शुक्रवार, 17 अप्रैल 2015

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -57/06/04/15

यक्ष - स्त्री - विमर्श क्या है ?
युधिष्ठिर - स्त्री- विमर्श एक ऐसा स्वप्न है जिसमे स्त्री देखती है की वह अकेले , अलग से मुक्त हो सकती है | अलार्म बजने के साथ ही उसका यह स्वप्न टूट जाता है ..

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -56/05/04/15

यक्ष -
हे राजन ! दिल्ली क्या है ?
युधिष्ठिर -
दिल्ली आर्यावर्त में स्थित सबसे बड़ा दलदल है | विज्ञान कहता है , कि दलदल में सीधे खड़ा रहने वाला प्राणी सबसे असुरक्षित होता है और रेंगने की कला में माहिर किसी भी दलदल में सबसे सुकून में रहता है |

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -55/05/04/15

यक्ष -
किसी भी निर्णायक राजनीतिक युद्ध में , आसन्न पराजय की स्थिति में दलपति के पास कौन कौन से विकल्प होते हैं ??
युधिष्ठिर -
आसन्न पराजय की स्थिति में , दलपति के पास पूर्व में मात्र दो विकल्प होते थे या तो वह बहादुरी से लड़ते लड़ते '' वीर-गति '' का वरण करे या फिर जीवन का भिक्षादान प्राप्त कर आजीवन '' दुर्गति '' को प्राप्त हो | कलिकाल की २१वीं सदी में , राम मंदिर आंदोलन के कर्णधार माननीय आडवाणी जी ने एक अन्य विकल्प का आविष्कार किया , जिसे '' आडवाणी- गति'' के नाम से जाना जाता है |
यक्ष -
'' आडवाणी गति '' की क्या विशेषताएं हैं ..
युधिष्ठिर -
'' आडवाणी गति '' प्राप्त व्यक्ति को एक आभासी सम्मानलोक में निर्वासित कर दिया जाता है | इस लोक में वह जीवन यापन और निर्बाध विचरण हेतु पूर्ण स्वतंत्र होता है परन्तु इहलोक में आते ही ,वह इस अधिकार से वंचित हो जाता है |
उदाहरणार्थ ..यहाँ चरण स्पर्श तो होगा पर सम्मान रहित , उसे मंच तो मिलेगा पर उसका उपयोग वह नहीं कर सकेगा .....उसे सरकारी कार्यक्रमों का निमंत्रण तो मिलेगा पर उसका प्रोटोकाल नहीं ..........उसके नाम के आगे अनिवार्यतः '' जी '' लगेगा पर वह मात्र व्यंग्यार्थ होगा , सम्मानार्थ नहीं , केजरीवाली तकियाकलाम की तरह नितांत निष्प्राण ........आदि आदि

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -54/04/04/15

यक्ष -
हे राजन ! मैं तुमसे इतना प्रश्न करता हूँ , तुम्हारे समस्त अनुभव और ज्ञान की परीक्षा लेता हूँ , तुम इस से विचलित क्यों नहीं होते ......?
युधिष्ठिर -
क्योंकि मुझे यह ज्ञान भी है कि मेरा सारा ज्ञान , मेरा सारा अनुभव , यदि मेरे भूखे प्यासे सहोदरों की भूख प्यास न मिटा सके तो ऐसा ज्ञान अकारथ है | इस वक्त मेरा ज्ञान यदि एक लोटा जल के बराबर भी तुल जाए तो यह मेरे ज्ञान की सर्वोत्तम उपलब्धि है |

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -53/04/04/15

यक्ष -
इंद्रजाल किसे कहते है ..?
युधिष्ठिर -
इंद्रजाल उस मतिमार माया मंत्र को कहते हैं जिसके वशीभूत हो व्यक्ति को धूम्रपान के हानिकारक होने पर भी संदेह होने लगे और उसे लेकर सारे राष्ट्रीय चैनलों पर प्राइम टाइम में बहसों का दौर चलने लगे ......

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -52/04/04/15

यक्ष -
राजनीति में कितने प्रकार की लीव ( छुट्टी ) होती है ?
युधिष्ठिर -
दो प्रकार की ......एक फ्रेंच लीव , जिसपे राहुल गांधी गए हैं , दूसरी फोर्स्ड लीव , जिसे लाल कृष्ण आडवाणी एन्जॉय कर रहे हैं ..

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -51/04/04/15

यक्ष -
आस्तिक और नास्तिक में क्या अंतर है ?
युधिष्ठिर -
जो , हमारे आपके अर्थात यक्ष- युधिष्ठिर सम्वाद को कथा की तरह बांचते हैं वे आस्तिक और जो , साहित्य की तरह पढते हैं वे नास्तिक होते हैं ....

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -50/03/04/15

यक्ष -
ईमानदार I.A.S अधिकारियों पर शामत क्यूँ आती है ??
इसका मुकाबला वे क्यों नही कर पाते ...प्रतिकार सिर्फ पलायन में परिणत होता है या तो नौकरी से या फिर जिंदगी से ही .......
युधिष्ठिर -
क्योंकि यह , ऐसी जमात है जो कभी अपने समानधर्मा मातहतों के लिए नही लड़ती , उसके साथ एक जुटता नही दिखाती ..यदि ऐसा होता तो ब्यूरोक्रेसी का एक बड़ा वर्ग उनके साथ संगठित होता | यही कारण है कि मीडिया चाहे आसमान सर पे उठा ले परन्तु किसी भी ईमानदार अधिकारी के पीछे उनके मातहत कभी नही खड़े होते ......क्योंकि अपने मातहतों साथ इस पूरी जमात की ज्यादतियों और जुल्म के किस्से इससे कहीं ज्यादा भयावह है और उनके लिए कोई मीडिया कभी शोर नही करता |

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -49/03/04/15

यक्ष -
संसार का सबसे बड़ा सेफ्टी वाल्व किसने बनाया और यह किस ब्रांड नेम से बाज़ार में है ?
युधिष्ठिर -
मार्क जूकरबर्ग ने .......फेसबुक ब्रांड नेम से ..

