदाहरण सहित स्पष्ट करो ....
युधिष्ठिर -
इस वैज्ञानिक युग में , जब कि , पृथ्वी के कोने कोने का सर्विलांस आसानी से संभव है , जिसके लिए , मीडिया से लेकर पक्ष प्रतिपक्ष सबका खोजी अभियान जारी हो ... इतनी विकट चुनौती के बीच अज्ञातवास सफलता पूर्वक सम्पन्न कर लेना , निश्चित ही उनके पक्ष को अब और मजबूत करता है | इसके बाद भी हस्तिनापुर पर उनका क्लेम यदि प्रापरली सेटिल नहीं हुआ तो दूसरे महाभारत के अलावा क्या विकल्प है .......
उधर , दूसरे पक्ष का रुख भी तो देखें .....उनके इरादे कहीं से सेटलमेंट के पक्ष में नहीं दीखते | इसी अज्ञातवास के बीच ही उनके दलपति घूम घूम कर , यूरेनियम सहित तमाम लडाकू विमान महंगे दामों में इकठ्ठा करने मे जुट गए है | और तो और , अज्ञातवास के सफल होने की सूचना मिलते ही मानो किसी अज्ञात भय की आशंका में फौरन हस्तिनापुर लौट आये है ..............
युद्ध में जीत किसी की हो , जनता के लिए तो हर युद्ध हमेशा बुरे दिन ही लाता है ..

७९ / १६/४/१५

यक्ष -
पुनः इकठ्ठा हुए जनता दलों और '' आप '' में क्या चीज़ कामन होने की सम्भावना है ....
युधिष्ठिर - आप बीती.....

७८ / १६/४/१५

यक्ष -
पूर्व के प्रधानों और वर्तमान प्रधान के विदेशी दौरों में क्या बुनियादी अंतर है ?

युधिष्ठिर -
पूर्व के परधान और आज के परधान की यात्राओं में अनेकों ऐसे अंतर हैं जिन्हें बुनियादी माना जा सकता है | जैसे पहले जब परधान जाते थे तो अपना सतुआ पिसान बाँध के जाते थे , वहाँ उनका स्वागत करना तो दूर ..पहुँचते ही खुद ही सवारी ढूँढना पड़ता था ...किस्मत अच्छी होती तो ऑटो वगैरह मिल जाता वरना पैदले रास्ता नापना पड़ता | कोई अपना हित नात बुला लेता तो भोजन भजन का इंतजाम हो जाता नहीं तो कहीं रोड के किनारे लिट्टी चोखा खुद ही लगा के खाना पड़ता | न टी वी , न अखबार अ रेडियो किसी पर ढंग से एक समाचार होता .....पौने नौ की न्यूज़ अगर छुट गई तो पाता भी चलता कि वहाँ कोई समझौता ओम्झौता भी हुआ हवाया है | वैसे भी वो किसी काम लायक तो होते नहीं थे ..देश तो भगवान भरोसे चलता था ....पहले वाले परधान लोग थोडा क्रैक भी थे ,जहाँ जाते, गुट निरपेक्षता का राग अलापते उन्हें इतना भी नही पता होता था कि धूप में चप्पल चटकाने का समय बीत चुका बल्कि चप्पल सर माथे लगाने से ही राम राज्य आना है लेकिन कौन समझाएं ......आज के परधान डायरेक्ट गुटबाजी का गीत गाते है , बेसुरे न हो जाएँ इसलिए सुखविंदर जैसे प्रोफेशनल्स उनकी तरफ से ये काम करते है | सारे जहाँ को जब तक चिल्ला चिल्ला के न बताया जाए कि हम हैं इण्डिया वाले तब तक पता कैसे चलता कि इण्डिया से कोई आया है ......यहीं पुराने परधान माट खा जाते थे | आज जब नेतागिरी एक बदनाम पेशा हो गया है तब नए वाले ने इसे भांप लिया फौरन रॉक स्टार की इमेज बना ली | पूरी मीडिया इन्हें रॉक स्टार बुलाती है और जगह जगह पूरा रॉक शो आयोजित होता है तो थोडा भीड़ हो जाती है | प्रधान जी को तो थोडा एक्टिंग वैक्टिंग करनी होती है बस् ....यही कलाकार अगर अकेले कार्यक्रम करते है तो इस से दस बीस गुणा भीड़ होती है लेकिन उसका टिकट लगता है | कार्यक्रम कंट्रोल में रहे इसके लिए परधान जी के नाम से प्रोग्राम प्रचारित होता है ताकि भीड़ न उमड़ पड़े और एंट्री भी फ्री ....

७७ / १६/४/१५

यक्ष -
चुनावी गणित , यह गणित की कौन सी फील्ड है ?
युधिष्ठिर -
यह कोई गणित नही है | यह रीसाइक्लिंग की आधुनिक कला है , इसमें ऐतिहासिक महत्व की चीज़ों के साथ साथ पुरानी धुरानी, अनुपयोगी , टाइम बार्ड चीज़ों को भी , रिसाइकिल कर , नई पैकेजिंग में , जनता के सामने पेश कर बेचा जाता है .......

७६ / १५/४/१५

यक्ष - आर्यावर्त के प्रधान कनाडा क्यों गए है ?
युधिष्ठिर - प्रधान जी कनाडा के प्राइम मिनिस्टर को राष्ट्रवाद का क्रैश कोर्स करवाने गए है |
यक्ष - प्रधान जी , दक्षिणा में क्या लेंगे ?
युधिष्ठिर - दक्षिणा में वह कनाडा के पी एम से कनाडा के क्युबेक प्रांत को राष्ट्र का दर्ज़ा खत्म करने और वहाँ बार बार होने वाले रिफरेंडम पर रोक का वादा करवाने वाले है |

७५ / १४ /४/१५

यक्ष - स्वराज सम्वाद क्या है ?
युधिष्ठिर - स्वराज सम्वाद '' आप '' की आँख की बिलनी है .....

७४ / १४/४/१५


७३ / १४ / ४/ १५

यक्ष -
बाबा साहेब कौन हैं ..?
युधिष्ठिर -
बाबा साहब , आर्यावर्त के पुश्तैनी गाँवों के उन घरों की थूनियों और धरनियों के जखीरे का नाम है , जो अब गिर चुके है | यह पूरा गांव ही उजाड पड़ा है | इतिहास , जब राज -राजेश्वरों के युग में प्रवेश कर रहा था तब हस्तिनापुर के राजप्रासाद के चाकरों ने इसकी हिफाज़त की जिम्मेवारी ली और इसे अपने पास आज तक सम्भाल के रखा है | आज भी जब कभी , किसी भूडोल के प्रभाव में इस राज प्रसाद की नींव दरकने लगती है , कंगूरे हिलने लगते है तो इसे बचाने में यही उपकरण काम आते हैं |

७२/ १३/४/१५

यक्ष -
विश्व के दो प्राचीन आर्य प्रदेशों , आर्यावर्त और जर्मनी के बीच कौन सा सबसे महत्वपूर्ण समझौता हुआ है ?
युधिष्ठिर -
आर्यावर्त और जर्मनी में सबसे महत्वपूर्ण समझौता बिलकुल गोपनीय है | यह समझौता वसुधैव कुटुम्बकम के सार्वभौम सिद्धांत के तहत किया गया है | जर्मनी में आर्य कुटुंब की सबसे बड़ी समस्या इस कुटुंब की नेगेटिव ग्रोथ रेट है , जिसके कारण जर्मनी में आर्य-जनसंख्या लगातार कम होती जा रही है | अतः , आर्यावर्त ने जर्मनी को दस बच्चे पैदा करने की तकनीक अंतरित करने और इस हेतु विषय विशेषज्ञों और तकनीशियनों की फ़ौज को साध्वी प्राची और साक्षी महराज के नेतृत्व में भेजने का फैसला किया है |

७१ /१२ /४/१५

यक्ष -
मताधिकार छीन लेने के फायदे क्या क्या है ?
युधिष्ठिर -
पहले यह समझ ले कि मताधिकार न होना और मताधिकार छीन लेना दो अलग अलग अवस्थिति है | मसलन , १८ साल से नीचे मताधिकार नहीं होता लेकिन उनके और बाकी लोगों में कोई फर्क नहीं होता सिवाय मत देने के अधिकार के | मताधिकार छीन लेने से व्यक्ति का स्टेटस बिलकुल अलग हो जायेगा | मताधिकार छीन लेने के तो बस् फायदे ही फायदे हैं | लोकतांत्रिक प्रणाली में लोगो के मतो से ही संसद के सदस्य चुने जाते हैं और संसद गठित होती है | संसद कानून बनाती है और उन कानूनों के पालन के लिए संसद देश की सरकार भी बनाती है |
जिन लोगों को मताधिकार नहीं होगा , उनके लिए संसदीय प्रणाली में कोई भी कानून बाध्यकारी नहीं होगा क्योंकि ऐसी संसद तो उन के द्वारा चुनी ही नहीं गयी है .....लिहाजा व्यावहारिक रूप में , उन्हें न तो टैक्स देना पड़ेगा , न ही उनके ऊपर आई पी सी , सी आर पी सी के प्रावधान लागू होंगे वगैरह वगैरह ......ऐसा इसलिए कि सरकार के पास उनके ऊपर शासन करने का , न तो विधिक , न ही नैतिक और न ही लोकतांत्रिक अधिकार होगा |
मजे की बात तो यह कि उन लोगो के सारे मौलिक अधिकार बाकायदा सुरक्षित रहेंगे क्योंकि राष्ट्र के प्रत्येक व्यक्ति के मौलिक अधिकारों की सुरक्षा राज्य की जिम्मेवारी है चाहे उसके पास मताधिकार हो या न हो ...... .....यह मृत्युलोक में स्वर्गिक अनुभूति जैसा है ........

७० / १२ /४/१५

यक्ष -
आई पी एल की हर टीम के साथ एक इंटेग्रिटी आफिसर क्यों नियुक्त किया गया है ?
युधिष्ठिर -
ताकि इस रंग बिरंगी , बंदरबांट में किसी बंदर के साथ अन्याय न हो |

६९ /१२ /४/१५

यक्ष -
टाइम्स नाऊ क्या है ?
युधिष्ठिर -
यह एक एक स्पोर्ट्स चैनल है जिसमें प्राइम टाइम में , डब्लू डब्लू ई फाईट दिखाई जाती है | इसमें खिलाड़ी घूँसा लात जो भी करना होता है उसे मुँह से करते है | इसकी खासियत यह है कि इसमें रेफरी खुद एक पक्ष लेकर सबसे ज्यादा लात घूँसा चलाता है , फाउल की सीटी भी बजाता है और फैसला भी देता है |

६८ / ११ /०४ /२०१५

यक्ष -
कश्मीरी पंडितो की समस्या क्या है और इसका समाधान कैसे हो सकता है ??
युधिष्ठिर -
कश्मीरी पंडितो की समस्या वास्तव में एक रोग है जिसे पोलिटिकल डायबिटीज़ कहते है | यह राज रोग है | इसलिए , होता तो यह यह राज करने वालों को ही है लेकिन पूरा परिवार इस वज़ह से हलकान रहता है | इस रोग के लक्षण पहले से दिखाई देने लगते है | राज्य पर कब्जा जमाने के युद्ध के दौरान सेनापतियों के रक्त में कश्मीर पंडितों के प्रति मिठास का स्तर बढने लगता है | इस मिठास के बाहरी लक्षण फौरन दिखने लगते है लेकिन सत्ता की भूख में वह इस से परहेज़ नहीं करता है |
राजा बनने के बाद यह खतरनाक लेवल पर हो जाती है | चक्कर आने लगते है , आँखों पर असर के कारण डायबेटिक रेटिनोपैथी हो जाती है | आंखें कमजोर हो जाती है , विजन धुंधला जाता है | फिर जब वह इसके इलाज हेतु जाता है , तब उसे पता चलता है कि यह रोग तो असाध्य है , अब ज्यादा से ज्यादा इसे सिर्फ मैनेज किया जा सकता है | उसके लिए भी दवा के साथ साथ काफी एक्सरसाइज़ भी करना पड़ता है | आपने देखा ही होगा कि , ताज़ा ताज़ा डायबेटिक सबसे जादा हाथ पैर पटकता है , शाही बाग में दौड़ लगाता , योग व्यायाम करता और लोगों को भी योग की सलाह देता दिखता है |
धीरे धीरे वह इस रोग के साथ साथ जीने का अभ्यस्त हो जाता है | वह तब अपनी खुराक में इस मिठास को पैदा करने वाले तत्वों से परहेज़ करने लगता है | नए राजा का राजरोग अभी प्रथम चरण में है | इस कारण ही वह इतनी ज्यादा एक्सरसाईज और योग वोग करता हुआ दिख रहा है |
कुछ रोग ऐसे होते हैं जिन्हें समय रहते डायग्नोज़ कर कंट्रोल न किया जाए तो असाध्य हो जाते है .........

