मंगलवार, 2 फ़रवरी 2016

6 June 2015 ·


यक्ष -
स्क्रीन शाट्स क्या होते है और क्यों लिए जाते हैं |
युधिष्ठिर -
स्क्रीन शाट्स अजीबो गरीब हवाएं है जो माहौल को तो गर्म कर देती है परन्तु जिनकी तासीर सर्द होती है | इसके प्रभाव से कईयों की कंपकंपी छूट जाती है | सर्द तासीर होने के कारण यह हवा खुश्की पैदा करती है , जिससे चेहरे का मेकप सूख जाता है और यह पपड़ी एक झटके में गिर जाती है | स्क्रीन शाट्स नेगेटिव् इनर्जी से लबरेज होते हैं और इसलिए लिए जाते हैं ताकि सनसनी पैदा हो सके | इनका और कोई सार्थक और सकारात्मक रोल नहीं होता |
यक्ष -
स्क्रीन शाट्स किस प्रकार के लोग लेते हैं ?
युधिष्ठिर -
यह हर प्रकार के लोग ले सकते है परन्तु सांख्यिकी विभाग के आंकड़े बताते है कि ऐसा करने में महिलाएं आज भी पुरषों से आगे है ....
यक्ष -
ऐसा क्यों है कि इसमें महिलाएं आगे हैं ?
युधिष्ठिर -
ऐसा इसलिए है कि समाज में पितृसत्ता के मूल्य बहुत गहरे पैठे हैं बस् यह आभासी जगत ही ऐसा है जहाँ महिलाएं एक हद तक स्वतंत्र है | इसलिए , स्क्रीन शाट्स के जरिये वे पुरुष और महिला सम्बन्धों के पीछे की मनोरचना के आधार पर फीमेल विक्टिमाईजेशन को सुबूत के साथ प्रूव करना चाहती हैं और अक्सर इसमें सफल रहती हैं | यक्ष -
स्क्रीन शाट्स पर तुम्हारी क्या राय है ?
युधिष्ठिर -
मेरा स्पष्ट मानना है कि अब भी हम आधुनिक मूल्य बोध से लैस समाज नहीं है | स्क्रीन शाट्स के जरिये महिलाए भी यौन सम्बन्धों के प्रति अपने पिछड़ेपन का ही सुबूत देती है जैसा कि पुरुष | स्त्री पुरुष में परस्पर आकर्षण प्रकृति प्रदत्त है और यौन सम्बन्ध इसका अविभाज्य अंग है | यौन- स्वतंत्रता , यौन स्वछंदता से होते हुए यौन अराजकता में न बदल जाए इसलिए हर समाज इसका नियमन करता है | एक आधुनिक और विकसित समाज को क्रमशः नियमन की भी जरूरत नही होती वह मूल्य के तौर पर इन्हें जीने लगता है , तब ही स्वस्थ यौन संस्कार और यौन संस्कृति निर्मित होती है .....
आधुनिक मूल्य को जीने वाले पुरुष और स्त्री यौन आग्रहों के प्रति वही द्रष्टि रखेंगे जो कोई दो बालिग़ स्वतंत्र निर्णय लेने में समर्थ व्यक्ति किसी भी आग्रह के प्रति रखेंगे | आपसी सहमति और असहमति का सम्मान करेंगे | इसे किसी चारित्रिक दुर्बलता से नहीं जोड़ के देखेंगे |
मसलन , पांचाली ( मेरी पत्नी न होती तब भी ) और मेरे सम्बन्ध तब ही स्थापित होंगे जब दोनों की मर्जी होगी | ऐसा प्रस्ताव वह भी कर सकती है और मैं भी और अस्वीकार भी दोनों ही कर सकते हैं | यह आग्रह न ही चारित्रिक दुर्बलता है न ही किसी प्रकार के सार्वजनिक कौतूहल या विवेचना का विषय | यौन आग्रहों की प्रकृति भी उसी तरह की है जैसे कि हम दोनों और कोई अन्य अजनबी वयस्क स्त्री पुरुष वन विहार , या किसी अन्य क्रीडा हेतु कोई आग्रह करें ..... एक पिछड़ा समाज यौनिकता को नितांत भिन्न मनोवैज्ञानिक भाव का दर्ज़ा देने लगता है ......वह इसे सहज मानवीय भाव के बजाय इसमें प्रच्छन कूट भंगिमा पढ़ने लगता है .....यह हमारे समाज के यौनिकता की विकृत अवस्थिति दर्शाता है ....फिलहाल इन विसंगतियों , विकारों से सचेत हो जूझना है .....हमे लांछना के बजाय समाज की मूल्य वंचना पर रोना है और साथ ही इसे धोना भी है

