स्वागतम में स्वागत है ..........
मजाहिया मिज़ाज है सो उम्मीद है बुरा न् लगेगा
गालियाँ इतनी बुरी भी नहीं होतीं जितना समझा जाता है ........
जरा कल्पना कीजिये बिना गालियों वाला समाज की , कितना बेमज़ा , कुंठित और नीरस होगा ..........
पढा है कहीं की हंगेरियन भाषा गालियों के मामले में सबसे समृद्ध है | लेकिन मुझे तो लगता है भारतीय लोक भाषा / बोलियों की मारक क्षमता बेमिसाल है |
मजाहिया मिज़ाज है सो उम्मीद है बुरा न् लगेगा
गालियाँ इतनी बुरी भी नहीं होतीं जितना समझा जाता है ........
जरा कल्पना कीजिये बिना गालियों वाला समाज की , कितना बेमज़ा , कुंठित और नीरस होगा ..........
पढा है कहीं की हंगेरियन भाषा गालियों के मामले में सबसे समृद्ध है | लेकिन मुझे तो लगता है भारतीय लोक भाषा / बोलियों की मारक क्षमता बेमिसाल है |
सहमत
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