मंगलवार, 2 जून 2015

यक्ष - युधिष्ठिर सम्वाद --- 66 / 10 / 01 / 2015

यक्ष - 
पद्म  पुरस्कारों की श्रृंखला में अगला पुरस्कार कौन सा होगा ?  

यक्ष - 
पद्म विभीषण .....यह पुरस्कार उन ब्यूरोक्रेट्स को हर वर्ष सामूहिक रूप से दिया जाएगा  जिनका जमीर उनके रिटायर होने के बाद एक किताब की शक्ल ले लेता है 

शुक्रवार, 22 मई 2015

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -65 /10 /04/15

यक्ष - सुलतान अजलान शाह कौन है ?
युधिष्ठिर- सुलतान अजलान शाह एक CUP है ...
यक्ष - और आई पी एल क्या है ?
युधिष्ठिर - CUPBOARD...

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -64 /09/04/15

यक्ष -
वह कौन से लोक कलाकार हैं जो आज भूख से मर रहे हैं परन्तु उनकी कला में क्रांतिकारी विकास हो रहा है ?
युधिष्ठिर -
बहुरूपिये ............
रूप बदलने की कला में जितना विकास हो रहा है उतना ही बहुरूपियों का विनाश | विकास और विनाश का अजब गज़ब दुर्योग ......

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -63 /09/04/15

यक्ष - 
चमत्कार क्या है ? 
युधिष्ठिर - जेड + सुरक्षा कवर लिए दिये लापता हो जाना ....

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -62 /09/04/15

यक्ष -
बूढ़ी और अशक्त गायों का उपयोग क्या हो सकता है ?
युधिष्ठिर -
बूढ़ी और अशक्त गायें अत्यंत उपयोगी हैं | 
इनका उपयोग ध्रुवीकरण करने और वोट-बैंक बढाने में हो सकता है ....

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -61 /09/04/15

यक्ष - 
केजरीवाल के समर्थक अपनी अपनी चीज़ें वापस मांगने लगे है | ऐसे में केजरीवाल को किस मांग से सबसे ज्यादा डर लग रहा होगा ? 
युधिष्ठिर - 
केजरीवाल सबसे ज्यादा भयभीत इस से होंगे कि कहीं दिल्ली की जनता उनसे मेहर की रकम न वापस मांग ले........वो भी पिछली बार का बकाया जोड़ कर ...

यक्ष - युधिष्ठिर सम्वाद 60/ 07/04/2015

यक्ष - 
खेती और उद्योग में क्या अंतर है ?

युधिष्ठिर - 
वही , जो अंतर आलू और चिप्स में है .....जो टमाटर और केचप में है .

यक्ष - युधिष्ठिर सम्वाद ५९/ ०७/०४/१५

यक्ष -
फेस बुक पे सबसे सामान्य और सबसे अनूठा स्टेट्स क्या होगा ?
युधिष्ठिर -
यह कोई मुश्किल नहीं , दोनों एक भी हो सकता है ..और एक वाक्य में भी हो सकता है
यक्ष -
ऐसे स्टेट्स का उदाहरण दो ..
युधिष्ठिर -
आज मेरा जन्मदिन नहीं है ..

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -58/06/04/15

यक्ष -
हे राजन ! तम्बाकू खाने पीने के क्या क्या फायदे हैं ....
युधिष्ठिर -
अनेकों फायदे है परन्तु उन फायदों को गिनाने का क्या फायदा जिसे आजकल मीडिया में लोकतंत्र के मंदिर के पुजारी प्रसाद की तरह बाँट रहे है | ..सो अज्ञात फायदे बता रहा हूँ
.
पहला यह है कि यह आपके भीतर आकस्मिक ऊर्जा का स्त्रोत उत्पन्न कर देता है | तलब लगने पर आपके भीतर हनुमान सी ऊर्जा आ जाती है , इसके लिए आप समुद्र लांघ सकते है , परबत उखाड सकते हैं | आप का मन कहेगा .....
का चुप साधि रहा बलवाना , आधी रात स्टेशन से तनी गुटका तो लाना ...( और आप चल देंगे )
दूसरा ये कि आपके भीतर लोगों की नज़र से बचने के नुस्खे और हुनर दोनों पैदा हो सकते है यानि आप एक बेहतर जासूस हो सकते है |
तीसरा , आप घर के हर कोने अंतरे को उपयोगी बना देते है ...
चौथा , ये कि यदि आप इसे छोड़ देते हैं तो आप , बहु-उद्धृत , जिन्दा मिसाल बन सकते है , बीवी की नजर में आप अचानक बहुत महान हो जाते है , उसकी मोहब्बत में फर्क साफ़ दिखाई पड़ने लगेगा जिसे आप महसूस कर सकते है , बच्चों के लिए आप एक आदर्श पिता यानि वो तमाम दुर्लभ चीज़ें आप हासिल कर सकते है जो आप जैसे नालायक ने खुद भी कभी सपने में नही सोचा होगा ........बस् इसके लिए पहले इस अमल को अपनाना होगा .....हाँ , इसके बाद आप किसी को कहीं भी प्रवचन भी दे सकते है ..........
बुराई एक .........फायदे अनेक ......