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -48/03/04/15

यक्ष-अशोक खेमका कौन है
अशोक खेमका दुर्लभ पुरातात्विक सम्पति है जिन्हें हर सरकार सुरक्षित संरक्षित करने के बजाय उन्हें खुद ही सुरक्षा में लगा देती है ..

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -47/03/04/15

यक्ष - कोयले को हीरा बना देने का उदाहरण बताओ
युधिष्ठिर - ऐसे कुछ हीरे जो इस वक्त सबसे चमकदार चौंध के साथ जगमगा रहे है ... वे हैं , गिरिराज सिंह , रजत शर्मा , बाबुल सुप्रियो आदि आदि ...

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -46/02/04/15

यक्ष -
आजकल स्त्रीमुक्ति के विज्ञापनो के पीछे क्या कारण है ?
युधिष्ठिर -
कारण बताने से पहले बशीर बद्र का एक शेर अर्ज करना चाहूँगा .....
मुझे इश्तेहार सी लगती है ये मोहब्बतों की कहानिया
जो कहा नही वो सुना करो , जो सुना नही वो कहा करो ....
बस् यही मूल है ,ऐसे विज्ञापनों में , जो सुना नही गया उसे ही मुझे कहना है , वही कारण है .....
ऐसे तमाम विज्ञापन मूलतः बाज़ार के विस्तार की आकांक्षा से अभिप्रेत है | समाज में स्त्रियों का एक बड़ा वर्ग है , जो खर्च करने की सामर्थ्य के बावजूद युगों युगों से मानस में पैठे मूल्य मान्यताओं के नाते अनेकानेक संकोच और हिचकिचाहट के द्वंद में फंसा रहता है | ऐसे विज्ञापन उसी मानस पर आघात है ताकि वह मानसिक तौर पर ऐसे द्वंद से मुक्त हो जाए .......यह विक्रय और विपणन प्रबंधन के बुनियादी सूत्र के तौर पर पढाया भी जाता है कि .......पहले देखो कि खरीदने की क्षमता है या नही , यदि है तो अगला कदम उसे मानसिक तौर पर तैयार करो , उसके लिए जरूरी साबित करो ........यही हो रहा है हलांकि अत्यंत सीमित अर्थों में यह स्त्रियों के हक में भी है | ऐसा हमेशा से होता आया है कि बाज़ार जिन उपकरणों का इस्तेमाल अपने हक में करता है तो उसके आनुषंगिक प्रभाव उसके नियंत्रण में नही होते ....लेकिन बाज़ार इसमें सफल तो हो ही जाता है कि मूल उद्देश्य को प्रगतिशीलता के रुपहले परदे में छिपा सके ......

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -45/02/04/15 ( giriraj's off record statement on rajeev nt choosing to wed black nigerian )

यक्ष -
आज के सन्दर्भों में भारतीय दंड संहिता में '' अपराध '' को पुनर्परिभाषित करो ...
युधिष्ठिर -
एतद्द्वारा , कोई भी ऐसा कृत्य , जो , जघन्य अथवा सामान्य अपराध के तौर पर परिभाषित है , यदि आन रिकार्ड नही कारित हो तो उसे अपराध नही माना जाएगा , ऐसा करने वाले , मात्र खेदप्रकाश कर , किसी भी प्रकार के दंड से उन्मुक्त कर दिये जायेंगे | रिपीटेड अफेंडरों के मामले में , प्रधान मंत्री अथवा मुख्यमंत्रियों के पास यह विशेषाधिकार सुरक्षित होगा कि ऐसे अफेंडरों के कारनामों के एवज में वे , केंद्र अथवा राज्य में उन्हें , मंत्री पद से सम्मानित कर सकते हैं |

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -44/02/04/15

यक्ष -
मनुष्य होने के लिए सबसे अनिवार्य तत्व क्या है ?
युधिष्ठिर -
मनुष्य होने के लिए उसके भीतर करुणा अनिवार्य है | करुणा अर्थात दूसरे के दुःख से दुखी होना |
यक्ष -
इस आधार पर ' बीईंग ह्यूमन ' ....का उदाहरण दो
युधिष्ठिर -
ड्राइवर अशोक सिंह
यक्ष -
और '' बीइंग इनह्यूमन '' का उदाहरण ...
युधिष्ठिर-
सलमान खान

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -43/01/04/15

यक्ष - संसार में कौन सी चीज़ निस्सीम है ...
युधिष्ठिर - मूर्खता .....

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -42/01/04/15

यक्ष -
राजन ! महात्मा गांधी आजकल इतनी चर्चा में क्यों है ?
युधिष्ठिर -
महात्मा गांधी एक अत्यंत चर्चित और विवादित फेसबुक अकाउन्ट है जो तमाम रिपोर्ट्स के बावजूद न तो ब्लाक हुआ और न ही अभी तक डीएक्टिवेट हुआ है | इसके अबाउट सेक्शन में जन्म दिन के अलावा और कोई सूचना दर्ज नही है | इसकी टाइम लाइन में कोई प्राइवेसी या सिक्योरिटी सेटिंग नहीं है इसलिए इसके स्टेटस वाले सेक्शन में हर किसी को कुछ भी पोस्ट करने की पूरी आजादी है | ऐसी पोस्ट्स के ही कारण ये आजकल चर्चा में है ...

