शुक्रवार, 17 अप्रैल 2015

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -33/29/03/15

यक्ष - क्रिकेट क्या है .......
युधिष्ठिर - क्रिकेट एक लचीला रबर जैसा पदार्थ है जिसे जितना चाहे छोटा या बड़ा किया जा सकता है | इस पदार्थ को '' खेल '' का नाम दुनिया का सबसे बड़े जमींदार ने दिया यह कभी उनके मनोरंजन मुख्य साधन हुआ करता था | जमींदारी की हनक जाने के बाद , इस पदार्थ से अब पौनी परजा भी अपना मनोरंजन कर लेती है | यह पदार्थ एक मिश्र धातु है जिसमे , ३५ % मनोरंजन और ५० % जुआ मिश्रित है और खेल का तत्व मात्र १५ % पाया जाता है |
इसमें जुए नामक तत्व की कथा सबसे विचित्र है | इसमें कुछ मौलिक और करामाती विशेषता है | बाज़ दफा इसमें दांव पर लगने वाला और दांव लगाने वाला अक्सर एक होता है | इसके अलावा इस जुए पर निपुण लोग हार के भी जीत जाते है और इस खेल के बाजीगर माने जाते है | !
इस खेल में जुआ मैदान से बाहर भीतर दोनों जगह खेला जाता है | ,बाहर होने वाले जुआ '' सट्टेबाजी '' कहलाता है | मैदान के भीतर यह जुआ दो प्रकार से खेला जाता है |
पहला '' नियन्त्रित '' और दूसरा '' अनियंत्रित '' |
नियंत्रित जुए को टेक्निकल शब्दावली में '' फिक्सिंग '' कहते है |
अनियंत्रित जुआ यानि जुए का परम्परागत रूप जो विशुद्ध रूप से भाग्य पर निर्भर करता है |
जैसे टास का परिणाम से सम्बन्ध , जैसे खराब बाल पे विकेट मिल जाना और अच्छी बाल पर छक्का पड जाना , अचानक एक थ्रो और जमा जमाया खिलाड़ी रन आउट ( वो भी साथी की गलती से | कठिन कैच पकड़ लिया जाना और आसान कैच छूट जाना , अचानक बारिश हो जाना , ओस पड़ जाना ...आदि आदि
इसके अलावा , इस कथित खेल में , एक टीम जिन हालातों में बल्लेबाजी करती है दूसरी टीम उस से अलग वातावरण में , यही गेंदबाजी के बारे में भी , यह इस खेल की अनन्य विशिष्टता है जो किसी अन्य खेल में नही पाई जाते ........ऐसे अनेकानेक खेल-कौशल से असम्बद्ध कारकों पर इस का परिणाम निर्भर करता है जो इसे अनप्रेडिक्टेबल बनाता है जिस के कारण यह खेल जुए से भी ज्यादा रोमांचक और मनोरंजक हो जाता है | इसी अनप्रेडिक्टेबिलितटी के अवगुण को इसकी यू एस पी बताया जाता है , जो वास्तव में केवल जूए की लाक्षणिकता और विशिष्टता होती है |
मनोरंजन के लिए इसमें कई और चीजें इसमें मिलाई जाती हैं मसलन चीयर गर्ल , रंग बिरंगे परिधान , फ्लड लाइट्स , नाईट पार्टीज़ , चकाचौंध करने वाले विज्ञापन , चैनलों पर वृन्द गान , टुटपुंजिया गीतों और कविता आधारित कार्यक्रम , सेलेब्रिटीज़ का शामिलबाज़ा आदि आदि इत्यादि ......यह इकलौता खेल है जो नियति निष्ठा और कर्मनिष्ठा , दोनों को एक साथ साध पाने में सक्षम है | इन तमाम वज़हों से यह दौलत के खुदाओं का पसंदीदा बना हुआ है......

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