रविवार, 17 मई 2015

१७/५/१५

लाजिम है कि हम भी फेंकेंगे .......हम फेंकेंगे .......4 / 15
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आजकल , मेरे दौरों से कुछ लोगों का हाजमा बिगड़ गया है | इसलिए उन्हें हाजमोला का डोज़ देना बहुत जरूरी हो गया है | बदहजमी की शिकार इस जमात को बता दूं कि मेरा विश्व भ्रमण , मेरा आकाश-आकर्षण आदि , यूँ ही नहीं है, इसके पीछे ठोस भौतिक , धार्मिक - आध्यात्मिक कारण हैं | सबसे पहले , मैं भौतिक कारणों का खुलासा कर दूं क्योंकि औसत या औसत से कम बुद्धि वालों को ठोस बातें आसानी से समझ में आती हैं | इस सनसनी पसंद जमात के लिए सबसे पहले एक झन्नाटेदार खुलासा भी लगे हाथ करता चलूं |
मितरों ! आप सब के लिए यह अबूझ होगा परन्तु बता दूं कि बचपन से , राहुल , मुझे बहुत प्रिय रहे है | इस महान देश में ,एक नही दो नामचीन राहुल हुए हैं और दोनों 20 वीं सदी के है और दोनों मुझे बहुत प्रिय हैं | ये , दूसरा वाला नम्बर दो राहुल आजकल कुछ ज्यादा बोल रहा है , नित नए नए सवाल उठा रहा है और हमसे जवाब मांग रहा है | इस राहुल का यह रूप बिलकुल अलग है परन्तु मुझे बहुत भा रहा है | उसे मैं उसे कोई जवाब इसलिए नही देता क्योंकि एक लिहाज़ से यह मेरा गुरुभाई भी है | हालांकि , मेरे कई गुरु हैं परन्तु हर गुरु से मैंने केवल एक ही सूत्र सीखा और आगे बढ़ गया | अपने गुरुओं शिक्षाओं का प्रसार करने के बजाय उसे सीमित करने का यह अजूबा मैंने किया | यह कारनामा सिर्फ मेरे ही बस की बात है | पहले वाले राहुल मेरे गुरु हैं जो जाति से ब्राह्मण है और जिन्होंने मुझे विश्व भ्रमण का सूत्र दिया | जिसे मैंने गाँठ में बाँध लिया | बचपन में कभी मैंने उनका लिखा एक लेख पढ़ा '' अथातो घुमक्कड़ जिज्ञासा '' बस तब से मैंने इसे जीवन दर्शन मान लिया |आजकल के मेरे दौरे, मेरे गुरु की दी हुई सीख का ही परिणाम है | नम्बर दो , राहुल मेरा गुरुभाई , इन अर्थों में है कि उसके भी ज्ञान चक्षु विदेश यात्रा के बाद ही खुले | इससे भी इस सूत्र के अकाट्य होने का प्रमाण मिलता है |
मितरों ! विदेश यात्राये , आँखें खोलने के लिए जरूरी हैं | जब भी मैं विदेश यात्रा करता हूँ तो मेरी आंखें खुली की खुली रह जाती हैं | व्यक्ति को हमेशा आँखें खुली रखनी चाहिए | उसे खुली आँखों से दुनिया देखने का शउर पैदा करना चाहिए यहाँ तक की खुली आँखों से उसे सपना भी देखना चाहिए | मैं इसलिए हमेशा दिन में सपने देखता हूँ क्योंकि दिन में आँखें खुले होने की बायलोजिकल गारंटी होती है | दिन में स्वप्न यानि दिवास्वप्न का संसार , अद्भुत होता है | आप भी इसका आस्वाद कर सकें इसलिए आप सब को भी मैं दिवा स्वप्न दिखाने की कोशिशों में अहर्निश लगा रहता हूँ | पहला मौका मिलते ही व्यक्ति को दिवास्वप्न देखना चाहिए | आज कल हम और मेरा गुरुभाई दोनों इसी काम में लगे है |यह तो थी ठोस भौतिक वज़ह |
इस के बाद धार्मिक और आध्यात्मिक कारणों पर आता हूँ | अपने भ्रमण प्रेम के बारे में इसके लिए मुझे कुछ और तथ्य आपसे साझा करना लाजमी हैं | उपर जो कारण मैंने बताये वह तो दुनियावी कारण थे | इससे ज्यादा महत्वपूर्ण कारण तो मेरी कुंडली और हस्त रेखाओं में छिपा है जिसे कोई ज्ञानी ध्यानी ही जान सकता है | मैं आपको बताता चलूं , कि मैं बचपन से ही नियतिवादी और नसीबवादी रहा हूँ | यह संस्कार मुझमें पूर्वजन्मों से ट्रांसफर हो कर आया है | यह इश्वर की ट्रांसफर पालिसी है जिस पे हम मनुष्यों का कोई हस्तक्षेप सम्भव नही | इसके अलावा , मेरा पूरा परिवार अत्यंत धार्मिक , घोर कर्मकांडी और भाग्यवादी रहा है | मेरी माँ मुझे बताया करती थी की जब मेरा जन्म हुआ तब फौरन उन्होंने इलाके के सबसे बड़े पंडित जी को बुलवा कर मेरा जन्मांग चक्र बनवाया | जन्मांग चक्र के आधार पर मेरी कुंडली काशी के किसी बड़े पंडित से बनवाया | जब मैं मात्र दो वर्ष का था तो वह पंडित जी मेरे घर पधारे | उन के दर्शन की की धुंधली स्मृति आज भी मेरे जेहन में है | घर के बड़े बुजुर्ग बताते हैं कि उन्होंने मेरी कुंडली और पांवो में चक्कर देख उसी वक्त बताया था कि बालक की कुंडली में राजयोग है और पाँव के चक्कर बताते हैं कि यह चक्करवर्ती सम्राट बनेगा | उन्होंने बताया कि चक्रानुसार बालक का राशिनाम ' इ ' वर्ण से होगा | माँ ने उनसे तत्काल आग्रह किया कि वाह लगे हाथ मेरा नामकरण भी कर दें | सो उन्होंने कर दिया |
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मेरे जन्म के कुछ वर्षों बाद ही देश में राजाओं का राज खत्म हो गया | मेरे घर वालों को लगा कि उनके अरमानों पर अब पानी फिर गया परन्तु उन भोले भाले लोगों को यह नहीं पाता था कि कोई भी तन्त्र बदलते बदलते , बदलता है | बहुत दिनों तक सांस्कृतिक तौर पर हम वही तन्त्र जीते है | इसका प्रमाण जल्द ही मिलने लगा | लोकतंत्र के नाम पर एक प्रच्छन्न राजतन्त्र अपने छद्म वैभव के साथ बाकायदा मौजूद था | अब राजा का पदनाम बदल कर प्रधान मंत्री हो चुका था और विधिक प्रधानमंत्री , प्राविधिक रूप से प्रधान सेवक के तौर पर खुद को प्रस्तुत करने लगा था | जनता को भरमाने की लोकतान्त्रिक कला पर देवता गण प्रसन्न थे | इश्वर का आशीर्वाद तो साथ था ही | जो दरिद्र , पहले नारायण हुआ करता था वही जनता अब जनार्दन की संज्ञा से विभूषित थी |
खैर ! मैं बता रहा था कि राज तन्त्र के रूपान्तरण से जो तात्कालिक निराशा मेरे परिवार में पैठी थी वह अब दूर हो चुकी थी | हालांकि मैं सिर्फ दो वर्ष का था लेकिन अपनी विलक्षण स्मृति का क्या करूं | मेरी स्मृति है ही कुछ ऐसी कि वह मुझे रोज़ नयी नयी जानकारियों से परिचित कराती है | मेरी प्रखर मेधा, अद्भुत , अनूठी विश्लेषण पद्धति और भाषणों के चमत्कारिक प्रभाव से तो आप पहले से परिचित है | आप तो जानते हैं कि मैं कितने वर्षों से राजनीति में हूँ और न जाने कितने चुनाव फेस कर चुका हूँ परन्तु जब मेरे जीवन का सबसे महत्वपूर्ण चुनाव आया तो मेरी स्मृति ने मेरा कितना साथ दिया | मेरे मस्तिष्क को झकझोर कर उसने बताया कि मैं बचपन में चाय बेचता था | बस् फिर क्या था मैंने पूरी दुनिया को यह दिखा दिया कि चाय - यान से शुरू हुई यात्रा कैसे वायु - यान की यात्रा में परिवर्तित हो सकती है | तो यह था मेरी स्मृति का कमाल | अब आज मैं अपनी स्मृति संसार का एक और अजूबा आपको बताना चाहता हूँ |
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तो मैं , कह रहा था कि वो काशी वाले पंडित जी बहुत पहुंचे हुए थे , कुंडली निर्वचन से लेकर हस्तरेखा पर प्रवचन समान अधिकार से दे सकते थे | उस रोज़ जब वह घर आये थे तो माँ ने मेरा हाथ भी उन्हें दिखाया और उन्हें मुझे गुरुमंत्र भी देने को कहा | पंडितजी ने बाकी जो भी बताया हो वह तो फिलहाल याद नही परन्तु उन्होंने मेरे कान में जो फूंका वह अक्षरशः मुझे आज भी याद है | वह मंत्र उस वक्त से ही मेरा जीवन मंत्र है | मेरे तमाम दौरे , मेरी हवाई यात्राएं , मेरा आकाश के प्रति आकर्षण सब इसी मंत्र की देन है | जब कभी मैं मंच पे होता हूँ तो भी दस हाथ जमीन से ऊपर होता हूँ और आपने गौर किया होगा कि मैं बाते भी हवा में करता हूँ और मेरी बातें भी कितनी हवा हवाई होती हैं | होती हैं कि नही ....होती हैं .....| यह तो होनी है जो हो रही है | यह मेरे गुरु के मंत्र का प्रभाव है कि मेरा एक पैर मंच या कारपेट पर होता है तो दूसरा हवाई जहाज़ में ....
.मैं बहुत मजबूर हूँ , मितरों ! लेकिन मेरी मजबूरी का नाम महात्मा गांधी नही है जिन्हें अंग्रेजों ने , ट्रेन से उठा कर जमीन पर पटक दिया गया था | मेरी मजबूरी का नाम मेंरे उन दो गुरुओं से जुड़ा है जिन्होंने जमीन से उठा कर मुझे आकाश में फेंक कर पहुंचा दिया | इसलिए , फेंकना आज मेरे लिए सिर्फ कला भर नही है , यह मेरा जीवन दर्शन भी है | सो हम पे लाजिम भी है कि हम फेंके ......
लेकिन फिर भी मितरों हम सब कुछ तो नही फेंक सकते न | मैं भला कैसे फेंक दूं उस गुरुमंत्र को , जो मेरे जेहन में पैबस्त है , कि जब उन्होंने हौले से मेरे कान में मुझे मेरे राशिनाम से सम्बोधित करते हुए कहा ............
'' इब्न बतूता '' !
" आपके पाँव देखे , बहुत हसीन हैं , इन्हें जमीन पे मत उतारियेगा , मैले हो जायेंगे ......''
मितरो ! मैं क्या करूं ......मैं महान जरूर हूँ , मगर अपने गुरुओं की शिक्षाओं का गुलाम भी हूँ ...एक गुरु , जिन्होंने मेरा कान फूंका और हर वक्त हवा में उड़ते रहने की रूहानी वजह दी दूसरे गुरु राहुल जिन्होंने मुझे भ्रमण की भौतिकवादी प्रेरणा दी .....इन दोनों को मेरा प्रणाम ...अब मुझे एक और गुरु की तलाश भी करनी है जो हो तो विदेशी परन्तु मेरे लिए मेरे गुरु का भारत में ही निर्माण करें ......ताकि मैं इस '' मेक इन इण्डिया '' गुरु के चरणों में साष्टांग हो अपना परलोक संवार सकूं ...........
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७/५/१५

'' लाजिम है की हम भी फेंकेंगे .......हम फेंकेंगे '' .....3/15
चीन के बाद माबदौलत मंगोलिया जायेंगे | मंगोलिया से हमारे बहुत पुराने व्यपारिक रिश्ते है | किसी जमाने में हम उनसे लोहा लेते थे और बदले में उन्हें घोडा बेचते थे | वो बड़े सुकून के दिन थे घोडा बेच कर हमे चैन की नींद आती थी | '' मेक इन इण्डिया '' के स्लोगन की प्रेरणा हमें मंगोलों से ही मिली थी | मंगोलों ने सबसे पहली बार भारत में '' मेक इन इण्डिया '' प्रोग्राम को सफल बनाया था | उन्होंने मेक इन इण्डिया के तहत सोसायटी के हर सेक्टर में निवेश किया , खास तौर पर इन्फ्रास्टक्चर सेक्टर में तो उनके योगदान को आज भी याद किया जाता है | उन्होंने यहाँ यहाँ क्या क्या नही बनवाया | कितने किले , कितने दरवाजे , कितने महल , कितने उद्यान ...फेहरिस्त बहुत लम्बी है | ताज महल , लालकिला , बुलंद दरवाजा , शालीमार गार्डन , मुगल गार्डन वगैरह तो बस् बानगी भर है | उसका दस परसेंट भी यदि आज हो जाए तो भारत दुनिया की सबसे बड़ी शक्ति बन जाएगा | हमारा वादा है कि हम इस कोशिश में जरूर कामयाब होंगे |
अपने बचपन का एक किस्सा हमें अक्सर याद आता है | इसकी एक झलक आप सब को फिल्म मुगले आज़म में भी मिलेगी | बादशाह अकबर की रोबदार आवाज़ में वो जाहो जलाल वाला सम्वाद जरा याद करें | जाहोजलाल , इस जुमले को उस नासमझ डायरेक्टर , के . आसिफ ने फिल्म में एक विशेषण के तौर पर इस्तेमाल किया | इतिहास के साथ ऐसी छेड़छाड़ हम बर्दाश्त नही कर सकते |
हमारी नानी बताती थीं कि , कि जलाल एक संज्ञा है , वास्तव में , बाबर का एक सबसे खास आदमी था '' जलाल '' | जलाल , पूर्वी उत्तरप्रदेश के किसी गाँव का निवासी और भोजपुरी भाषी था , बहुत मजाकिया लेकिन बेहद शक्तिशाली और वफादार | उसने बाबर को भी भोजपुरी भाषा सिखाई | बाबर जब भी दुखी या उदास होता तो वह कोई न कोई मजेदार देसी चटपटी बात से बादशाह को खुश करने की कोशिश करता और कामयाब रहता | ऐसे मौकों पर बाबर के मुँह से उसी भोजपुरी रौ में बेसाख्ता निकल पड़ता ....'' जा ..हो ...जलाल .....'' जैसे ही बादशाह यह कहता सारे दरबारी जान जाते कि बादशाहसलामत अब खुश हैं | प्रजाजनों के बीच इस खुशखबरी की मुनादी करवा दी जाती ....अवसर का लाभ उठाने के लिए दुखी जन फौरन हाजिर हो बादशाह से मनचाही मुराद पूरी करवा लेते | जलाल के इन जलवों ने प्रजाजनों के कल्याण में बहुत मदद की |
जैसा की हमेशा से होता आया है , धीरे धीरे बाबर का '' जा हो जलाल '' , जुमला ..जाहोजलाल में तब्दील हो गया .....एक किंवदन्ती की तरह यह लोक में पैठ गया ....लोग बादशाह के जाहोजलाल की कसमे खाने लगे .......लोगों को यह विश्वास हो गया कि यह जुमला तैमूरी नस्ल की कोई विशेषता है ....फिल्म मुगले आजम में अकबर यही दोहराते हुए देखे जाते है ...'' नस्ले तैमूर के जाहोजलाल की कसम '' .......लेकिन असलियत से तो सिर्फ हम वाकिफ है |
आज फिर से वो वक्त आ गया कि जलाल के जलवों से हम हिन्दुस्तान को लबरेज कर दे इसलिए सबसे पहले मुझे हिन्दुस्तान में जलाल के वंशजों की तलाश करनी है | यह मेरी मंगोलिया यात्रा का सबसे जरूरी सबब है | मैं मंगोलिया जाकर जलाल के वंशजों शिनाख्त करने की स्किल पैदा करने की ट्रेनिंग खुद लेने जा रहा हूँ ....ताकि आने वाली पीढियां मेरे जाहो जलाल की भी कसमें खाएं ..........
बाकी सोने की चिड़िया की रेप्लिका तो ले ही जा रहा हूँ ...ताकि सनद रहे .........

६/५/१५

'' लाजिम है की हम भी फेंकेंगे .......हम फेंकेंगे '' .....2/15
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माबदौलत जानिबे चीन तशरीफ फरमा है , दौरे के हवाले से हर खासओआम को इत्तिला हो ......
के अभी अभी मंगल यान ने जो लेटेस्ट तस्वीरें भेजी है उस से इस बात की पुष्टि हो गई है कि आज़ाद कश्मीर से लगायत अक्साई चीन का पूरा इलाका भारत का अभिन्न अंग है साथ ही यह भी पुष्ट हुआ कि तिब्बत का चीन से कोई सम्बन्ध नही है | आगामी दौरे में इस मुद्दे पर जो शिखर वार्ता चीन के साथ सम्पन्न होगी उसमे हम इस तथ्य को रखेंगे | वार्ता के परिणाम निश्चित तौर पे हमारे पक्ष में होंगे | अलजजीरा चैनल ब्लाक करने की मुख्य वज़ह यही थी | उसे उसकी गुस्ताखियो का माकूल और वैज्ञानिक जवाब मिल गया होगा |
वैज्ञानिकों को यह निर्देश भी दिया गया है कि दो दिन के भीतर , वे मंगल यान से भारत के गौरवशाली अतीत , अडिग और अविचलित स्वाभिमान दर्शाते वो सारे लेटेस्ट कलर्ड फोटोग्राफ्स भेंजे जिसमे ह्वेन सिंग हाथ जोड़े जगह जगह खड़े है | इस से शिखर वार्ता में हमारा पक्ष और मजबूत होगा | पूरे चीन में अभी से हमारी तूती बोल रही है | जब चीन के राष्ट्रपति इण्डिया आये थे उसी वक्त हमने अपने नक्कारखाने से निकाल कर , बाकायदा बजती हालत में यह तूती उनके साथ भेज दी थी ताकि हम जब वहाँ पहुंचे तो सारे चीन में हमारी तूती पहले से बोलती रहे | बाई द वे सोने की चिड़िया की एक रेप्लिका हम चीन ले जा रहे है .......ताकि सनद रहे ...

५/५/१५

'' लाजिम है की हम भी फेंकेंगे .......हम फेंकेंगे '' .....1/15
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गडकरी जी के अभिनव प्रयोग की अपरम्पार सफलता के मद्दे नज़र देश में '' शौचालय निर्माण परियोजना '' अनिश्चित काल के लिए स्थगित की जाती है | टीवी पर शौचालय निर्माण सम्बन्धी विज्ञापनों को तत्काल प्रभाव से प्रतिबंधित किया जाता है | इसकी जगह अद्यतन स्थगित '' देवालय निर्माण परियोजना '' शीघ्र घोषित होगी | इसके अलावा जगह जगह , पहले से बने हुए सुलभ शौचालयों को रैन बसेरे में तब्दील का दिया जाएगा |
एतद्द्वारा यह भी घोषित किया जाता है कि देश के समस्त छोटे या बड़े , ऐतिहासिक अथवा सामान्य, राजकीय अथवा निजी सभी प्रकार के बाग बगीचों , उद्यानों की हरियाली बनाए रखने की जिम्मेवारी अब से जनसामान्य की होगी | जन सामान्य को बिना दो लोटा पानी पिए घुसने नही दिया जाएगा और ऐसे हर व्यक्ति को पांच बार विसर्जन के पश्चात ही बाहर निकलने दिया जाएगा | वी आई पी और अति वी आई पी लोगो को घर से कैन और छोटे ड्रमों में भर का लाने की छूट होगी |

१०/०५/१५ मदर्स डे पर ..

मदर्स डे पर ....
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माँ.... माँ..... माँ , आजिज कर दिया है इसने , ......मदर्स डे ......ये कब आता है , कोई मेहमां है , क्या सिर्फ एक दिन के लिए आता है ?? एक दिन रह के चला जाएगा क्या .......जरूरत से ज्यादा स्वागत देख के तो कुछ ऐसा ही लग रहा है | इतना पाखंड भी ठीक नही ...अरे नार्मल रहो , ये बाजार जो हैं न , ये बहुत चालाक फेरी वाला है , कभी कुछ, कभी कुछ हर हफ्ते बेचने चला आता है , हर बार की तरह इस बार भी ..........बस .....आज माँ को लेकर आया है , कल बाप को लेकर , परसों किसी और को लेकर आएगा ......ज्यादा ड्रामा नही ......
अब किसी रिश्ते में वो बात नही रही ......रिश्ते जो कभी किसी पुख्ता जमीन पर खड़े होते थे .....देखो , हाँ ! ठीक से देखो , जमीन भुरभुरी हो चुकी है .....जिन्हें ठोस समझते थे वो तमाम सम्बन्ध बड़ी तेज़ी से तरल हो बह रहे है | कुछ भी ऐसा नही जो इस बांड को मज़बूत कर सके |
परिवार , कितने मजबूत दुर्ग की तरह लगता था न् , कितना सुरक्षित महसूस करते थे अपने आप को हम इसमें | इसके मुख्य द्वार के दो पल्ले , एक माँ और दूसरा पिता , दोनों खुल कर अपने भीतर हमे समेट लेते थे ......भीतर तो पूरी एक दुनिया ही थी .....यह दुनिया अब उजड गई है | अब इस दुर्ग का सिर्फ द्वार बचा है | कोई झाँकने , कोई सुध लेने नही आता | साल में एक दिन पल्ला खोलने की कोशिश करने की जरूरत नही है |ऐसा नही है कि इन् दोनों पल्लों को ये बात पता नही है , इसलिए खुद ही एक दूसरे का आसरा बने टिके है ......इनका मजाक उड़ाना बंद करो ............
और भूलना नही .........दुर्ग द्वार के इन दोनों पल्लों को भी तुम्हारी जरूरत नही इन्होने भी बदलते मौसम का स्वाद चख लिया है | हाँ ! शुरू शुरू में इन्हें कुछ कसैला जरूर लगा था , लेकिन अब नही लगता है | इन्होने भी अपने द्वार में अब सांकल लगाना सीख लिया है ......
हर रिश्ता बदलता है .......
ये भी एक रिश्ता ही तो है .....पूरा बदल चुका है .......गौर से देखो ..............धरती भी माँ थी न , कैसा तो भीतर भीतर डोल रही है , भीतरी परतें जब टकराती है तो कितनी खौफनाक होती है , ये अहसास तो हुआ ही होगा , ये बडकी माई भी अब मुक्त है डोलने के लिए , अब सारे झटके बर्दाश्त नही करती , कुछ ट्रांसफर भी करती है , सो स्टेटस बदलना है तो बहुत कुछ बदलना होगा , जो अब होने से रहा , रिश्ता अब किसी की पीठ पर खुद को ढोने से रहा ....
सदी करवट बदल चुकी है और सदी के करवट बदलने के साथ मौसम तेज़ी से गर्म हुआ है ....और तमाम रिश्ते ठन्डे ..........

शनिवार, 16 मई 2015

१२ / ०५ /१५

अलाने - यार ! कोई टॉप की भूकम्प रोधी कविता सुनाओ ?
फलाने - तुम साले , बेमौके , कोई भी फरमाइश कर देते हो .....यहाँ सबकी फटी पड़ी है उधर तुम्हे कविताई की पड़ी है ....
अलाने - ये तो मेरा भी हाल है लेकिन भूकम्प के प्रभाव से ब्रेनवाशिंग जरूरी है वरना सनक जाऊँगा इसलिए भाई प्लीज़ ...भूकम्प रोधी कुछ भी चलेगा .....
फलाने - ओके ...तो अर्ज किया है ............
.........................................................
उस मोहब्बत में इतनी कशिश है
कि उस जकड से निकल पाना
बहुत मुश्किल है
जानता हूँ ...
लगातार डोलती हुई धरती के बीच
पाँव जमा कर खड़ा हो पाना
बहुत मुश्किल है
जानता हूँ
मेरी जान ! कठिन समय में
मोहब्बत पे इमान लाना
बहुत मुश्किल है
जानता हूँ
जानता हूँ , के पांवो के नीचे ... जब जमीन हिल रही हो
खिड़कियाँ , दरवाजे , सीढियां , दीवारें , एक दूसरे से मिल रही हो
छत और फर्श में फर्क कर पाना , अपने सिवा किसी और के बारे में सोच पाना
बहुत मुश्किल है
शायद ...
सबसे ज्यादा मुश्किल है
इन वक्तों में
जब प्राइमरी सेकेंडरी
१२ , १६ ..३२... मेगा पिक्सेल
के फोन कैमरे से
एक स्टिल फोटो लेना
भी सम्भव नही
ऐसे वक्तों में
सबसे आसान होता है
हिलते कांपते खुद स्टिल हो जाना...आ आ
उसी फोटोग्राफ
की तरह ....
जो
तब भी
मेरी बाईं जेब में होगा
तू ....
वो तस्वीर निकाल लेना..
और
अपनी
बाईं जेब में
रख
लेना .............................
ये .........................................आख़िरी झटका होगा
भू
कम्प
का ......
....
..
.
.
अलाने - तुमने , किसी और दुनिया में पहुंचा दिया बे ....
फलाने - हाँ .....उसी दुनिया में जिसका ख़्वाब देखता हूँ मैं .....जहाँ मोहब्बतों में इतनी गहराई हो ...सम्बन्ध इतने सान्द्र हो , वास्तविक हों ...
..
अलाने - अच्छा ये बता ...किसकी तस्वीर की बात कर रहा था तू .....तूने आज तक अपनी मोहब्बत के बारे में नही बताया....... जब कि मैं तेरा जिगरी , तेरा लंगोटिया , तेरा पक्का यार हूँ ......इतनी मोहब्बत .....उफ्फ ...आखिर किस से ...
फलाने - तुझसे ........हाँ तुझसे , पागल और कौन है मेरा ........और हो भी कौन सकता है ...
पता नही क्यों ऐसी धारणा है कि प्रेम की सबसे सान्द्र और सर्वोत्तम अभिव्यक्तियों का सर्वाधिकार स्त्री पुरुष सम्बन्धों में ही सुरक्षित है .........सीमित है ......पता नही ...

शुक्रवार, 17 अप्रैल 2015

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -57/06/04/15

यक्ष - स्त्री - विमर्श क्या है ?
युधिष्ठिर - स्त्री- विमर्श एक ऐसा स्वप्न है जिसमे स्त्री देखती है की वह अकेले , अलग से मुक्त हो सकती है | अलार्म बजने के साथ ही उसका यह स्वप्न टूट जाता है ..