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -41/01/04/15

यक्ष-सिगरेट से कैंसर
युधिष्ठिर-सिगरेट से कैंसर होता भी होगा तो गोमूत्र से ठीक हो जाएगा

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -40/01/04/15

यक्ष -
राजन ! आर्यावर्त और उससे अलग हुए उसके पश्चिमी पट्टीदार में परस्पर कैसा रिश्ता है ...
युधिष्ठिर -
आज भी दोनों के रिश्तों में पट्टीदारी तत्व ही प्रमुख है | अपने आपसी रिश्तों को एक प्रहसन के रूप में दोनों राज्य प्रतिदिन वाघा सीमा पर प्रस्तुत करते है | नाटकीय क्रोध में फ़ैली हुई आँखें , एक दूसरे को छद्म चुनौती देती हुई , आपाद मस्तक भंगिमाएं , हास्यास्पद आक्रामकता का चरम प्रस्तुत करते , प्रोग्राम्ड यंत्रमानव की भांति परिचालित दोनों पक्ष के कुछ वर्दीधारी विचित्रवीर्य यह प्रस्तुति देते है | इस प्रहसन के बीच दोनों राज्यों का ध्वजा अवतरण होता है | दोनों ओर की जनता , कृत्रिम युद्ध के इस स्वांग से भावुक हो उन्मादी नारे लगा इस प्रहसन को जीवंत बनाने में अपना अपने स्तर पर योगदान करती और युद्ध विजय के छद्म पर ताली बजाती है .......आइसक्रीम , कोल्ड ड्रिंक , बर्गर पिज्जा खाती घर जाती है .....
रास्ते में , एक नज़र अटारी गाँव पर भी डाल जाती , जहाँ अटारी नामक सीमान्त रेलवे स्टेशन है , जो सड़क से साफ़ नही दिखता ..यहाँ कोई प्रहसन नही होता ......यहाँ पार्सल घर है , पार्सल बाबू है , माल बुकिंग का कारोबार है , टिकट विंडो है , टी टी हैं , आर पी एफ , जी आर पी है , कस्टम है , चेकिंग और आयात निर्यात का धंधा भारी है ,बरसों से बदस्तूर जारी है ,दोनों पट्टीदारों के आपसी वाणिज्यिक सम्बन्ध बेहतर करने वाले दलाल है ताकि व्यापार सुविधाजनक तरीके से होता रहे , सब कुछ राजी खुशी से चलता रहे , नाराजगी और नाखुशी वाघा बार्डर के लिए स्थान्तरित है ..
सीमा के इस खित्ते में वसुधैव कुटुम्बकम की ध्वजा लहराती है ......यहाँ जनता भी है .....जो इस पसमंजर में बाकायदा आती है , जाती है , पर ताली नही बजाती है .......
यहाँ सब सामान्य है .....जनता सब कुछ जानती है , सब कुछ सामान्य हो , तो ताली नही बजायी जाती है ........
यक्ष के हाथ युधिष्ठिर के इस जवाब पर ताली बजाने के लिए सहसा उठे , लेकिन मूर्छित पांडवों को देख ...युधिष्ठिर को देख .......प्यासी पांचाली की कल्पना कर , ठिठक गए ......

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -39/31/03/15

यक्ष -
रजत शर्मा के साहित्यिक और शैक्षिक योगदान के लिए पद्म विभूषण सम्मान मिला है | इस क्षेत्र में उनका योगदान बताओ.?
युधिष्ठिर -
रजत शर्मा भक्ति साहित्य के महान कथाकार है | उन्हें परलोक कथासाहित्य के लिए यह सम्मान मिला है | उन्होंने परलोक कथाओं के लौकिक अनुप्रयोगों के अनेक सूत्रों की रचना की है | भक्ति की शक्ति को मानव समाज में पुनर्जीवित कर प्रतिष्ठा दिलाई | उन्होंने लोक साहित्य में फैंटेसी का सूत्रपात किया | विज्ञापन जैसी अधुनातन विधा को उन्होंने शनैः शनैः अदालती कार्यवाही के कलेवर में ढाल प्रस्तुत किया और अंततः आपकी अदालत को दुनिया के दीर्घतम विज्ञापन में बदल दिया | जन मनोविज्ञान को प्रभावित करने वाले उनके ऐसे अभिनव प्रयोग मनोविज्ञान के क्षेत्र में एक चमत्कारिक उपलब्धि के तौर पर दर्ज़ है |

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -38/31/03/15

यक्ष -
राजन ! भारत के पूर्व प्रधान मंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी को भारत रत्न का सम्मान क्यों दिया गया ?
युधिष्ठिर -
श्री अटल बिहारी वाजपेयी को , साहित्य और रंगकर्म के क्षेत्र में उनके अतुलनीय योगदान के लिए भारत रत्न से सम्मानित किया गया है | यही वज़ह है कि सरकार ने उन्हें सम्मानित करने के लिए ' अंतर्राष्ट्रीय रंगमंच दिवस ' चुना |
यह सम्मान उनकी अद्भुत और अप्रतिम अभिनय क्षमता का सम्मान है | आज भी उनकी बेहतरीन सम्वाद अदायगी की मिसालें दी जाती हैं | आजादी के आंदोलन में उनकी भूमिका आज भी लोगों की जेहन से उतरी नही है , राम मंदिर आंदोलन में उनके सम्वादों के प्रभाव को भला कौन भुला सकता है | किसे याद न होगा '' धरती को समतल करना पड़ेगा '' जैसा सम्वाद ........फिर , उन्होंने राज धर्म निभाने जैसे अमर सम्वादों में , एक राजा की बेबसी की जैसी छवि पर्दे पर प्रस्तुत की वह आज भी अमिट है.....
उनकी कविताएँ , उसका वाचन , उस पर उनका अमल , कौन भूल सकता है ......
काल के कपाल पे लिखा ...राम मंदिर
सत्ता मिलते ही ...मिटा दिया ...
काल के कपाल पर लिखा ....३७०
सत्ता मिलते ही मिटा दिया .........
काल के कपाल पर लिखा ....यूनिफार्म सिविल कोड ...मिटा दिया , गीत नया गाया , गठबंधन गठबंधन ........लम्बी फेहरिस्त है
कारगिल की गफलत की कितनी बड़ी कीमत चुकाई , अपनी गफलत को काल के कपाल से मिटा दिया और काल के कपाल पे नया गीत लिखा '' विजय दिवस '' शीर्षक से ......
पर्दे पर आते ही अपने स्वागत में , स्वयं ही पोखरण - २ से अपनी सलामी ली .....एक के बाद पांच विस्फोटों की सलामी ....लौट कर सीमा पार से प्रतिध्वनि आई , एक के बाद एक पूरे छह विस्फोट .......पाकिस्तान ने भी उन्हें सलाम किया ....पांच के बजाय छः विस्फोटों से , मुर्दे में भी जान आ गयी , उसने भी अवसर व्यर्थ न किया और पहली बार आणविक क्षमता संसार के समक्ष दर्शायी ..... इस उदारमना की परदे पर इतनी विस्फोटक एंट्री से ही होनी का आभास हो गया......और काल के कपाल के पर तब ही अंकित हो गया था ..........'' भारत

