मंगलवार, 2 फ़रवरी 2016

6 June 2015 ·


यक्ष -
स्क्रीन शाट्स क्या होते है और क्यों लिए जाते हैं |
युधिष्ठिर -
स्क्रीन शाट्स अजीबो गरीब हवाएं है जो माहौल को तो गर्म कर देती है परन्तु जिनकी तासीर सर्द होती है | इसके प्रभाव से कईयों की कंपकंपी छूट जाती है | सर्द तासीर होने के कारण यह हवा खुश्की पैदा करती है , जिससे चेहरे का मेकप सूख जाता है और यह पपड़ी एक झटके में गिर जाती है | स्क्रीन शाट्स नेगेटिव् इनर्जी से लबरेज होते हैं और इसलिए लिए जाते हैं ताकि सनसनी पैदा हो सके | इनका और कोई सार्थक और सकारात्मक रोल नहीं होता |
यक्ष -
स्क्रीन शाट्स किस प्रकार के लोग लेते हैं ?
युधिष्ठिर -
यह हर प्रकार के लोग ले सकते है परन्तु सांख्यिकी विभाग के आंकड़े बताते है कि ऐसा करने में महिलाएं आज भी पुरषों से आगे है ....
यक्ष -
ऐसा क्यों है कि इसमें महिलाएं आगे हैं ?
युधिष्ठिर -
ऐसा इसलिए है कि समाज में पितृसत्ता के मूल्य बहुत गहरे पैठे हैं बस् यह आभासी जगत ही ऐसा है जहाँ महिलाएं एक हद तक स्वतंत्र है | इसलिए , स्क्रीन शाट्स के जरिये वे पुरुष और महिला सम्बन्धों के पीछे की मनोरचना के आधार पर फीमेल विक्टिमाईजेशन को सुबूत के साथ प्रूव करना चाहती हैं और अक्सर इसमें सफल रहती हैं | यक्ष -
स्क्रीन शाट्स पर तुम्हारी क्या राय है ?
युधिष्ठिर -
मेरा स्पष्ट मानना है कि अब भी हम आधुनिक मूल्य बोध से लैस समाज नहीं है | स्क्रीन शाट्स के जरिये महिलाए भी यौन सम्बन्धों के प्रति अपने पिछड़ेपन का ही सुबूत देती है जैसा कि पुरुष | स्त्री पुरुष में परस्पर आकर्षण प्रकृति प्रदत्त है और यौन सम्बन्ध इसका अविभाज्य अंग है | यौन- स्वतंत्रता , यौन स्वछंदता से होते हुए यौन अराजकता में न बदल जाए इसलिए हर समाज इसका नियमन करता है | एक आधुनिक और विकसित समाज को क्रमशः नियमन की भी जरूरत नही होती वह मूल्य के तौर पर इन्हें जीने लगता है , तब ही स्वस्थ यौन संस्कार और यौन संस्कृति निर्मित होती है .....
आधुनिक मूल्य को जीने वाले पुरुष और स्त्री यौन आग्रहों के प्रति वही द्रष्टि रखेंगे जो कोई दो बालिग़ स्वतंत्र निर्णय लेने में समर्थ व्यक्ति किसी भी आग्रह के प्रति रखेंगे | आपसी सहमति और असहमति का सम्मान करेंगे | इसे किसी चारित्रिक दुर्बलता से नहीं जोड़ के देखेंगे |
मसलन , पांचाली ( मेरी पत्नी न होती तब भी ) और मेरे सम्बन्ध तब ही स्थापित होंगे जब दोनों की मर्जी होगी | ऐसा प्रस्ताव वह भी कर सकती है और मैं भी और अस्वीकार भी दोनों ही कर सकते हैं | यह आग्रह न ही चारित्रिक दुर्बलता है न ही किसी प्रकार के सार्वजनिक कौतूहल या विवेचना का विषय | यौन आग्रहों की प्रकृति भी उसी तरह की है जैसे कि हम दोनों और कोई अन्य अजनबी वयस्क स्त्री पुरुष वन विहार , या किसी अन्य क्रीडा हेतु कोई आग्रह करें ..... एक पिछड़ा समाज यौनिकता को नितांत भिन्न मनोवैज्ञानिक भाव का दर्ज़ा देने लगता है ......वह इसे सहज मानवीय भाव के बजाय इसमें प्रच्छन कूट भंगिमा पढ़ने लगता है .....यह हमारे समाज के यौनिकता की विकृत अवस्थिति दर्शाता है ....फिलहाल इन विसंगतियों , विकारों से सचेत हो जूझना है .....हमे लांछना के बजाय समाज की मूल्य वंचना पर रोना है और साथ ही इसे धोना भी है

6 June 2015 ·


यक्ष - सबसे स्लो अराइवल और डिपार्चर किस प्लेन का होता है ?
युधिष्ठिर - जिस प्लेन में नरेन्द्र मोदी सफर करते है |
यक्ष - वो भला कैसे राजन ?
युधिष्ठिर -
मीडिया सुबह से बताता रहता है पहुँचने वाले हैं ...कुछ ही देर में पहुँचने वाले हैं ...और दोपहर में पहुँचते है | यही हाल डिपार्चर में भी होता है .....
अब जाने वाले है ..अब जाने वाले हैं ...निकल चुके , निकल चुके ...चढ़ गए, चढ़ गए ....हाथ मिलाये , हाथ मिलाए ...हाथ हिलाए , हाथ हिलाए ...प्लेन में अब घुसे ..घुसे .....घुस गए , घुस गए ....बैठ गए बैठ गए .....गए गए गए ...उड़ गए.....उधिया गए .......