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -56/05/04/15

यक्ष -
हे राजन ! दिल्ली क्या है ?
युधिष्ठिर -
दिल्ली आर्यावर्त में स्थित सबसे बड़ा दलदल है | विज्ञान कहता है , कि दलदल में सीधे खड़ा रहने वाला प्राणी सबसे असुरक्षित होता है और रेंगने की कला में माहिर किसी भी दलदल में सबसे सुकून में रहता है |

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -55/05/04/15

यक्ष -
किसी भी निर्णायक राजनीतिक युद्ध में , आसन्न पराजय की स्थिति में दलपति के पास कौन कौन से विकल्प होते हैं ??
युधिष्ठिर -
आसन्न पराजय की स्थिति में , दलपति के पास पूर्व में मात्र दो विकल्प होते थे या तो वह बहादुरी से लड़ते लड़ते '' वीर-गति '' का वरण करे या फिर जीवन का भिक्षादान प्राप्त कर आजीवन '' दुर्गति '' को प्राप्त हो | कलिकाल की २१वीं सदी में , राम मंदिर आंदोलन के कर्णधार माननीय आडवाणी जी ने एक अन्य विकल्प का आविष्कार किया , जिसे '' आडवाणी- गति'' के नाम से जाना जाता है |
यक्ष -
'' आडवाणी गति '' की क्या विशेषताएं हैं ..
युधिष्ठिर -
'' आडवाणी गति '' प्राप्त व्यक्ति को एक आभासी सम्मानलोक में निर्वासित कर दिया जाता है | इस लोक में वह जीवन यापन और निर्बाध विचरण हेतु पूर्ण स्वतंत्र होता है परन्तु इहलोक में आते ही ,वह इस अधिकार से वंचित हो जाता है |
उदाहरणार्थ ..यहाँ चरण स्पर्श तो होगा पर सम्मान रहित , उसे मंच तो मिलेगा पर उसका उपयोग वह नहीं कर सकेगा .....उसे सरकारी कार्यक्रमों का निमंत्रण तो मिलेगा पर उसका प्रोटोकाल नहीं ..........उसके नाम के आगे अनिवार्यतः '' जी '' लगेगा पर वह मात्र व्यंग्यार्थ होगा , सम्मानार्थ नहीं , केजरीवाली तकियाकलाम की तरह नितांत निष्प्राण ........आदि आदि

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -54/04/04/15

यक्ष -
हे राजन ! मैं तुमसे इतना प्रश्न करता हूँ , तुम्हारे समस्त अनुभव और ज्ञान की परीक्षा लेता हूँ , तुम इस से विचलित क्यों नहीं होते ......?
युधिष्ठिर -
क्योंकि मुझे यह ज्ञान भी है कि मेरा सारा ज्ञान , मेरा सारा अनुभव , यदि मेरे भूखे प्यासे सहोदरों की भूख प्यास न मिटा सके तो ऐसा ज्ञान अकारथ है | इस वक्त मेरा ज्ञान यदि एक लोटा जल के बराबर भी तुल जाए तो यह मेरे ज्ञान की सर्वोत्तम उपलब्धि है |

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -53/04/04/15

यक्ष -
इंद्रजाल किसे कहते है ..?
युधिष्ठिर -
इंद्रजाल उस मतिमार माया मंत्र को कहते हैं जिसके वशीभूत हो व्यक्ति को धूम्रपान के हानिकारक होने पर भी संदेह होने लगे और उसे लेकर सारे राष्ट्रीय चैनलों पर प्राइम टाइम में बहसों का दौर चलने लगे ......

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -52/04/04/15

यक्ष -
राजनीति में कितने प्रकार की लीव ( छुट्टी ) होती है ?
युधिष्ठिर -
दो प्रकार की ......एक फ्रेंच लीव , जिसपे राहुल गांधी गए हैं , दूसरी फोर्स्ड लीव , जिसे लाल कृष्ण आडवाणी एन्जॉय कर रहे हैं ..

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -51/04/04/15

यक्ष -
आस्तिक और नास्तिक में क्या अंतर है ?
युधिष्ठिर -
जो , हमारे आपके अर्थात यक्ष- युधिष्ठिर सम्वाद को कथा की तरह बांचते हैं वे आस्तिक और जो , साहित्य की तरह पढते हैं वे नास्तिक होते हैं ....

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -50/03/04/15

यक्ष -
ईमानदार I.A.S अधिकारियों पर शामत क्यूँ आती है ??
इसका मुकाबला वे क्यों नही कर पाते ...प्रतिकार सिर्फ पलायन में परिणत होता है या तो नौकरी से या फिर जिंदगी से ही .......
युधिष्ठिर -
क्योंकि यह , ऐसी जमात है जो कभी अपने समानधर्मा मातहतों के लिए नही लड़ती , उसके साथ एक जुटता नही दिखाती ..यदि ऐसा होता तो ब्यूरोक्रेसी का एक बड़ा वर्ग उनके साथ संगठित होता | यही कारण है कि मीडिया चाहे आसमान सर पे उठा ले परन्तु किसी भी ईमानदार अधिकारी के पीछे उनके मातहत कभी नही खड़े होते ......क्योंकि अपने मातहतों साथ इस पूरी जमात की ज्यादतियों और जुल्म के किस्से इससे कहीं ज्यादा भयावह है और उनके लिए कोई मीडिया कभी शोर नही करता |

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -49/03/04/15

यक्ष -
संसार का सबसे बड़ा सेफ्टी वाल्व किसने बनाया और यह किस ब्रांड नेम से बाज़ार में है ?
युधिष्ठिर -
मार्क जूकरबर्ग ने .......फेसबुक ब्रांड नेम से ..

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -48/03/04/15

यक्ष-अशोक खेमका कौन है
अशोक खेमका दुर्लभ पुरातात्विक सम्पति है जिन्हें हर सरकार सुरक्षित संरक्षित करने के बजाय उन्हें खुद ही सुरक्षा में लगा देती है ..

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -47/03/04/15

यक्ष - कोयले को हीरा बना देने का उदाहरण बताओ
युधिष्ठिर - ऐसे कुछ हीरे जो इस वक्त सबसे चमकदार चौंध के साथ जगमगा रहे है ... वे हैं , गिरिराज सिंह , रजत शर्मा , बाबुल सुप्रियो आदि आदि ...

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -46/02/04/15

यक्ष -
आजकल स्त्रीमुक्ति के विज्ञापनो के पीछे क्या कारण है ?
युधिष्ठिर -
कारण बताने से पहले बशीर बद्र का एक शेर अर्ज करना चाहूँगा .....
मुझे इश्तेहार सी लगती है ये मोहब्बतों की कहानिया
जो कहा नही वो सुना करो , जो सुना नही वो कहा करो ....
बस् यही मूल है ,ऐसे विज्ञापनों में , जो सुना नही गया उसे ही मुझे कहना है , वही कारण है .....
ऐसे तमाम विज्ञापन मूलतः बाज़ार के विस्तार की आकांक्षा से अभिप्रेत है | समाज में स्त्रियों का एक बड़ा वर्ग है , जो खर्च करने की सामर्थ्य के बावजूद युगों युगों से मानस में पैठे मूल्य मान्यताओं के नाते अनेकानेक संकोच और हिचकिचाहट के द्वंद में फंसा रहता है | ऐसे विज्ञापन उसी मानस पर आघात है ताकि वह मानसिक तौर पर ऐसे द्वंद से मुक्त हो जाए .......यह विक्रय और विपणन प्रबंधन के बुनियादी सूत्र के तौर पर पढाया भी जाता है कि .......पहले देखो कि खरीदने की क्षमता है या नही , यदि है तो अगला कदम उसे मानसिक तौर पर तैयार करो , उसके लिए जरूरी साबित करो ........यही हो रहा है हलांकि अत्यंत सीमित अर्थों में यह स्त्रियों के हक में भी है | ऐसा हमेशा से होता आया है कि बाज़ार जिन उपकरणों का इस्तेमाल अपने हक में करता है तो उसके आनुषंगिक प्रभाव उसके नियंत्रण में नही होते ....लेकिन बाज़ार इसमें सफल तो हो ही जाता है कि मूल उद्देश्य को प्रगतिशीलता के रुपहले परदे में छिपा सके ......

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -45/02/04/15 ( giriraj's off record statement on rajeev nt choosing to wed black nigerian )

यक्ष -
आज के सन्दर्भों में भारतीय दंड संहिता में '' अपराध '' को पुनर्परिभाषित करो ...
युधिष्ठिर -
एतद्द्वारा , कोई भी ऐसा कृत्य , जो , जघन्य अथवा सामान्य अपराध के तौर पर परिभाषित है , यदि आन रिकार्ड नही कारित हो तो उसे अपराध नही माना जाएगा , ऐसा करने वाले , मात्र खेदप्रकाश कर , किसी भी प्रकार के दंड से उन्मुक्त कर दिये जायेंगे | रिपीटेड अफेंडरों के मामले में , प्रधान मंत्री अथवा मुख्यमंत्रियों के पास यह विशेषाधिकार सुरक्षित होगा कि ऐसे अफेंडरों के कारनामों के एवज में वे , केंद्र अथवा राज्य में उन्हें , मंत्री पद से सम्मानित कर सकते हैं |

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -44/02/04/15

यक्ष -
मनुष्य होने के लिए सबसे अनिवार्य तत्व क्या है ?
युधिष्ठिर -
मनुष्य होने के लिए उसके भीतर करुणा अनिवार्य है | करुणा अर्थात दूसरे के दुःख से दुखी होना |
यक्ष -
इस आधार पर ' बीईंग ह्यूमन ' ....का उदाहरण दो
युधिष्ठिर -
ड्राइवर अशोक सिंह
यक्ष -
और '' बीइंग इनह्यूमन '' का उदाहरण ...
युधिष्ठिर-
सलमान खान

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -43/01/04/15

यक्ष - संसार में कौन सी चीज़ निस्सीम है ...
युधिष्ठिर - मूर्खता .....

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -42/01/04/15

यक्ष -
राजन ! महात्मा गांधी आजकल इतनी चर्चा में क्यों है ?
युधिष्ठिर -
महात्मा गांधी एक अत्यंत चर्चित और विवादित फेसबुक अकाउन्ट है जो तमाम रिपोर्ट्स के बावजूद न तो ब्लाक हुआ और न ही अभी तक डीएक्टिवेट हुआ है | इसके अबाउट सेक्शन में जन्म दिन के अलावा और कोई सूचना दर्ज नही है | इसकी टाइम लाइन में कोई प्राइवेसी या सिक्योरिटी सेटिंग नहीं है इसलिए इसके स्टेटस वाले सेक्शन में हर किसी को कुछ भी पोस्ट करने की पूरी आजादी है | ऐसी पोस्ट्स के ही कारण ये आजकल चर्चा में है ...