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -37/31/03/15

यक्ष -
रजत शर्मा कौन है ?
युधिष्ठिर -
रजत ' रज ' उपसर्ग से निर्मित शब्द है | रजत , वह चुटकी भर चमकती धूल है, जिसे हस्तिनापुर के राजकुमार , अपनी पतंगें उड़ाने से पूर्व , हवा की दिशा भांपने के लिए , तेज़ी से धरती से उठाते और दुबारा धीरे धीरे धरती पर गिरा देते | हवा की दिशा ठीक वही होती जिस दिशा में यह धूल पुनः धूसरित होती | कालान्तर में इसके गुणों के कारण , शर्मा इसके पीछे चिपक गया | शर्मा , व्यंग्य सूचक प्रत्यय है जिस से इसके कर्मों की व्यंजना स्पष्ट होती है |

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -36/30/03/15

यक्ष - संविधान क्या है ?
युधिष्ठिर - संविधान एक किताब है | यह किताब शपथ ग्रहण के काम आती है | संविधान की शपथ लेने के बाद , धरती- आकाश -पाताळ , जल -जंगल -वायुमंडल , जनता जानवर , कीट- पतंग , मसीहा- मलंग यानि सम्पूर्ण दृश्य जगत को नियंत्रित करने की न केवल शक्ति प्राप्त हो जाती है बल्कि इसे नीलाम करने की अर्हता भी मिल जाती हैं |
यक्ष - तो , क्या संविधान की शपथ लेने वाले इश्वर के समतुल्य है ?
युधिष्ठिर - कुछ वैसा ही समझिए , सिवाय इसके कि इश्वर के पास स्वर्ग और नर्क के पासपोर्ट दफ्तर का अतिरिक्त प्रभार है |

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -35/30/03/15

यक्ष -
हे राजन ! महात्मा गांधी अन्तर्राष्ट्रीय हिंदी विश्विद्यालय ,वर्धा ( म.गा.अ.हि.वि.वि ) का बजट आधा क्यों कर दिया गया है ?
युधिष्ठिर -
यह सरकार के '' सबका साथ '' नारे का प्रतिफल है | सरकार का मानना है कि गांधी को महात्मा बनाने में आधा हाथ दक्षिण अफ्रीका का है ,अतः इस विश्विद्यालय का आधा बोझ उन्हें उठाना चाहिये |

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -34/29/03/15

यक्ष -
हे राजन ! आर्यावर्त में लात मारने के लिए पिछवाड़ा ही क्यों चुना जाता है ?
युधिष्ठिर -
इसलिए , क्योंकि सामन्यतया यह बतौर सुबूत सार्वजनिक तौर पर पेश नही किया जा सकता ,यदि किसी ने इतनी हिम्मत कर भी ली तो अश्लीलता फैलाने का दोष तो उसके खिलाफ स्वयम सिद्ध हो जाता है .....

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -33/29/03/15

यक्ष - क्रिकेट क्या है .......
युधिष्ठिर - क्रिकेट एक लचीला रबर जैसा पदार्थ है जिसे जितना चाहे छोटा या बड़ा किया जा सकता है | इस पदार्थ को '' खेल '' का नाम दुनिया का सबसे बड़े जमींदार ने दिया यह कभी उनके मनोरंजन मुख्य साधन हुआ करता था | जमींदारी की हनक जाने के बाद , इस पदार्थ से अब पौनी परजा भी अपना मनोरंजन कर लेती है | यह पदार्थ एक मिश्र धातु है जिसमे , ३५ % मनोरंजन और ५० % जुआ मिश्रित है और खेल का तत्व मात्र १५ % पाया जाता है |
इसमें जुए नामक तत्व की कथा सबसे विचित्र है | इसमें कुछ मौलिक और करामाती विशेषता है | बाज़ दफा इसमें दांव पर लगने वाला और दांव लगाने वाला अक्सर एक होता है | इसके अलावा इस जुए पर निपुण लोग हार के भी जीत जाते है और इस खेल के बाजीगर माने जाते है | !
इस खेल में जुआ मैदान से बाहर भीतर दोनों जगह खेला जाता है | ,बाहर होने वाले जुआ '' सट्टेबाजी '' कहलाता है | मैदान के भीतर यह जुआ दो प्रकार से खेला जाता है |
पहला '' नियन्त्रित '' और दूसरा '' अनियंत्रित '' |
नियंत्रित जुए को टेक्निकल शब्दावली में '' फिक्सिंग '' कहते है |
अनियंत्रित जुआ यानि जुए का परम्परागत रूप जो विशुद्ध रूप से भाग्य पर निर्भर करता है |
जैसे टास का परिणाम से सम्बन्ध , जैसे खराब बाल पे विकेट मिल जाना और अच्छी बाल पर छक्का पड जाना , अचानक एक थ्रो और जमा जमाया खिलाड़ी रन आउट ( वो भी साथी की गलती से | कठिन कैच पकड़ लिया जाना और आसान कैच छूट जाना , अचानक बारिश हो जाना , ओस पड़ जाना ...आदि आदि
इसके अलावा , इस कथित खेल में , एक टीम जिन हालातों में बल्लेबाजी करती है दूसरी टीम उस से अलग वातावरण में , यही गेंदबाजी के बारे में भी , यह इस खेल की अनन्य विशिष्टता है जो किसी अन्य खेल में नही पाई जाते ........ऐसे अनेकानेक खेल-कौशल से असम्बद्ध कारकों पर इस का परिणाम निर्भर करता है जो इसे अनप्रेडिक्टेबल बनाता है जिस के कारण यह खेल जुए से भी ज्यादा रोमांचक और मनोरंजक हो जाता है | इसी अनप्रेडिक्टेबिलितटी के अवगुण को इसकी यू एस पी बताया जाता है , जो वास्तव में केवल जूए की लाक्षणिकता और विशिष्टता होती है |
मनोरंजन के लिए इसमें कई और चीजें इसमें मिलाई जाती हैं मसलन चीयर गर्ल , रंग बिरंगे परिधान , फ्लड लाइट्स , नाईट पार्टीज़ , चकाचौंध करने वाले विज्ञापन , चैनलों पर वृन्द गान , टुटपुंजिया गीतों और कविता आधारित कार्यक्रम , सेलेब्रिटीज़ का शामिलबाज़ा आदि आदि इत्यादि ......यह इकलौता खेल है जो नियति निष्ठा और कर्मनिष्ठा , दोनों को एक साथ साध पाने में सक्षम है | इन तमाम वज़हों से यह दौलत के खुदाओं का पसंदीदा बना हुआ है......

