सोमवार, 2 नवंबर 2015

७१ /१२ /४/१५

यक्ष -
मताधिकार छीन लेने के फायदे क्या क्या है ?
युधिष्ठिर -
पहले यह समझ ले कि मताधिकार न होना और मताधिकार छीन लेना दो अलग अलग अवस्थिति है | मसलन , १८ साल से नीचे मताधिकार नहीं होता लेकिन उनके और बाकी लोगों में कोई फर्क नहीं होता सिवाय मत देने के अधिकार के | मताधिकार छीन लेने से व्यक्ति का स्टेटस बिलकुल अलग हो जायेगा | मताधिकार छीन लेने के तो बस् फायदे ही फायदे हैं | लोकतांत्रिक प्रणाली में लोगो के मतो से ही संसद के सदस्य चुने जाते हैं और संसद गठित होती है | संसद कानून बनाती है और उन कानूनों के पालन के लिए संसद देश की सरकार भी बनाती है |
जिन लोगों को मताधिकार नहीं होगा , उनके लिए संसदीय प्रणाली में कोई भी कानून बाध्यकारी नहीं होगा क्योंकि ऐसी संसद तो उन के द्वारा चुनी ही नहीं गयी है .....लिहाजा व्यावहारिक रूप में , उन्हें न तो टैक्स देना पड़ेगा , न ही उनके ऊपर आई पी सी , सी आर पी सी के प्रावधान लागू होंगे वगैरह वगैरह ......ऐसा इसलिए कि सरकार के पास उनके ऊपर शासन करने का , न तो विधिक , न ही नैतिक और न ही लोकतांत्रिक अधिकार होगा |
मजे की बात तो यह कि उन लोगो के सारे मौलिक अधिकार बाकायदा सुरक्षित रहेंगे क्योंकि राष्ट्र के प्रत्येक व्यक्ति के मौलिक अधिकारों की सुरक्षा राज्य की जिम्मेवारी है चाहे उसके पास मताधिकार हो या न हो ...... .....यह मृत्युलोक में स्वर्गिक अनुभूति जैसा है ........

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें