बुरा
लगे या अच्छा लगे, लेकिन , चाँद , सूरज , तारों , के दिखने , न दिखने , पूरा
दिखने , आधा दिखने , कम दिखने , ज्यादा दिखने , को शुभ या अशुभ मानते रहेंगे , ऐसी सामान्य रूटीनी खगोलीय घटनाओं के आधार पर जब तक हम तमाम तीज, त्योहारों , व्रतों को निर्धारित करते
रहेंगे तब तक हम ब्रम्हांड के रहस्यों को विज्ञान के जरिये कितना भी
बेपर्दा करते रहें हमारी चेतना पे जो पर्दा पड़ा है वह कभी नही हट पायेगा
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