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -32/29/03/15

यक्ष -
साहित्य अकादमी क्या है ?
युधिष्ठिर -
साहित्य अकादमी आर्यावर्त में साहित्य की सेवा एवं विकास के लिए प्रतिबद्ध सर्वोच्च अकादमी है |
यक्ष -
साहित्य की सेवा एवं विकास का कोई उदाहरण दो ?
युधिष्ठिर -
उदाहरणार्थ , अभी गोरखपुर में यह साहित्य अकादमी उत्तर और उत्तरपूर्व के साहित्यकारों का सम्मिलन आयोजित कर रही है , जिसमे समस्त आर्यावर्त से विभिन्न भारतीय भाषाओँ के साहित्यकारों को आमंत्रित कर भारतीय भाषा के साहित्य को साझा करने का मंच उपलब्ध करा रही है | इसके लिए उन्हें उचित मानदेय के साथ साथ आने जाने और ठहरने का समुचित प्रबंध भी कर रही है |
जैसे , महाराष्ट्र से आये कुछ साहित्यकारों के आने जाने हेतु अकादमी , विमान कम्पनी को ६०००० रु प्रति साहित्यकार , होटल मालिक को २००० रु प्रति- दिन प्रति - साहित्यकार भुगतान कर रही है | इस के अलावा कार्यक्रम स्थल पर खान पान के मद में भी भारी भरकम एक मुश्त राशि केटरर को भी प्रदान कर रही है |
जहाँ तक साहित्यकारों के भुगतान की बात है तो , प्रतिसाहित्यकार २००० रु मानदेय है | | इसे अपर्याप्त माने वालों के लिए अकादमी का तर्क यह है कि साहित्यकार मूलतः साहित्यिक मजदूर ही है , पूंजीवादी मूल्य मान्यताओं की आन्धी के बावजूद अकादमी एक समाजवादी बरगद की भांति समाजवादी मूल्य मान्यताओं की रक्षा हेतु अविचल है , क्या मानसिक श्रम क्या शारीरिक श्रम दोनों में कोई भेद नही करती , जब रहना ठहरना खाना फ्री तो कोई साहित्यकार यदि यहाँ अपना तीन श्रमदिवस खर्च करे तो उसके लिए यह करीब ६६६ रु प्रतिदिन की दिहाड़ी , ५ दिन पर करीब ४०० रु प्रतिदिन की दिहाड़ी बनती है जो विशुद्ध बचत है और यह हर लिहाज़ से नरेगा से बेहतर भुगतान है | यही कारण है कि देश के कोने कोने से साहित्यकार यहाँ पहुंचे है | उन्हें , अपने गाँव / देस में इतनी दिहाड़ी कहाँ मयस्सर है , वहाँ तो उन्हें जो मिलता है उसके लिए मानदेय नही प्रत्युत अपमान देय की संज्ञा ही उचित होगी इसलिए उसका जिक्र करना फिलहाल उचित नही है ...

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -31/28/03/15

यक्ष - दिल्ली विधान सभा में पहला प्रस्ताव क्या पास होने वाला है ?
युधिष्ठिर - साला और कमीना , इन दो शब्दों को संसदीय शब्द का दर्जा देने और '' पिछवाड़े पे लात '' को संसदीय मुहावरे का दर्ज़ा देने का प्रस्ताव पास किया जाएगा ......

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -29/28/03/15

यक्ष - राजन ! ये केजरीवाल कौन है ...?
युधिष्ठिर - केजरीवाल , नमो की मिमिक्री करने वाला स्टेज आर्टिस्ट है ...