6 June 2015 ·


यक्ष - सबसे स्लो अराइवल और डिपार्चर किस प्लेन का होता है ?
युधिष्ठिर - जिस प्लेन में नरेन्द्र मोदी सफर करते है |
यक्ष - वो भला कैसे राजन ?
युधिष्ठिर -
मीडिया सुबह से बताता रहता है पहुँचने वाले हैं ...कुछ ही देर में पहुँचने वाले हैं ...और दोपहर में पहुँचते है | यही हाल डिपार्चर में भी होता है .....
अब जाने वाले है ..अब जाने वाले हैं ...निकल चुके , निकल चुके ...चढ़ गए, चढ़ गए ....हाथ मिलाये , हाथ मिलाए ...हाथ हिलाए , हाथ हिलाए ...प्लेन में अब घुसे ..घुसे .....घुस गए , घुस गए ....बैठ गए बैठ गए .....गए गए गए ...उड़ गए.....उधिया गए .......

5 June 2015 ·

यक्ष -
अच्छे दिन आते हैं तो क्या होता है ?
युधिष्ठिर -
अच्छे दिन आते हैं तो ....
पारूपल्ली कश्यप ...वर्ल्ड नम्बर वन चेन लांग को हरा देते हैं ...

5 June 2015 ·

यक्ष -
एक टैक्सी चालक के अपराध के लिए क्या टैक्सी कम्पनी को बैन करना चाहिये ? इस निर्णय का औचित्य निर्धारण करो |
युधिष्ठिर -
बिलकुल करना चाहिये .....यह एक अत्यंत क्रांतिकारी निर्णय है | ऐसा निर्णय लेना सबके बस की बात नहीं | जहाँ तक औचित्य निर्धारण का सवाल है तो आप यह देखें कि यदि ऐसा नही हो तो टैक्सी कम्पनियां बिना जांचे परखे किसी को भी रख लेंगी और समाज में अपराध बढ़ेंगे | यह समाज की सुरक्षा के व्यापक हित में लिया गया कठोर कदम है |
मेरा मानना है कि राघव जी प्रकरण के बाद भाजपा को , कलमाडी प्रकरण के बाद कांग्रेस को , डी राजा प्रकरण के बाद द्रमुक को भी बैन किया जाना चाहिये था ....ऐसा ही निर्णय अन्य दलों , संस्थाओं , न्याय पालिका , कार्यपालिका , विधायिका , संसद , पब्लिक सेक्टर , प्राइवेट सेक्टर यानि सब जगहों पर बिना किसी भेदभाव के लागू किया जाना चाहिये ..........मेरा वश चले तो देश में एक भी अपराधी मिलने पर देश की भी मान्यता रद्द हो जानी चाहिये ..

परन्तु दुःख यह है कि इतना क्रांतिकारी कदम उठाने के लिए अरविंद जैसा जितेन्द्र और सिंह जैसा बहादुर होना पडेगा ........

5 June 2015 ·


यक्ष -
मैगी का नेक्स्ट विज्ञापन क्या होने वाला है ?
युधिष्ठिर -
मैगी में MSG नही है ........(धीर गम्भीर मुद्रा और काक कंठ ) ..
इसमें देश का नमक है / देश बोले तो .( मधुर स्मित लिए , कोकिल कंठ से ) .........................टाटा ( पुरुष कोरस आक्रामकता और जूनून के साथ हाथ उठाते )

जो देश से करे प्यार / वो मैगी से ................कैसे करें इनकार ( बच्चे कोरस में ) ...
मैगी खाओ खुद जान जाओ ( स्वस्थ प्रसन्न बच्चों का समूह ...तरन्नुम में )
( नेपथ्य में क्लोजिंग वृन्द गान ..)
चैनल चैनल बात चली है पता चला है .......
देश में मल्टिनेशनल कोई फूल खिला है ......फूल खिला है
जिसमे देश का नमक मिला है .................नमक मिला है .
( स्वर मद्धम होते हुए ....)