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -41/01/04/15

यक्ष-सिगरेट से कैंसर
युधिष्ठिर-सिगरेट से कैंसर होता भी होगा तो गोमूत्र से ठीक हो जाएगा

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -40/01/04/15

यक्ष -
राजन ! आर्यावर्त और उससे अलग हुए उसके पश्चिमी पट्टीदार में परस्पर कैसा रिश्ता है ...
युधिष्ठिर -
आज भी दोनों के रिश्तों में पट्टीदारी तत्व ही प्रमुख है | अपने आपसी रिश्तों को एक प्रहसन के रूप में दोनों राज्य प्रतिदिन वाघा सीमा पर प्रस्तुत करते है | नाटकीय क्रोध में फ़ैली हुई आँखें , एक दूसरे को छद्म चुनौती देती हुई , आपाद मस्तक भंगिमाएं , हास्यास्पद आक्रामकता का चरम प्रस्तुत करते , प्रोग्राम्ड यंत्रमानव की भांति परिचालित दोनों पक्ष के कुछ वर्दीधारी विचित्रवीर्य यह प्रस्तुति देते है | इस प्रहसन के बीच दोनों राज्यों का ध्वजा अवतरण होता है | दोनों ओर की जनता , कृत्रिम युद्ध के इस स्वांग से भावुक हो उन्मादी नारे लगा इस प्रहसन को जीवंत बनाने में अपना अपने स्तर पर योगदान करती और युद्ध विजय के छद्म पर ताली बजाती है .......आइसक्रीम , कोल्ड ड्रिंक , बर्गर पिज्जा खाती घर जाती है .....
रास्ते में , एक नज़र अटारी गाँव पर भी डाल जाती , जहाँ अटारी नामक सीमान्त रेलवे स्टेशन है , जो सड़क से साफ़ नही दिखता ..यहाँ कोई प्रहसन नही होता ......यहाँ पार्सल घर है , पार्सल बाबू है , माल बुकिंग का कारोबार है , टिकट विंडो है , टी टी हैं , आर पी एफ , जी आर पी है , कस्टम है , चेकिंग और आयात निर्यात का धंधा भारी है ,बरसों से बदस्तूर जारी है ,दोनों पट्टीदारों के आपसी वाणिज्यिक सम्बन्ध बेहतर करने वाले दलाल है ताकि व्यापार सुविधाजनक तरीके से होता रहे , सब कुछ राजी खुशी से चलता रहे , नाराजगी और नाखुशी वाघा बार्डर के लिए स्थान्तरित है ..
सीमा के इस खित्ते में वसुधैव कुटुम्बकम की ध्वजा लहराती है ......यहाँ जनता भी है .....जो इस पसमंजर में बाकायदा आती है , जाती है , पर ताली नही बजाती है .......
यहाँ सब सामान्य है .....जनता सब कुछ जानती है , सब कुछ सामान्य हो , तो ताली नही बजायी जाती है ........
यक्ष के हाथ युधिष्ठिर के इस जवाब पर ताली बजाने के लिए सहसा उठे , लेकिन मूर्छित पांडवों को देख ...युधिष्ठिर को देख .......प्यासी पांचाली की कल्पना कर , ठिठक गए ......

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -39/31/03/15

यक्ष -
रजत शर्मा के साहित्यिक और शैक्षिक योगदान के लिए पद्म विभूषण सम्मान मिला है | इस क्षेत्र में उनका योगदान बताओ.?
युधिष्ठिर -
रजत शर्मा भक्ति साहित्य के महान कथाकार है | उन्हें परलोक कथासाहित्य के लिए यह सम्मान मिला है | उन्होंने परलोक कथाओं के लौकिक अनुप्रयोगों के अनेक सूत्रों की रचना की है | भक्ति की शक्ति को मानव समाज में पुनर्जीवित कर प्रतिष्ठा दिलाई | उन्होंने लोक साहित्य में फैंटेसी का सूत्रपात किया | विज्ञापन जैसी अधुनातन विधा को उन्होंने शनैः शनैः अदालती कार्यवाही के कलेवर में ढाल प्रस्तुत किया और अंततः आपकी अदालत को दुनिया के दीर्घतम विज्ञापन में बदल दिया | जन मनोविज्ञान को प्रभावित करने वाले उनके ऐसे अभिनव प्रयोग मनोविज्ञान के क्षेत्र में एक चमत्कारिक उपलब्धि के तौर पर दर्ज़ है |

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -38/31/03/15

यक्ष -
राजन ! भारत के पूर्व प्रधान मंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी को भारत रत्न का सम्मान क्यों दिया गया ?
युधिष्ठिर -
श्री अटल बिहारी वाजपेयी को , साहित्य और रंगकर्म के क्षेत्र में उनके अतुलनीय योगदान के लिए भारत रत्न से सम्मानित किया गया है | यही वज़ह है कि सरकार ने उन्हें सम्मानित करने के लिए ' अंतर्राष्ट्रीय रंगमंच दिवस ' चुना |
यह सम्मान उनकी अद्भुत और अप्रतिम अभिनय क्षमता का सम्मान है | आज भी उनकी बेहतरीन सम्वाद अदायगी की मिसालें दी जाती हैं | आजादी के आंदोलन में उनकी भूमिका आज भी लोगों की जेहन से उतरी नही है , राम मंदिर आंदोलन में उनके सम्वादों के प्रभाव को भला कौन भुला सकता है | किसे याद न होगा '' धरती को समतल करना पड़ेगा '' जैसा सम्वाद ........फिर , उन्होंने राज धर्म निभाने जैसे अमर सम्वादों में , एक राजा की बेबसी की जैसी छवि पर्दे पर प्रस्तुत की वह आज भी अमिट है.....
उनकी कविताएँ , उसका वाचन , उस पर उनका अमल , कौन भूल सकता है ......
काल के कपाल पे लिखा ...राम मंदिर
सत्ता मिलते ही ...मिटा दिया ...
काल के कपाल पर लिखा ....३७०
सत्ता मिलते ही मिटा दिया .........
काल के कपाल पर लिखा ....यूनिफार्म सिविल कोड ...मिटा दिया , गीत नया गाया , गठबंधन गठबंधन ........लम्बी फेहरिस्त है
कारगिल की गफलत की कितनी बड़ी कीमत चुकाई , अपनी गफलत को काल के कपाल से मिटा दिया और काल के कपाल पे नया गीत लिखा '' विजय दिवस '' शीर्षक से ......
पर्दे पर आते ही अपने स्वागत में , स्वयं ही पोखरण - २ से अपनी सलामी ली .....एक के बाद पांच विस्फोटों की सलामी ....लौट कर सीमा पार से प्रतिध्वनि आई , एक के बाद एक पूरे छह विस्फोट .......पाकिस्तान ने भी उन्हें सलाम किया ....पांच के बजाय छः विस्फोटों से , मुर्दे में भी जान आ गयी , उसने भी अवसर व्यर्थ न किया और पहली बार आणविक क्षमता संसार के समक्ष दर्शायी ..... इस उदारमना की परदे पर इतनी विस्फोटक एंट्री से ही होनी का आभास हो गया......और काल के कपाल के पर तब ही अंकित हो गया था ..........'' भारत

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -37/31/03/15

यक्ष -
रजत शर्मा कौन है ?
युधिष्ठिर -
रजत ' रज ' उपसर्ग से निर्मित शब्द है | रजत , वह चुटकी भर चमकती धूल है, जिसे हस्तिनापुर के राजकुमार , अपनी पतंगें उड़ाने से पूर्व , हवा की दिशा भांपने के लिए , तेज़ी से धरती से उठाते और दुबारा धीरे धीरे धरती पर गिरा देते | हवा की दिशा ठीक वही होती जिस दिशा में यह धूल पुनः धूसरित होती | कालान्तर में इसके गुणों के कारण , शर्मा इसके पीछे चिपक गया | शर्मा , व्यंग्य सूचक प्रत्यय है जिस से इसके कर्मों की व्यंजना स्पष्ट होती है |

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -36/30/03/15

यक्ष - संविधान क्या है ?
युधिष्ठिर - संविधान एक किताब है | यह किताब शपथ ग्रहण के काम आती है | संविधान की शपथ लेने के बाद , धरती- आकाश -पाताळ , जल -जंगल -वायुमंडल , जनता जानवर , कीट- पतंग , मसीहा- मलंग यानि सम्पूर्ण दृश्य जगत को नियंत्रित करने की न केवल शक्ति प्राप्त हो जाती है बल्कि इसे नीलाम करने की अर्हता भी मिल जाती हैं |
यक्ष - तो , क्या संविधान की शपथ लेने वाले इश्वर के समतुल्य है ?
युधिष्ठिर - कुछ वैसा ही समझिए , सिवाय इसके कि इश्वर के पास स्वर्ग और नर्क के पासपोर्ट दफ्तर का अतिरिक्त प्रभार है |

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -35/30/03/15

यक्ष -
हे राजन ! महात्मा गांधी अन्तर्राष्ट्रीय हिंदी विश्विद्यालय ,वर्धा ( म.गा.अ.हि.वि.वि ) का बजट आधा क्यों कर दिया गया है ?
युधिष्ठिर -
यह सरकार के '' सबका साथ '' नारे का प्रतिफल है | सरकार का मानना है कि गांधी को महात्मा बनाने में आधा हाथ दक्षिण अफ्रीका का है ,अतः इस विश्विद्यालय का आधा बोझ उन्हें उठाना चाहिये |

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -34/29/03/15

यक्ष -
हे राजन ! आर्यावर्त में लात मारने के लिए पिछवाड़ा ही क्यों चुना जाता है ?
युधिष्ठिर -
इसलिए , क्योंकि सामन्यतया यह बतौर सुबूत सार्वजनिक तौर पर पेश नही किया जा सकता ,यदि किसी ने इतनी हिम्मत कर भी ली तो अश्लीलता फैलाने का दोष तो उसके खिलाफ स्वयम सिद्ध हो जाता है .....

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -33/29/03/15

यक्ष - क्रिकेट क्या है .......
युधिष्ठिर - क्रिकेट एक लचीला रबर जैसा पदार्थ है जिसे जितना चाहे छोटा या बड़ा किया जा सकता है | इस पदार्थ को '' खेल '' का नाम दुनिया का सबसे बड़े जमींदार ने दिया यह कभी उनके मनोरंजन मुख्य साधन हुआ करता था | जमींदारी की हनक जाने के बाद , इस पदार्थ से अब पौनी परजा भी अपना मनोरंजन कर लेती है | यह पदार्थ एक मिश्र धातु है जिसमे , ३५ % मनोरंजन और ५० % जुआ मिश्रित है और खेल का तत्व मात्र १५ % पाया जाता है |
इसमें जुए नामक तत्व की कथा सबसे विचित्र है | इसमें कुछ मौलिक और करामाती विशेषता है | बाज़ दफा इसमें दांव पर लगने वाला और दांव लगाने वाला अक्सर एक होता है | इसके अलावा इस जुए पर निपुण लोग हार के भी जीत जाते है और इस खेल के बाजीगर माने जाते है | !
इस खेल में जुआ मैदान से बाहर भीतर दोनों जगह खेला जाता है | ,बाहर होने वाले जुआ '' सट्टेबाजी '' कहलाता है | मैदान के भीतर यह जुआ दो प्रकार से खेला जाता है |
पहला '' नियन्त्रित '' और दूसरा '' अनियंत्रित '' |
नियंत्रित जुए को टेक्निकल शब्दावली में '' फिक्सिंग '' कहते है |
अनियंत्रित जुआ यानि जुए का परम्परागत रूप जो विशुद्ध रूप से भाग्य पर निर्भर करता है |
जैसे टास का परिणाम से सम्बन्ध , जैसे खराब बाल पे विकेट मिल जाना और अच्छी बाल पर छक्का पड जाना , अचानक एक थ्रो और जमा जमाया खिलाड़ी रन आउट ( वो भी साथी की गलती से | कठिन कैच पकड़ लिया जाना और आसान कैच छूट जाना , अचानक बारिश हो जाना , ओस पड़ जाना ...आदि आदि
इसके अलावा , इस कथित खेल में , एक टीम जिन हालातों में बल्लेबाजी करती है दूसरी टीम उस से अलग वातावरण में , यही गेंदबाजी के बारे में भी , यह इस खेल की अनन्य विशिष्टता है जो किसी अन्य खेल में नही पाई जाते ........ऐसे अनेकानेक खेल-कौशल से असम्बद्ध कारकों पर इस का परिणाम निर्भर करता है जो इसे अनप्रेडिक्टेबल बनाता है जिस के कारण यह खेल जुए से भी ज्यादा रोमांचक और मनोरंजक हो जाता है | इसी अनप्रेडिक्टेबिलितटी के अवगुण को इसकी यू एस पी बताया जाता है , जो वास्तव में केवल जूए की लाक्षणिकता और विशिष्टता होती है |
मनोरंजन के लिए इसमें कई और चीजें इसमें मिलाई जाती हैं मसलन चीयर गर्ल , रंग बिरंगे परिधान , फ्लड लाइट्स , नाईट पार्टीज़ , चकाचौंध करने वाले विज्ञापन , चैनलों पर वृन्द गान , टुटपुंजिया गीतों और कविता आधारित कार्यक्रम , सेलेब्रिटीज़ का शामिलबाज़ा आदि आदि इत्यादि ......यह इकलौता खेल है जो नियति निष्ठा और कर्मनिष्ठा , दोनों को एक साथ साध पाने में सक्षम है | इन तमाम वज़हों से यह दौलत के खुदाओं का पसंदीदा बना हुआ है......