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -30/28/03/15

यक्ष -
राजन ! कल्ट - पालिटिक्स किसे कहते है ?
युधिष्ठिर -
जब समर्थक यह भी न स्वीकार करें कि उनके नेता के पिछवाडे कोई छेद भी है , तब उसे कल्ट -पालिटिक्स कहते हैं |

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -28/27/03/15

यक्ष -
अनुष्का शर्मा कौन है ?
युधिष्ठिर -
अनुष्का शर्मा , अंतरिक्ष से अकस्मात उद्भूत उल्का है | इस उल्कापात से , स्त्री विमर्श का समूचा आकाश जगमग जगमग कर रहा है | इसके घर्षण से , धरती का वायुमंडल भी अकस्मात गर्म हो उठा है |
यक्ष -
क्या धरती पर इसका कोई दुष्प्रभाव भी पड़ेगा ..?
युधिष्ठिर -
नही . धरती यथावत रहेगी , आपके सरोवर का जल भी यथावत रहेगा , आपका उस पर एकाधिकार भी यथावत रहेगा , चारों पांडव भी यथावत मूर्छित रहेंगे , पांचाली की प्यास और अज्ञातवास दोनों यथावत रहेगा |
दुर्योधन और धृतराष्ट्र की आश्वस्ति यथावत , विदुर की विवशता और शकुनि का षड्यंत्र यथावत .....हस्तिनापुर का द्वंद , यथावत ही रहेगा ..........
यह मात्र एक वायवीय विक्षोभ है , इससे भौतिक जगत की स्थितियों पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पडेगा .....

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -27/27/03/15

यक्ष - भारतीय मीडिया क्या है ?
युधिष्ठिर - यह बड़ों का कार्टून चैनल है |

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -26 /27/03/15

यक्ष - गोमूत्र और वृषभ मूत्र के क्या अंतर है और क्या समानता है
युधिष्ठिर - दोनों के उदगमस्थल भिन्न है परन्तु दोनों के औषधीय गुण समान होते है |

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -25/26/03/15

यक्ष - जनता की राय में आज का मैच कौन जीतेगा ??
युधिष्ठिर - इस पर जनता एक राय नही है , भारतीय राष्ट्रवादी के अनुसार भारत , आस्ट्रेलियाई राष्ट्र्वादी के अनुसार आस्ट्रेलिया , अन्तर्राष्ट्रीयतावादी की कोई राय ही नही है , बस् दोनों देशो के राजनीतिज्ञ एकमत है .....
यक्ष - राजनीतिज्ञों की राय क्या है ?
युधिष्ठिर - उनकी राय में न यह आस्ट्रेलिया की जीत होगी न इण्डिया की जीत बल्कि यह क्रिकेट जीत होगी .......

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद 24/26/03/15

यक्ष -
मार्क्सवाद क्या है और ये कार्ल मार्क्स कौन हैं ....??
युधिष्ठिर -
मार्क्सवाद जूते का एक ब्रांड है जिसका आविष्कार कार्ल मार्क्स ने किया था | यह लाल रंग का अत्यंत मजबूत , आकर्षक और बहुपयोगी जूता है जो पहनने और चलाने के मामले में बेजोड है परन्तु इसकी सबसे बड़ी बुराई यह है , कि यह काटता बहुत है , इसकी सोल में बहुत तीखीं कीलें लगाई जाती है इसलिए इसे पहनने वालों के लिए इसका अभ्यस्त होना इतना आसान नही होता है |
कच्ची उम्र में यह जूते अनेकों किशोरों को आजमाते देखा गया है परन्तु जल्द ही , जब यह काटने लगता तो उसमे से अधिकाँश इसे पहनना छोड़ कोई आराम देह जूता तलाश लेते है | जो व्यक्ति आरम्भिक कष्ट उठा कर भी इस जूते का जीवन में अभ्यास निरंतर करते रहते हैं , वह न केवल ऊबड़ खाबड रास्तों पर भी आसानी से चल लेते है बल्कि इसका हर प्रकार से उपयोग करने में सक्षम हो जाते हैं | ऐसे लोग की संख्या बहुत ज्यादा नही है |
इस ब्रांड की लोकप्रियता देख कुछ नक्काल इस ब्रांड के नाम पर नकली जूता भी बेच रहे है इसलिए आजकल यह ब्रांड मंदी का शिकार है लिहाजा ऐसे जूतों की खपत भी आजकल कम हो गई है ...

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद 23/25/03/15

यक्ष - महिलाओं के पिछड़ेपन का सूत्र क्या है ?
युधिष्ठिर - वही परम्परागत सूत्र जिसे समाज हमेशा से जपता आया है और कमाल यह कि बिना गम्भीरतापूर्वक विचार किये , महिलाएं भी इस जाप में पीछे नही रहती ...सूत्र कुछ ऐसे है -
'' हर सफल पुरुष के पीछे कोई न कोई महिला अवश्य होती है '' ......

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद 22/25/03/15

यक्ष - ६६ ए हटाने के पीछे क्या कारण है
युधिष्ठिर - आंग्ल भाषा में ए के बाद पचीस और वर्ण है ...उन वर्णों को भी समुचित अधिकार और प्रतिनिधित्व देने के लिए ...

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद 21/25/03/15

यक्ष -
हे राजन ! डकवर्थ और लुईस कौन हैं ?
युधिष्ठिर -
डकवर्थ और लुईस दो काले देवता हैं जो दक्षिण अफ्रीका की रंगभेदी नीति के शिकार हुए थे , इन्होने रंगभेद के खात्मे के लिए अफ्रीका के वर्षावनों में घोर तप किया जिससे प्रसन्न होकर इंद्र देवता प्रकट हुए और इन्हें वरदान दिया कि जब तक दक्षिण अफ्रीका की टीम में वर्ण संतुलन नही स्थापित हो जाता , तब तक मैं इस टीम के विरुद्ध हर वर्ल्ड कप में विघ्न डालूँगा और उसके उपरान्त यह खेल तुम्हारे बनाए नियमों के अनुसार चलेगा ........