5 June 2015 ·

यक्ष -
अच्छे दिन आते हैं तो क्या होता है ?
युधिष्ठिर -
अच्छे दिन आते हैं तो ....
पारूपल्ली कश्यप ...वर्ल्ड नम्बर वन चेन लांग को हरा देते हैं ...

5 June 2015 ·

यक्ष -
एक टैक्सी चालक के अपराध के लिए क्या टैक्सी कम्पनी को बैन करना चाहिये ? इस निर्णय का औचित्य निर्धारण करो |
युधिष्ठिर -
बिलकुल करना चाहिये .....यह एक अत्यंत क्रांतिकारी निर्णय है | ऐसा निर्णय लेना सबके बस की बात नहीं | जहाँ तक औचित्य निर्धारण का सवाल है तो आप यह देखें कि यदि ऐसा नही हो तो टैक्सी कम्पनियां बिना जांचे परखे किसी को भी रख लेंगी और समाज में अपराध बढ़ेंगे | यह समाज की सुरक्षा के व्यापक हित में लिया गया कठोर कदम है |
मेरा मानना है कि राघव जी प्रकरण के बाद भाजपा को , कलमाडी प्रकरण के बाद कांग्रेस को , डी राजा प्रकरण के बाद द्रमुक को भी बैन किया जाना चाहिये था ....ऐसा ही निर्णय अन्य दलों , संस्थाओं , न्याय पालिका , कार्यपालिका , विधायिका , संसद , पब्लिक सेक्टर , प्राइवेट सेक्टर यानि सब जगहों पर बिना किसी भेदभाव के लागू किया जाना चाहिये ..........मेरा वश चले तो देश में एक भी अपराधी मिलने पर देश की भी मान्यता रद्द हो जानी चाहिये ..

परन्तु दुःख यह है कि इतना क्रांतिकारी कदम उठाने के लिए अरविंद जैसा जितेन्द्र और सिंह जैसा बहादुर होना पडेगा ........

5 June 2015 ·


यक्ष -
मैगी का नेक्स्ट विज्ञापन क्या होने वाला है ?
युधिष्ठिर -
मैगी में MSG नही है ........(धीर गम्भीर मुद्रा और काक कंठ ) ..
इसमें देश का नमक है / देश बोले तो .( मधुर स्मित लिए , कोकिल कंठ से ) .........................टाटा ( पुरुष कोरस आक्रामकता और जूनून के साथ हाथ उठाते )

जो देश से करे प्यार / वो मैगी से ................कैसे करें इनकार ( बच्चे कोरस में ) ...
मैगी खाओ खुद जान जाओ ( स्वस्थ प्रसन्न बच्चों का समूह ...तरन्नुम में )
( नेपथ्य में क्लोजिंग वृन्द गान ..)
चैनल चैनल बात चली है पता चला है .......
देश में मल्टिनेशनल कोई फूल खिला है ......फूल खिला है
जिसमे देश का नमक मिला है .................नमक मिला है .
( स्वर मद्धम होते हुए ....)

4 June 2015

यक्ष -
किसी जवान लडके से मिलते ही लोग ये क्यों पूछते हैं कि कुछ '' करते धरते '' हो कि नही ....
युधिष्ठिर-
''करना धरना '' कलियुग का मुहावरा है
ऐसा माना जाता है कि जब तब तक कोई कुछ धरे नही , तब तक कुछ भी करना , करना नही माना जाता ....यह नए जमाने की मस्लहत है .......

3 June 2015 ·

यक्ष -
दालों के दाम इतनी तेज़ी से क्यों बढ़ रहे हैं ? अब लोग रोटी दाल कैसे खायेंगे ?
युधिष्ठिर -
तो क्या हुआ , किस डाक्टर ने कहा है कि रोटी बिना दाल के नही खाई जा सकती | रोटी घी-नमक लगा कर , मक्खन के साथ , दूध के साथ , सब्जी के साथ भी तो खाई जा सकती है | दाल का महंगा होना देश के हित में है | यह सरकार द्वारा अच्छे दिनों का जमीनी अहसास कराने की पालिसी के तहत हो रहा है | इसमें चिंतित होने वाली कोई बात नहीं है | जब तक लोगों को दाल उपलब्ध होती रहेगी तब तक लोगों को उसमे कुछ न कुछ काला दिखता रहेगा | न रहेगी दाल न दिखेगा काला | जिन दिनों दाल में कुछ काला न दिखे समझ लो कि बस् अच्छे दिन आ गए .......