4 June 2015

यक्ष -
किसी जवान लडके से मिलते ही लोग ये क्यों पूछते हैं कि कुछ '' करते धरते '' हो कि नही ....
युधिष्ठिर-
''करना धरना '' कलियुग का मुहावरा है
ऐसा माना जाता है कि जब तब तक कोई कुछ धरे नही , तब तक कुछ भी करना , करना नही माना जाता ....यह नए जमाने की मस्लहत है .......

3 June 2015 ·

यक्ष -
दालों के दाम इतनी तेज़ी से क्यों बढ़ रहे हैं ? अब लोग रोटी दाल कैसे खायेंगे ?
युधिष्ठिर -
तो क्या हुआ , किस डाक्टर ने कहा है कि रोटी बिना दाल के नही खाई जा सकती | रोटी घी-नमक लगा कर , मक्खन के साथ , दूध के साथ , सब्जी के साथ भी तो खाई जा सकती है | दाल का महंगा होना देश के हित में है | यह सरकार द्वारा अच्छे दिनों का जमीनी अहसास कराने की पालिसी के तहत हो रहा है | इसमें चिंतित होने वाली कोई बात नहीं है | जब तक लोगों को दाल उपलब्ध होती रहेगी तब तक लोगों को उसमे कुछ न कुछ काला दिखता रहेगा | न रहेगी दाल न दिखेगा काला | जिन दिनों दाल में कुछ काला न दिखे समझ लो कि बस् अच्छे दिन आ गए .......

3 June 2015 ·


यक्ष - ढोल .....दूर से ही सुहाने क्यों लगते है ?
युधिष्ठिर - क्योंकि पास होने से ये राज़ फाश हो जाता है कि ये सुहानी आवाज़ किसी की खाल उतरवा कर उसे मुसलसल पीटने से पैदा हुई है........

3 June 2015 ·

यक्ष -
मैगी क्या है ?
युधिष्ठिर -
मैगी ..........एक केलाइडोस्कोप है जिसमे कई छवियाँ दिखती हैं |
मैगी.......... महानायकों नायिकाओं के लिए एंडोर्समेंट की कमाई है |
मैगी ..........नेस्ले के लिए शेयर मार्केट में उसका परफार्मेंस टेस्ट है |
मैगी ...........डाक्टरों के लिए रोगियों की परमानेंट सप्लाई लाइन है |
मैगी ...........पेरेंट्स की काहिली का सटीक और सक्सेसफुल एक्सक्यूज है |
मैगी ...........उस क्लास के बच्चों के लिए मिड डे मील है जिसमें गडबडी मिलने पर तूफ़ान खड़ा हो जाता है | सैम्पल टेस्टिंग के लिए भेजे जाने लगते है , चैनलों पर डिस्कशन ट्रिगर हो जाते है , अखबार के पन्ने रंगे जाने लगते है .....
मैगी ............उन बच्चों की हसरत है जिनकी मिड डे मील में कीड़े मकोड़े मिलते है लेकिन उसका सैम्पल किसी लैब में नही भेजा जाता | जो किसी अखबार के कोने में कराहते , किसी स्क्राल में तेज़ी से गुज़र ...जेहन से ओझल हो जाते हैं ....

3 June 2015 ·


यक्ष -
सबसे कुटिल परिचितों और रिश्तेदारों के क्या लक्षण होते हैं ?
युधिष्ठिर -
सबसे कुटिल परिचित वे होते हैं , जो आपके सहज शिष्टाचारवश दिये गए आमंत्रण पर अमल करते हुए , आपके घर सपरिवार आ धमकते है , ऐन उस वक्त पर जब आपका पसंदीदा सीरियल आ रहा होता है |
सबसे कुटिल रिश्तेदार वे होते है जो फोन पर ही हालचाल लेते रहते हैं और आपके प्रेम भरे उलाहने कि छुटकी को तो उसके जन्म के बाद से देखा ही नही , अब तो काफी बड़ी हो गई होगी, , को , अपने रजिस्टर में F.I.R की तरह दर्ज कर इस अपराधबोध से मुक्ति के लिए , अगले ही हफ्ते फोन करके , छुटकी की शादी हेतु उसे दिखाने का पूरा प्रोग्राम ही आपके गरीब खाने में आयोजित कर आपकी सारी शिकायतें एक झटके में दूर करने का ऐलान कर देते हैं......
ये वो मोहब्बतें हैं जो न निगली जाए और न ही उगली जाए है .....