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद 20/24/03/15

यक्ष युधिष्ठिर सम्वाद - २०१५
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यक्ष -
दक्षिण अफ्रीका जैसा महान योद्धा , इस महाभारत में कैसे पराजित हो गया ?
युधिष्ठिर -
हर महाभारत में ऐसा ही होता है ......जिस प्रकार कर्ण जैसा महान योद्धा एन वक्त पर ब्रह्मास्त्र प्रयोग करना भूल जाने से वीरगति को प्राप्त हुआ , उसी प्रकार दक्षिण अफ्रीका भी क्षेत्ररक्षण जैसा ब्रह्मास्त्र , एन वक्त पर प्रयोग करना भूल गया ......परिणाम सबके सामने है ...

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -19/24/03/15

यक्ष - किसी भी महान व्यक्ति की मुक्ति का मार्ग क्या है ....
युधिष्ठिर - किसी भी महान व्यक्ति को मुक्त करने के लिए उसे उसकी मिथकीय छवि से मुक्त करना चाहिये ....इसके बिना न केवल उसकी मुक्ति असंभव है वरन वह युगों युगों तक मृत्युलोक के नर्क में लांछित होता रहेगा .....

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद 18/23-03-15

यक्ष - कोई मन की बात कब और क्यों करता है ..
युधिष्ठिर - मन की बात , कोई तब करता है जब उसे यह भय अथवा आशंका हो कि उसके मुँह की बात पर कोई यकीन नही करेगा | यह दरअसल उसके भीतर का भय होता है | जब मुँह और मन की बात में द्वैत होता है तब यह भय उसके भीतर ही भीतर और भयावह हो जाता है लिहाजा मन की बात को बार बार बताते रहना उसकी स्वयं की आश्वस्ति के लिए , एक कारगर मनोवैज्ञानिक उपचार है |
इसके अलावा किसी मनमीत की अनुपस्थिति भी , आदमी को सार्वजनिक तौर पर मन की बात करने पर मजबूर करती है .....

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद 17/22/03/15

यक्ष --- हे धर्मराज ! हाशिमपुरा क्या है ..?
युधिष्ठिर --- हाशिमपुरा , हस्तिनापुर में गंग नहर के किनारे स्थित पीपल का एक विशाल वृक्ष है , इसके सारे हरे पत्ते , वास्तव में प्रेत हैं , मान्यता है कि इस वृक्ष के वे हरे पत्ते जो किन्ही अज्ञात कारणों से टूट कर नहर में गिर , बह जाते हैं उन्हें प्रेत योनि के नर्क से मुक्ति मिल जाती है .....

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद 16 /20/03/15

यक्ष - भ्रष्टाचार मुक्ति हेतु अन्ना हजारे , अरविन्द केजरीवाल सब आमरण अनशन पर बैठे .....लेकिन सफल न हुए , आखिर क्यों ..
युधिष्ठिर - क्योंकि भ्रष्टाचार सांकृतिक प्रश्न है , सांस्कृतिक प्रश्न आमरण अनशन से हल नही होते ,,,,

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -15/20/03/15

यक्ष--- आज कल सभी चैनल वी आई पी कल्चर के खिलाफ का बिगुल बजा रहे है , इस के पीछे क्या कारण है ...
युधिष्ठिर - यह पहल प्रथमदृष्टया अत्यंत सुखद और लोकतंत्र में सामंतवाद के अवशेषों को नेस्तनाबूद करती सी प्रतीत होती है परन्तु ......
यक्ष - कोई किन्तु , परन्तु नही वरना ......जो भी बोलो सत्य बोलो...
युधिष्ठिर - आपको याद होगा फ्रांसीसी में क्रान्ति क्या हुआ था .....स्वतंत्रता , समानता , बन्धुत्व जैसे महान लोकतांत्रिक मूल्यों की स्थापना की पूरी कवायद अन्ततः तत्कालीन विशेषधिकार प्राप्त वर्गों के वर्चस्व को अपदस्थ कर क्रांति का नेतृत्व कर रहे वर्ग के वर्चस्व में तब्दील हो गई थी | आम जनता , जिसने इस क्रान्ति को अपने खून पसीने से सीचा , उसे समाज में न समानता मिली , न बंधुत्व , न स्वतंत्रता ......
यह मुहिम भी उसका भोंडा प्रहसन है जिसका उद्देश्य अत्यंत सीमित है | आपने गौर किया होगा कि ओबामा से मिलने के लिए समाज के इस सर्वाधिक शक्तिशाली वर्ग के प्रतिनिधियों की लाइन में लगने की तस्वीरें जब से आम जनता के बीच वाइरल हुई उन्हें अपने वर्चस्व के दुर्ग में यह बड़ी दरार दिखाई दी जिसे पाटने के लिए यह मुहिम अचानक तेज हुई है | उनसे यह बर्दाश्त नही था कि सिर्फ राजनीतिक प्रभु ही मौजूदा वी आई पी कल्चर के केंद्र में रहे ......
इस कूट उद्देश्य की पूर्ति के लिए हमेशा की तरह इस बार भी बड़ी बड़ी बातें की जा रही है ताकि इसके जरिये जनमत अपने पक्ष में कर यह वर्ग अपना प्रच्छन्न लक्ष्य पूरा कर सके ....

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -14/20/03/15

यक्ष --- जया बच्चन ने आज सदन में मच्छरों की समस्या उठायी , इसका सदन पर क्या प्रभाव पड़ेगा ?
युधिष्ठिर --- इससे सदस्य गण की समझ में आएगा किसी का खून चूसना कितना कष्टदायी होता है |

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद 10/19-03-15

यक्ष -- राजन ! प्लेटफार्म टिकट दुगुना करने के पीछे सरकार की मंशा क्या है ...
युधिष्ठिर-- यह आर पी एफ , जी आर पी और रेलवे चेकिंग स्टाफ को स्व-वित्त पोषित बनाने की दिशा में एक छोटा परन्तु महत्वपूर्ण कदम है ....