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -32/29/03/15

यक्ष -
साहित्य अकादमी क्या है ?
युधिष्ठिर -
साहित्य अकादमी आर्यावर्त में साहित्य की सेवा एवं विकास के लिए प्रतिबद्ध सर्वोच्च अकादमी है |
यक्ष -
साहित्य की सेवा एवं विकास का कोई उदाहरण दो ?
युधिष्ठिर -
उदाहरणार्थ , अभी गोरखपुर में यह साहित्य अकादमी उत्तर और उत्तरपूर्व के साहित्यकारों का सम्मिलन आयोजित कर रही है , जिसमे समस्त आर्यावर्त से विभिन्न भारतीय भाषाओँ के साहित्यकारों को आमंत्रित कर भारतीय भाषा के साहित्य को साझा करने का मंच उपलब्ध करा रही है | इसके लिए उन्हें उचित मानदेय के साथ साथ आने जाने और ठहरने का समुचित प्रबंध भी कर रही है |
जैसे , महाराष्ट्र से आये कुछ साहित्यकारों के आने जाने हेतु अकादमी , विमान कम्पनी को ६०००० रु प्रति साहित्यकार , होटल मालिक को २००० रु प्रति- दिन प्रति - साहित्यकार भुगतान कर रही है | इस के अलावा कार्यक्रम स्थल पर खान पान के मद में भी भारी भरकम एक मुश्त राशि केटरर को भी प्रदान कर रही है |
जहाँ तक साहित्यकारों के भुगतान की बात है तो , प्रतिसाहित्यकार २००० रु मानदेय है | | इसे अपर्याप्त माने वालों के लिए अकादमी का तर्क यह है कि साहित्यकार मूलतः साहित्यिक मजदूर ही है , पूंजीवादी मूल्य मान्यताओं की आन्धी के बावजूद अकादमी एक समाजवादी बरगद की भांति समाजवादी मूल्य मान्यताओं की रक्षा हेतु अविचल है , क्या मानसिक श्रम क्या शारीरिक श्रम दोनों में कोई भेद नही करती , जब रहना ठहरना खाना फ्री तो कोई साहित्यकार यदि यहाँ अपना तीन श्रमदिवस खर्च करे तो उसके लिए यह करीब ६६६ रु प्रतिदिन की दिहाड़ी , ५ दिन पर करीब ४०० रु प्रतिदिन की दिहाड़ी बनती है जो विशुद्ध बचत है और यह हर लिहाज़ से नरेगा से बेहतर भुगतान है | यही कारण है कि देश के कोने कोने से साहित्यकार यहाँ पहुंचे है | उन्हें , अपने गाँव / देस में इतनी दिहाड़ी कहाँ मयस्सर है , वहाँ तो उन्हें जो मिलता है उसके लिए मानदेय नही प्रत्युत अपमान देय की संज्ञा ही उचित होगी इसलिए उसका जिक्र करना फिलहाल उचित नही है ...

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -31/28/03/15

यक्ष - दिल्ली विधान सभा में पहला प्रस्ताव क्या पास होने वाला है ?
युधिष्ठिर - साला और कमीना , इन दो शब्दों को संसदीय शब्द का दर्जा देने और '' पिछवाड़े पे लात '' को संसदीय मुहावरे का दर्ज़ा देने का प्रस्ताव पास किया जाएगा ......

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -29/28/03/15

यक्ष - राजन ! ये केजरीवाल कौन है ...?
युधिष्ठिर - केजरीवाल , नमो की मिमिक्री करने वाला स्टेज आर्टिस्ट है ...

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -30/28/03/15

यक्ष -
राजन ! कल्ट - पालिटिक्स किसे कहते है ?
युधिष्ठिर -
जब समर्थक यह भी न स्वीकार करें कि उनके नेता के पिछवाडे कोई छेद भी है , तब उसे कल्ट -पालिटिक्स कहते हैं |

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -28/27/03/15

यक्ष -
अनुष्का शर्मा कौन है ?
युधिष्ठिर -
अनुष्का शर्मा , अंतरिक्ष से अकस्मात उद्भूत उल्का है | इस उल्कापात से , स्त्री विमर्श का समूचा आकाश जगमग जगमग कर रहा है | इसके घर्षण से , धरती का वायुमंडल भी अकस्मात गर्म हो उठा है |
यक्ष -
क्या धरती पर इसका कोई दुष्प्रभाव भी पड़ेगा ..?
युधिष्ठिर -
नही . धरती यथावत रहेगी , आपके सरोवर का जल भी यथावत रहेगा , आपका उस पर एकाधिकार भी यथावत रहेगा , चारों पांडव भी यथावत मूर्छित रहेंगे , पांचाली की प्यास और अज्ञातवास दोनों यथावत रहेगा |
दुर्योधन और धृतराष्ट्र की आश्वस्ति यथावत , विदुर की विवशता और शकुनि का षड्यंत्र यथावत .....हस्तिनापुर का द्वंद , यथावत ही रहेगा ..........
यह मात्र एक वायवीय विक्षोभ है , इससे भौतिक जगत की स्थितियों पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पडेगा .....

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -27/27/03/15

यक्ष - भारतीय मीडिया क्या है ?
युधिष्ठिर - यह बड़ों का कार्टून चैनल है |

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -26 /27/03/15

यक्ष - गोमूत्र और वृषभ मूत्र के क्या अंतर है और क्या समानता है
युधिष्ठिर - दोनों के उदगमस्थल भिन्न है परन्तु दोनों के औषधीय गुण समान होते है |

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -25/26/03/15

यक्ष - जनता की राय में आज का मैच कौन जीतेगा ??
युधिष्ठिर - इस पर जनता एक राय नही है , भारतीय राष्ट्रवादी के अनुसार भारत , आस्ट्रेलियाई राष्ट्र्वादी के अनुसार आस्ट्रेलिया , अन्तर्राष्ट्रीयतावादी की कोई राय ही नही है , बस् दोनों देशो के राजनीतिज्ञ एकमत है .....
यक्ष - राजनीतिज्ञों की राय क्या है ?
युधिष्ठिर - उनकी राय में न यह आस्ट्रेलिया की जीत होगी न इण्डिया की जीत बल्कि यह क्रिकेट जीत होगी .......

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद 24/26/03/15

यक्ष -
मार्क्सवाद क्या है और ये कार्ल मार्क्स कौन हैं ....??
युधिष्ठिर -
मार्क्सवाद जूते का एक ब्रांड है जिसका आविष्कार कार्ल मार्क्स ने किया था | यह लाल रंग का अत्यंत मजबूत , आकर्षक और बहुपयोगी जूता है जो पहनने और चलाने के मामले में बेजोड है परन्तु इसकी सबसे बड़ी बुराई यह है , कि यह काटता बहुत है , इसकी सोल में बहुत तीखीं कीलें लगाई जाती है इसलिए इसे पहनने वालों के लिए इसका अभ्यस्त होना इतना आसान नही होता है |
कच्ची उम्र में यह जूते अनेकों किशोरों को आजमाते देखा गया है परन्तु जल्द ही , जब यह काटने लगता तो उसमे से अधिकाँश इसे पहनना छोड़ कोई आराम देह जूता तलाश लेते है | जो व्यक्ति आरम्भिक कष्ट उठा कर भी इस जूते का जीवन में अभ्यास निरंतर करते रहते हैं , वह न केवल ऊबड़ खाबड रास्तों पर भी आसानी से चल लेते है बल्कि इसका हर प्रकार से उपयोग करने में सक्षम हो जाते हैं | ऐसे लोग की संख्या बहुत ज्यादा नही है |
इस ब्रांड की लोकप्रियता देख कुछ नक्काल इस ब्रांड के नाम पर नकली जूता भी बेच रहे है इसलिए आजकल यह ब्रांड मंदी का शिकार है लिहाजा ऐसे जूतों की खपत भी आजकल कम हो गई है ...

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद 23/25/03/15

यक्ष - महिलाओं के पिछड़ेपन का सूत्र क्या है ?
युधिष्ठिर - वही परम्परागत सूत्र जिसे समाज हमेशा से जपता आया है और कमाल यह कि बिना गम्भीरतापूर्वक विचार किये , महिलाएं भी इस जाप में पीछे नही रहती ...सूत्र कुछ ऐसे है -
'' हर सफल पुरुष के पीछे कोई न कोई महिला अवश्य होती है '' ......

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद 22/25/03/15

यक्ष - ६६ ए हटाने के पीछे क्या कारण है
युधिष्ठिर - आंग्ल भाषा में ए के बाद पचीस और वर्ण है ...उन वर्णों को भी समुचित अधिकार और प्रतिनिधित्व देने के लिए ...

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद 21/25/03/15

यक्ष -
हे राजन ! डकवर्थ और लुईस कौन हैं ?
युधिष्ठिर -
डकवर्थ और लुईस दो काले देवता हैं जो दक्षिण अफ्रीका की रंगभेदी नीति के शिकार हुए थे , इन्होने रंगभेद के खात्मे के लिए अफ्रीका के वर्षावनों में घोर तप किया जिससे प्रसन्न होकर इंद्र देवता प्रकट हुए और इन्हें वरदान दिया कि जब तक दक्षिण अफ्रीका की टीम में वर्ण संतुलन नही स्थापित हो जाता , तब तक मैं इस टीम के विरुद्ध हर वर्ल्ड कप में विघ्न डालूँगा और उसके उपरान्त यह खेल तुम्हारे बनाए नियमों के अनुसार चलेगा ........

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद 20/24/03/15

यक्ष युधिष्ठिर सम्वाद - २०१५
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यक्ष -
दक्षिण अफ्रीका जैसा महान योद्धा , इस महाभारत में कैसे पराजित हो गया ?
युधिष्ठिर -
हर महाभारत में ऐसा ही होता है ......जिस प्रकार कर्ण जैसा महान योद्धा एन वक्त पर ब्रह्मास्त्र प्रयोग करना भूल जाने से वीरगति को प्राप्त हुआ , उसी प्रकार दक्षिण अफ्रीका भी क्षेत्ररक्षण जैसा ब्रह्मास्त्र , एन वक्त पर प्रयोग करना भूल गया ......परिणाम सबके सामने है ...