2 June 2015 ·

यक्ष -
आज जितने लोग नेट इस्तेमाल कर रहे हैं उनके बारे यकीनी तौर पर क्या कहा जा सकता है ..?
युधिष्ठिर - उनके बारे में यकीनी तौर पर यह कहा जा सकता है कि उन्हें २ जून की रोटी की कोई किल्लत नही है ...

2 June 2015 ·


यक्ष -
क्या सेलेब्रेटीज़ पर मैगी के एंडोर्समेंट के लिए मुकदमा किया जाना चाहिये | क्या ऐसे एंडोर्समेंट में कुछ गलत या गैरकानूनी है ?
युधिष्ठिर -
कत्तई और कत्तई नहीं .......महानायकों , महानायिकाओं , भारत रत्नों , पद्म भूषणों पर उंगली उठाने का विधान नही है .....इनसे कभी कोई गलत काम नही होता |
होठों पे सचाई रहती है जहाँ दिल में सफाई रहती है हम उस देश के वासी है , जिस देश में गोरेपन की क्रीम बिकती है , गंज दूर करने का तेल बिकता है , तमाम यंत्र तन्त्र मंत्र बिकता है .....भगावन की कृपा को महा मर्त्य मानव एंडोर्स करता है उस देश में कोई भी एंडोर्समेंट गलत कैसे हो सकता है ......
हे यक्ष ! यह क्या कम है कि हमारे महानायक गण अभी लिंग के पतलेपन टेढ़ेपन छोटेपन के लिए पूंजी की देवी के सामने नंगे हो इसे एंडोर्स करते नही दिख रहे है ......

2 June 2015

यक्ष -
रवीश बतौर एंकर कब अपना बेस्ट देते है ?
युधिष्ठिर -
तब जब वह किसी तकनीकी विषय में बउक की भूमिका में होते है , या वास्तव में बउक होते भी है | बिलकुल सहज जिज्ञासा , सामान्य परन्तु सटीक प्रश्न , और जन साधारण के दिमाग में उठने वाले अति साधारण सवाल उठाते हुए ....
जैसे कि आज , अर्थव्यस्था की गुलाबी कलई उतारते , जी डी पी के आंकड़ों की बाजीगरी के पीछे का सच खंगालते हुए ....आम दर्शक भी इन मसलों पर ऐसा ही बउक होता है और खुद को रवीश से आइडेंटीफाई करने लगता है .....

2 June 2015

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यक्ष -
आखिर मोदी जी ने बाबुल सुप्रियो में ऐसा क्या देखा कि उसे मंत्री बना दिया ?.
युधिष्ठिर -
हे यक्ष ! यह प्रश्न मुझसे किया ही नही जाना चाहिये | अब जबकि आपने यह प्रश्न कर दिया सो मैं बता दूं कि मैं आपकी तरह निष्ठुर और क्रूर नही हूँ , मुझे आपकी फ़िक्र है इसलिए कुछ नहीं बोलूँगा और इस प्रश्न को मुद्दा भी नहीं बनाऊंगा | बेहतर हो आप अपना अगला प्रश्न करें .......क्योंकि ...
यह प्रश्न ...उसी तरह '' यक्ष प्रश्न ' होने की अहर्ता नहीं रखता ...जैसे बाबुल सुप्रियो केन्द्रीय मंत्री होने की ....

2 June 2015


यक्ष -
श्रद्धांजलि क्या होती है ?
आंबेडकर साब को इतनी जोर-शोर से श्रद्धांजली देने की होड़ क्यों मची है ?
युधिष्ठिर -
किसी का काम तमाम हो जाने पर की जानी वाली आवर्ती क्रिया को श्रद्धांजलि कहते हैं | सामान्यतया श्रद्धांजलि अंजुरी में फूल रख अर्पित करने का कर्मकांड होता है परन्तु जिसके आचार विचार और स्मृति को फुल और फाइनल करना होता है उसे तोपों की सलामी दी जाती है | फुल एंड फाइनल करना ही तोप का कर्तव्य है | वैसे फूलों की श्रद्धांजलि इस सलामी के पहले और बाद भी बदस्तूर जारी रह सकती है , ऐसा श्रद्धांजलि के शास्त्रों में वर्णित है | शास्त्रों के अनुसार , शाख से टूटे हुए फूल कुछ ही घंटों में मुरझा अपनी सुरभि और सौन्दर्य दोनों खो देते है | श्रद्धांजलि का अभीष्ट भी यही होता है | आंबेडकर साब को अम्बेडकरवादी पार्टियां पहले ही तोपों की सलामी दे चुकी हैं | जो अब तक नही दे पाए थे वे अब इसी फाइनल असाल्ट की तैयारी में लग गए है .....ताकि बाबा साहेब को श्रन्द्धाजलि देने का बचा हुआ कर्तव्य पूरे जोर से और पूरे शोर से वे भी निभा कर अपने कर्तव्य और बाबा साहेब दोनों की इतिश्री कर सकें ...