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -13 /20/03/15

यक्ष -----राजन ! आज के मैच से देश को क्या फायदा हुआ ...
युधिष्ठिर --- हमने बंगलादेशियों को बाहर कर दिया ....हम सेमीफाइनल में पहुंच गए ...
यक्ष -------- लेकिन इस से देश को क्या फायदा होगा ......
युधिष्ठिर---- फायदा होगा क्योंकि देश में भी यही खेल चल रहा है ......

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -11/19/03/15

यक्ष -- भूमि अधिग्रहण बिल क्या है ?
युधिष्ठिर सोच में पड़ गए ....उनके सामने सरोवर का अधिग्रहीता उपस्थित था , अधिग्रहीताओं के लिए , क्या सरोवर और क्या भूमि ....उन की प्रकृति तो तक एक जैसी ही होती है , धर्मराज थे सो झूठ बोल नही सकते थे , धर्म आड़े आता और समाज के व्यापक हित में साफ़ सीधी बात भी न कह सकते सो उन्होंने अन्योक्ति का सहारा लेने की सोची | काफी सोच विचार कर उन्होने कहा .......
जिस प्रकार मूषक किसानों के श्रम का फल चुरा कर अपने बिल में संग्रहीत कर पुष्ट होते है उसी प्रकार का एक बिल यह भी है .......दोनों में अंतर यह है कि , यह मूषक कर्म , मूषक नही मनुष्य करते हैं ......
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आख़िरी वाक्य कहते कहते युधिष्ठिर , अपने अन्य भाइयों की तरह यक्ष द्वारा शांत कर दिये गए ...........
उधर सरोवर जल से लबालब था परन्तु उसमे कोई हलचल न थी ...यक्ष परम तुष्ट था , कि अब कोई युधिष्ठिर अन्योक्ति में भी सत्य कहने से भयभीत होगा .......

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -12/20/03/15

यक्ष -- राजन ! ' अन्नदाता सुखी भव ' में अन्नदाता से क्या तात्पर्य है ?
युधिष्ठिर - कैंटीन मैनेजर ....

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -9/18-03-15

यक्ष - राजन ! मीडिया क्या है ?
युधिष्ठिर - मीडिया सत्ता का समधियाना है जिसे रीत निभाने के लिए समधी को कभी कभी गरियाना भी पड़ता है.........

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -8/16-03-15

यक्ष - राजन ! दुखती रग कहाँ होती है
युधिष्ठिर - दुखती रग का कोई निश्चित स्थान नही होता
यक्ष - उदाहरण से समझाओ
युधिष्ठिर- उदाहरण के लिए कांग्रेस की दुखती रग लापता है ,भाजपा की उस्के शरीर से मुक्त हो , कश्मीर के मुख्यमंत्री का रक्त परिवहन कर रही है ...

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -7/16-03-15

यक्ष - थिंक टैंक क्या होता है .....?
युधिष्ठिर - कोई जनविरोधी या विवादित बिल को पास कराने के एन पहले या बाद जिस गैर मुद्दे को उछाल के उसे डिफ्लेक्ट या डिफ्यूज किया जा सके , ऐसे मुद्दों की पहचान करने या मैन्युफैक्चर करने वाले समूह को को थिंक टैंक कहते है ......

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -6/13-03-15

यक्ष - राजन ! यह बताओ कलि काल में महाभारत का नया पाठ कैसे किया जाएगा ?
युधिष्ठिर - कलिकाल में महाभारत का थोडा परिवर्तित परन्तु चमत्कार पूर्ण पाठ
प्रत्यक्ष होगा ....सुन सको तो सुनाऊं ...
यक्ष - अवश्य राजन ...
युधिष्ठिर - कलिकाल में इन्द्रप्रस्थ पहले हस्तगत होगा महाभारत तत्पश्चात आरम्भ होगा

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -5/12-03-15

यक्ष - राजन ! आधुनिक आर्यावर्त में किस असुर ने उत्पात मचा रखा है ...
युधिष्ठिर- स्टिंगासुर ने ....

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -4/11.03.15

यक्ष - राजन ! रिहाई कितने प्रकार की होती है
युधिष्ठिर - दो प्रकार की ..एक बा-इज्जत दूसरी बा-मसर्रत

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -3/11-03-15

यक्ष - राजन ! बैन क्या होता है ?
युधिष्ठिर - मन की बात और मुंह की बात के द्वंद में , गला दबाने की क्रिया को बैन कहते है..

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -2 /10-03-15

यक्ष - साहित्य कचरा पेटी क्यूँ होता जा रहा है
युधिष्ठिर - सम्मान के कारण
यक्ष - राजन ! स्पष्ट उत्तर दो
युधिष्ठिर - सारा सम्मान लिखने वालों को , पाठकीय गम्भीरता को कोई सम्मान नही ...

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -1......10/03/15

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद

यक्ष ने युधिष्ठिर से प्रश्न किया - राजन ! कश्मीर क्या है ..??
युधिष्ठिर - कश्मीर भारत का मुकुट है , जिसे नहाते और सोते वक्त भी पहने रहना पड़ता है |

मंगलवार, 7 अप्रैल 2015

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद

यक्ष -
हे राजन ! दिल्ली क्या है ?
युधिष्ठिर -
दिल्ली आर्यावर्त में स्थित सबसे बड़ा दलदल है | विज्ञान कहता है , कि दलदल में सीधे खड़ा रहने वाला प्राणी सबसे असुरक्षित होता है और रेंगने की कला में माहिर किसी भी दलदल में सबसे सुकून में रहता है |

यक्ष - युधिष्ठिर सम्वाद

यक्ष - स्त्री - विमर्श क्या है ?
युधिष्ठिर - स्त्री- विमर्श एक ऐसा स्वप्न है जिसमे स्त्री देखती है की वह अकेले , अलग से मुक्त हो सकती है | अलार्म बजने के साथ ही उसका यह स्वप्न टूट जाता है ..