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -19/24/03/15

यक्ष - किसी भी महान व्यक्ति की मुक्ति का मार्ग क्या है ....
युधिष्ठिर - किसी भी महान व्यक्ति को मुक्त करने के लिए उसे उसकी मिथकीय छवि से मुक्त करना चाहिये ....इसके बिना न केवल उसकी मुक्ति असंभव है वरन वह युगों युगों तक मृत्युलोक के नर्क में लांछित होता रहेगा .....

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद 18/23-03-15

यक्ष - कोई मन की बात कब और क्यों करता है ..
युधिष्ठिर - मन की बात , कोई तब करता है जब उसे यह भय अथवा आशंका हो कि उसके मुँह की बात पर कोई यकीन नही करेगा | यह दरअसल उसके भीतर का भय होता है | जब मुँह और मन की बात में द्वैत होता है तब यह भय उसके भीतर ही भीतर और भयावह हो जाता है लिहाजा मन की बात को बार बार बताते रहना उसकी स्वयं की आश्वस्ति के लिए , एक कारगर मनोवैज्ञानिक उपचार है |
इसके अलावा किसी मनमीत की अनुपस्थिति भी , आदमी को सार्वजनिक तौर पर मन की बात करने पर मजबूर करती है .....

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद 17/22/03/15

यक्ष --- हे धर्मराज ! हाशिमपुरा क्या है ..?
युधिष्ठिर --- हाशिमपुरा , हस्तिनापुर में गंग नहर के किनारे स्थित पीपल का एक विशाल वृक्ष है , इसके सारे हरे पत्ते , वास्तव में प्रेत हैं , मान्यता है कि इस वृक्ष के वे हरे पत्ते जो किन्ही अज्ञात कारणों से टूट कर नहर में गिर , बह जाते हैं उन्हें प्रेत योनि के नर्क से मुक्ति मिल जाती है .....

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद 16 /20/03/15

यक्ष - भ्रष्टाचार मुक्ति हेतु अन्ना हजारे , अरविन्द केजरीवाल सब आमरण अनशन पर बैठे .....लेकिन सफल न हुए , आखिर क्यों ..
युधिष्ठिर - क्योंकि भ्रष्टाचार सांकृतिक प्रश्न है , सांस्कृतिक प्रश्न आमरण अनशन से हल नही होते ,,,,

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -15/20/03/15

यक्ष--- आज कल सभी चैनल वी आई पी कल्चर के खिलाफ का बिगुल बजा रहे है , इस के पीछे क्या कारण है ...
युधिष्ठिर - यह पहल प्रथमदृष्टया अत्यंत सुखद और लोकतंत्र में सामंतवाद के अवशेषों को नेस्तनाबूद करती सी प्रतीत होती है परन्तु ......
यक्ष - कोई किन्तु , परन्तु नही वरना ......जो भी बोलो सत्य बोलो...
युधिष्ठिर - आपको याद होगा फ्रांसीसी में क्रान्ति क्या हुआ था .....स्वतंत्रता , समानता , बन्धुत्व जैसे महान लोकतांत्रिक मूल्यों की स्थापना की पूरी कवायद अन्ततः तत्कालीन विशेषधिकार प्राप्त वर्गों के वर्चस्व को अपदस्थ कर क्रांति का नेतृत्व कर रहे वर्ग के वर्चस्व में तब्दील हो गई थी | आम जनता , जिसने इस क्रान्ति को अपने खून पसीने से सीचा , उसे समाज में न समानता मिली , न बंधुत्व , न स्वतंत्रता ......
यह मुहिम भी उसका भोंडा प्रहसन है जिसका उद्देश्य अत्यंत सीमित है | आपने गौर किया होगा कि ओबामा से मिलने के लिए समाज के इस सर्वाधिक शक्तिशाली वर्ग के प्रतिनिधियों की लाइन में लगने की तस्वीरें जब से आम जनता के बीच वाइरल हुई उन्हें अपने वर्चस्व के दुर्ग में यह बड़ी दरार दिखाई दी जिसे पाटने के लिए यह मुहिम अचानक तेज हुई है | उनसे यह बर्दाश्त नही था कि सिर्फ राजनीतिक प्रभु ही मौजूदा वी आई पी कल्चर के केंद्र में रहे ......
इस कूट उद्देश्य की पूर्ति के लिए हमेशा की तरह इस बार भी बड़ी बड़ी बातें की जा रही है ताकि इसके जरिये जनमत अपने पक्ष में कर यह वर्ग अपना प्रच्छन्न लक्ष्य पूरा कर सके ....

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -14/20/03/15

यक्ष --- जया बच्चन ने आज सदन में मच्छरों की समस्या उठायी , इसका सदन पर क्या प्रभाव पड़ेगा ?
युधिष्ठिर --- इससे सदस्य गण की समझ में आएगा किसी का खून चूसना कितना कष्टदायी होता है |

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद 10/19-03-15

यक्ष -- राजन ! प्लेटफार्म टिकट दुगुना करने के पीछे सरकार की मंशा क्या है ...
युधिष्ठिर-- यह आर पी एफ , जी आर पी और रेलवे चेकिंग स्टाफ को स्व-वित्त पोषित बनाने की दिशा में एक छोटा परन्तु महत्वपूर्ण कदम है ....

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -13 /20/03/15

यक्ष -----राजन ! आज के मैच से देश को क्या फायदा हुआ ...
युधिष्ठिर --- हमने बंगलादेशियों को बाहर कर दिया ....हम सेमीफाइनल में पहुंच गए ...
यक्ष -------- लेकिन इस से देश को क्या फायदा होगा ......
युधिष्ठिर---- फायदा होगा क्योंकि देश में भी यही खेल चल रहा है ......

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -11/19/03/15

यक्ष -- भूमि अधिग्रहण बिल क्या है ?
युधिष्ठिर सोच में पड़ गए ....उनके सामने सरोवर का अधिग्रहीता उपस्थित था , अधिग्रहीताओं के लिए , क्या सरोवर और क्या भूमि ....उन की प्रकृति तो तक एक जैसी ही होती है , धर्मराज थे सो झूठ बोल नही सकते थे , धर्म आड़े आता और समाज के व्यापक हित में साफ़ सीधी बात भी न कह सकते सो उन्होंने अन्योक्ति का सहारा लेने की सोची | काफी सोच विचार कर उन्होने कहा .......
जिस प्रकार मूषक किसानों के श्रम का फल चुरा कर अपने बिल में संग्रहीत कर पुष्ट होते है उसी प्रकार का एक बिल यह भी है .......दोनों में अंतर यह है कि , यह मूषक कर्म , मूषक नही मनुष्य करते हैं ......
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आख़िरी वाक्य कहते कहते युधिष्ठिर , अपने अन्य भाइयों की तरह यक्ष द्वारा शांत कर दिये गए ...........
उधर सरोवर जल से लबालब था परन्तु उसमे कोई हलचल न थी ...यक्ष परम तुष्ट था , कि अब कोई युधिष्ठिर अन्योक्ति में भी सत्य कहने से भयभीत होगा .......

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -12/20/03/15

यक्ष -- राजन ! ' अन्नदाता सुखी भव ' में अन्नदाता से क्या तात्पर्य है ?
युधिष्ठिर - कैंटीन मैनेजर ....

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -9/18-03-15

यक्ष - राजन ! मीडिया क्या है ?
युधिष्ठिर - मीडिया सत्ता का समधियाना है जिसे रीत निभाने के लिए समधी को कभी कभी गरियाना भी पड़ता है.........

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -8/16-03-15

यक्ष - राजन ! दुखती रग कहाँ होती है
युधिष्ठिर - दुखती रग का कोई निश्चित स्थान नही होता
यक्ष - उदाहरण से समझाओ
युधिष्ठिर- उदाहरण के लिए कांग्रेस की दुखती रग लापता है ,भाजपा की उस्के शरीर से मुक्त हो , कश्मीर के मुख्यमंत्री का रक्त परिवहन कर रही है ...

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -7/16-03-15

यक्ष - थिंक टैंक क्या होता है .....?
युधिष्ठिर - कोई जनविरोधी या विवादित बिल को पास कराने के एन पहले या बाद जिस गैर मुद्दे को उछाल के उसे डिफ्लेक्ट या डिफ्यूज किया जा सके , ऐसे मुद्दों की पहचान करने या मैन्युफैक्चर करने वाले समूह को को थिंक टैंक कहते है ......

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -6/13-03-15

यक्ष - राजन ! यह बताओ कलि काल में महाभारत का नया पाठ कैसे किया जाएगा ?
युधिष्ठिर - कलिकाल में महाभारत का थोडा परिवर्तित परन्तु चमत्कार पूर्ण पाठ
प्रत्यक्ष होगा ....सुन सको तो सुनाऊं ...
यक्ष - अवश्य राजन ...
युधिष्ठिर - कलिकाल में इन्द्रप्रस्थ पहले हस्तगत होगा महाभारत तत्पश्चात आरम्भ होगा

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -5/12-03-15

यक्ष - राजन ! आधुनिक आर्यावर्त में किस असुर ने उत्पात मचा रखा है ...
युधिष्ठिर- स्टिंगासुर ने ....

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -4/11.03.15

यक्ष - राजन ! रिहाई कितने प्रकार की होती है
युधिष्ठिर - दो प्रकार की ..एक बा-इज्जत दूसरी बा-मसर्रत

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -3/11-03-15

यक्ष - राजन ! बैन क्या होता है ?
युधिष्ठिर - मन की बात और मुंह की बात के द्वंद में , गला दबाने की क्रिया को बैन कहते है..

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -2 /10-03-15

यक्ष - साहित्य कचरा पेटी क्यूँ होता जा रहा है
युधिष्ठिर - सम्मान के कारण
यक्ष - राजन ! स्पष्ट उत्तर दो
युधिष्ठिर - सारा सम्मान लिखने वालों को , पाठकीय गम्भीरता को कोई सम्मान नही ...

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -1......10/03/15

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद

यक्ष ने युधिष्ठिर से प्रश्न किया - राजन ! कश्मीर क्या है ..??
युधिष्ठिर - कश्मीर भारत का मुकुट है , जिसे नहाते और सोते वक्त भी पहने रहना पड़ता है |

मंगलवार, 7 अप्रैल 2015

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद

यक्ष -
हे राजन ! दिल्ली क्या है ?
युधिष्ठिर -
दिल्ली आर्यावर्त में स्थित सबसे बड़ा दलदल है | विज्ञान कहता है , कि दलदल में सीधे खड़ा रहने वाला प्राणी सबसे असुरक्षित होता है और रेंगने की कला में माहिर किसी भी दलदल में सबसे सुकून में रहता है |

यक्ष - युधिष्ठिर सम्वाद

यक्ष - स्त्री - विमर्श क्या है ?
युधिष्ठिर - स्त्री- विमर्श एक ऐसा स्वप्न है जिसमे स्त्री देखती है की वह अकेले , अलग से मुक्त हो सकती है | अलार्म बजने के साथ ही उसका यह स्वप्न टूट जाता है ..

शनिवार, 10 जनवरी 2015

स्वागतम् : मार्क्स पुराण / तृतीय अध्याय से साभार

स्वागतम् : मार्क्स पुराण / तृतीय अध्याय से साभार: '' मार्क्स पुराण '' में एक कथा कुछ यूँ आती है कि , मरकस बाबा जर्मनी से निकल कर आर्यों की दूसरी शाखा जो सप्त सैन्धव प्रदे...