2 June 2015 ·



यक्ष -
नैसर्गिक गुण किसे कहते हैं , गाना और रोना इन दोनों को क्या नैसर्गिक गुण कहा जा सकता है ?
युधिष्ठिर -
जी ! बिलकुल कहा जा सकता है | आदमी जिन्दा रहे इसके लिए प्रकृति ने उसे कुछ नैसर्गिक गुण प्रदान किये हैं | कहते हैं , गाना और रोना सबको आता है | ऐसा इसलिए हैं कि गाना श्रम का बोझ कम करता है और रोना गम का ......श्रम और गम यह दोनों आदमी की जिंदगी में अपरिहार्य हैं लिहाजा प्रकृति ने मनुष्य को यह दो विलक्षण गुण प्रदान किये हैं |

30 June 2015 ·


यक्ष -
लोक तन्त्र में जनता क्या सचमुच जनार्दन होती है ?
युधिष्ठिर -
नही ....कत्तई नहीं ....जनता जनार्दन सिर्फ जुमलेबाजी है | जनता को जनार्दन की संज्ञा वही देते हैं जिनकी मुट्ठी में यह तन्त्र होता है | जैसे किसी बच्चे से काम निकालने या मनाने के लिए उसे राजा बेटा या रानी बिटिया कह के पुचकारा जाता है , ठीक उसी तरह ....दोनों पुचकार में जो तात्विक अंतर है वह नीयत में है ...

27 June 2015 ·

यक्ष -
क्या भारत हॉकी का ओलम्पिक गोल्ड फिर से जीत सकता है ?
युधिष्ठिर -
बिलकुल ! बस , मैदान में उन सलाहियतों को एक साथ इस्तेमाल करना है जो हमारे अंदर आलरेडी कूट कूट कर भरी है | जिसका हम रोज़ अभ्यास भी करते है | यानि......रेलवे क्रासिंग खुलने के बाद जैसी स्पीड हम जेनरेट करते है , वैसी स्पीड .....ट्रैफिक जाम से निकलने की कोशिश के समय बाइक ड्रिबल जैसी हम दिखाते हैं , वैसी स्किल ......कालेज गोइंग गर्ल्स को उनके क्लास मेट्स जैसा मार्क करके रखते है , वैसी मार्किंग ........और एक मजदूर जितनी हाड तोड़ मशक्कत करने वाला स्टेमिना ........ यदि ऐसा मैदान में हम कर पाए तो ओलम्पिक गोल्ड फिर से जीतने से भारत को कोई नही रोक सकता ...

27 June 2015 ·


यक्ष -
ललितगेट में किसकी सबसे ज्यादा बेइज्ज़ती हुई ? कौन मुंह दिखाने लायक भी नही रहा ?
युधिष्ठिर - कांग्रेस ......
यक्ष -
यह तुम क्या बात कर रहे हो ...आखिर कैसे ?
युधिष्ठिर-
क्योंकि इस खेल में भाजपा की महिला टीम ने बिलकुल टी ट्वेंटी के अंदाज़ में कांग्रेसी सूरमाओं के पूरे दल को जिस तरह धूल चटाई उसकी मिसाल मिलना मुश्किल है | उसके तो ओपनिंग पेयर ने पहले ही दिन अपराजित रह उन्हें पराजित कर दिया | अभी तो लगभग चार दिनों का खेल बाकी ही है | आप जानते हैं कि खेलों में महिलाएं अमूमन पुरुषों से कमजोर होती है | तो महिला टीम से पिटने से ज्यादा शर्म और बेईज्ज़ती की बात और क्या होगी |

