शुक्रवार, 17 अप्रैल 2015

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -32/29/03/15

यक्ष -
साहित्य अकादमी क्या है ?
युधिष्ठिर -
साहित्य अकादमी आर्यावर्त में साहित्य की सेवा एवं विकास के लिए प्रतिबद्ध सर्वोच्च अकादमी है |
यक्ष -
साहित्य की सेवा एवं विकास का कोई उदाहरण दो ?
युधिष्ठिर -
उदाहरणार्थ , अभी गोरखपुर में यह साहित्य अकादमी उत्तर और उत्तरपूर्व के साहित्यकारों का सम्मिलन आयोजित कर रही है , जिसमे समस्त आर्यावर्त से विभिन्न भारतीय भाषाओँ के साहित्यकारों को आमंत्रित कर भारतीय भाषा के साहित्य को साझा करने का मंच उपलब्ध करा रही है | इसके लिए उन्हें उचित मानदेय के साथ साथ आने जाने और ठहरने का समुचित प्रबंध भी कर रही है |
जैसे , महाराष्ट्र से आये कुछ साहित्यकारों के आने जाने हेतु अकादमी , विमान कम्पनी को ६०००० रु प्रति साहित्यकार , होटल मालिक को २००० रु प्रति- दिन प्रति - साहित्यकार भुगतान कर रही है | इस के अलावा कार्यक्रम स्थल पर खान पान के मद में भी भारी भरकम एक मुश्त राशि केटरर को भी प्रदान कर रही है |
जहाँ तक साहित्यकारों के भुगतान की बात है तो , प्रतिसाहित्यकार २००० रु मानदेय है | | इसे अपर्याप्त माने वालों के लिए अकादमी का तर्क यह है कि साहित्यकार मूलतः साहित्यिक मजदूर ही है , पूंजीवादी मूल्य मान्यताओं की आन्धी के बावजूद अकादमी एक समाजवादी बरगद की भांति समाजवादी मूल्य मान्यताओं की रक्षा हेतु अविचल है , क्या मानसिक श्रम क्या शारीरिक श्रम दोनों में कोई भेद नही करती , जब रहना ठहरना खाना फ्री तो कोई साहित्यकार यदि यहाँ अपना तीन श्रमदिवस खर्च करे तो उसके लिए यह करीब ६६६ रु प्रतिदिन की दिहाड़ी , ५ दिन पर करीब ४०० रु प्रतिदिन की दिहाड़ी बनती है जो विशुद्ध बचत है और यह हर लिहाज़ से नरेगा से बेहतर भुगतान है | यही कारण है कि देश के कोने कोने से साहित्यकार यहाँ पहुंचे है | उन्हें , अपने गाँव / देस में इतनी दिहाड़ी कहाँ मयस्सर है , वहाँ तो उन्हें जो मिलता है उसके लिए मानदेय नही प्रत्युत अपमान देय की संज्ञा ही उचित होगी इसलिए उसका जिक्र करना फिलहाल उचित नही है ...

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