27 June 2015

यक्ष - स्मार्ट सिटी क्या है ?
युधिष्ठिर- हर देश को स्मार्ट नागरिकों की दरकार होती है | स्मार्ट नागरिक पैदा नही होते बनाये जाते हैं | स्मार्ट सिटीज़ इसी दिशा में उठाया गया कदम है | स्मार्ट सिटी एक अत्याधुनिक किस्म का बाथरूम है जिसमे तरह तरह के स्टेट आफ द आर्ट गैजेट्स लगे हुए हैं | ऐसे बाथरूम में फ्रेश होने मात्र से आदमी स्मार्ट हो जाता है |
यक्ष - तो प्राब्लम क्या है , इसके खिलाफ इतना हो हल्ला क्यूँ हो रहा है ?
युधिष्ठिर- प्राब्लम सिर्फ इतनी है कि जब नागरिकों को इसकी सबसे ज्यादा जरूरत होती है तो इसे यूज़ ही नहीं कर पाते | अव्वल तो इसके दरवाज़े आटोलाक रहते है .. सो उनसे खुलते ही नही , जो खुल ही गये तो तमाम गैजेट्स में कुछ पता ही नही चलता किस हैंडल को घुमाना है , किस नाब को दबाना है .........नतीजा वही जो नेचर्स काल को प्रापरली रिस्पाण्ड न करने से होता है अच्छे भले आदमी की पेंट उतर जाती है .....किसी भी देश के नागरिकों के इस तरह पेंट उतरने लगे तो हो हल्ला होना लाजमी है ....इन अहमकों , मैंगो मैनो को सब फ्री में ही चाहिए , आखिर विकास यूँ ही तो न होगा , उस की कीमत तो चुकानी ही पड़ेगी ...

26 June 2015 ·

यक्ष - विचारवान मनुष्य की सबसे महत्वपूर्ण लाक्षणिकता क्या है ?
युधिष्ठिर - विचारवान मनुष्य में जिज्ञासा का होना उसकी सबसे महत्वपूर्ण लाक्षणिकता है |
यक्ष - जिज्ञासा कितने प्रकार की होती है
युधिष्ठिर- जिज्ञासा दो प्रकार की होती है | एक तात्कालिक और दूसरी शाश्वत .....
यक्ष - जिज्ञासा के तात्कालिक और शाश्वत दोनों रूपों को उदाहरण से समझाओ ..
युधिष्ठिर - तात्कालिक जिज्ञासा का सुलभ उदाहरण तो यही है कि यक्ष मुझसे अगला प्रश्न कौन सा पूछने वाले है .....जहां तक शाश्वत जिज्ञासा का स्वरूप है तो वह गणेश जी के रूप में प्रकट होती है .....गणेश जी जिज्ञासा का शाश्वत स्वरूप है |
यक्ष - अर्थात !!
युधिष्ठिर - अर्थात यह कि ...यह जिज्ञासा आज तक बनी हुई है कि प्लास्टिक सर्जरी या ऑर्गन ट्रांसप्लांट से पहले गणेश जी का मुखमंडल कैसा था ...और यह भी कि ** गणेश जी के एक सिद्धहस्त लेखक होने में इस विशिष्ट सर्जरी का क्या योगदान है क्योंकिं आधुनिक विज्ञान ऐसी सर्जरी के जरिये आज भी रूप तो बदल सकता है पर गुण धर्म नहीं ...
** ऐसी मान्यता है कि गणेश जी महाभारत के लेखक थे और इस शर्त पर तैयार हुए थे कि उनकी लेखनी बीच में रुकनी नहीं चाहिये सो वेदव्यास ने पूरी महाभारत बोल कर एक बार में लिखवाई |

24 June 2015 ·

यक्ष -
राम माधव कौन है ?
युधिष्ठिर -
राम माधव हमारे बचपन का दोस्त है | वह उन चंद भाग्यशाली दोस्तों में से था जिसके पास वह पेन्सिल होती थी जिसके पीछे छोटा सा रबर हुआ करता था | ऐसे बच्चे , अपना लिखा फौरन मिटाते .. फिर लिखते ..फिर मिटा देते , ऐसा तब तक करते रहते , जब तक पन्ना न फट जाए, फिर डांट खा रोते और कुछ देर के लिए कोने में जा सो जाते | हालांकि वह पेन्सिल अब विलुप्त हो चुकी है लेकिन पता नही क्यों राम माधव आज भी वही पेन्सिल इस्तेमाल कर रहे है | राम माधव अब काफी बड़े हो चुके हैं , बच्चे न रहे कि बचपना करें ....हमे अब जरूर चिंता हो रही है ......

23 June 2015 ·

यक्ष -
मुआफी क्या होती है ?
युधिष्ठिर -
मुआफी एक चिड़िया होती है जो ट्वीट करती है ...जैसे ही आप ट्वीट को ध्यान से सुन उसे अप्रीशियेट करना चाहते है , चिड़िया फुर्र से उड़ जाती है ......

23 June 2015


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यक्ष -
हामिद अंसारी कौन है ?
युधिष्ठिर -
हामिद अंसारी .....राज्यसभा टीवी चैनल के मुखिया हैं ...
यक्ष -
भारत के उपराष्ट्रपति को तुम एक चैनल के मुखिया मात्र में रिड्यूस करके क्या दिखाना चाहते हो .....
युधिष्ठिर -
राष्ट्र भक्ति ....

20 June 2015 ·

यक्ष -
ललितासन क्या है ?
युधिष्ठिर-
ललितासन आधुनिक युग की इजाद है | यह योग के इतिहास में एक नया एडीशन है |जैसा कि आजकल हो रहा है कि हर चीज़ पहली बार होती है परन्तु ललितासन के बारे में इसकी प्रमाणिकता पुष्ट भी की जा सकती है | बस महाभारत काल में इसका मात्र एक उदाहरण मिलता है , जिसे हम इसका ओल्ड वर्जन कह सकते है क्योंकि वह काफी क्रूड है और यह समाज के उस वर्ग की इजाद थी जिसे इतिहास में उचित सम्मान नही मिला लिहाजा वह आसन अपनी मौत मर गया | ललितासन का आधुनिक वर्जन बहुत रिफाइंड है इसलिए यह ज्यादा प्रभावशाली है |
ललितासन में शरीर के सिर्फ एक छोटे से अंग का इस्तेमाल होता है | उसे अभ्यास द्वारा इतना मजबूत किया जाता है कि सारी दुनिया उस पे रखी जा सके और यह करना सबके वश की बात नही है | सब इसे करना चाहते है पर इसे सफलता पूर्वक सम्पन्न करने वाले सिर्फ मुट्ठी भर लोग ही होते है | इस आसन से दुनिया भी मुट्ठी में भी की जा सकती है |
अब आपको यह दिलचस्पी होगी कि आखिर शरीर का वह अंग कौन सा है जिसे सशक्त बना कर असम्भव को सम्भव किया जा सकता है तो बता दूं कि वो अंग है '' ठेंगा '' | इस आसन में इसे इतना मजबूत किया जाता है कि सारी व्यवस्था को इसपे रखा जा सके | अति सिद्ध योगी तो सिर्फ इसे दिखा कर भी लक्ष्य हासिल कर लेते है | ठेंगा , जोड़े में पाया जाता है परन्तु अभीष्ट सिर्फ हाथ वाले दो में से किसी भी एक को मजबूत कर सिद्ध किया जा सकता है |
जहाँ तक महभारत में इसके एकमेव उपलब्ध प्रमाण की बात है तो उसका उदाहरण एकलव्य के साथ हुई त्रासदी , उसके साथ हुए अन्याय में देखा जा सकता है , जहां उसके गुरु ने उससे उसका ठेंगा बड़े ही शातिराना अंदाज़ में मांग लिया | ठेंगा , जिसे उसने निरंतर अभ्यास से इतना मजबूत बना लिया था कि तत्कालीन व्यवस्था भयग्रस्त हो गई थी |

20 June 2015 ·

यक्ष -
योग आसनों में सबसे महत्वपूर्ण परन्तु विचित्र क्या है ?
युधिष्ठिर -
इस प्रश्न का सटीक उत्तर सिर्फ कृष्ण दे सकते है क्योंकि वे योगिराज हैं | मेरी जानकारी इस मामले में सीमित है अतः मैं अपने सामान्य ज्ञान से सिर्फ एक विशेषता ऐसी बता सकता हूँ जिसकी व्यंजना यदि समझी जाये तो यह अत्यंत विचित्र और विडम्बनापूर्ण है |
यक्ष - तो वही बताओ राजन !
युधिष्ठिर -
हे यक्ष ! आपने भी लक्ष्य किया होगा कि योग के अधिकांश महत्वपूर्ण आसनों में , नौका , धनु , पवन , वृक्ष , मयूर , मत्स्य , उष्ट्र , वृश्चिक ..आशय यह कि सजीव और निर्जीव सभी की आकृति या उनकी विशेष मुद्राएं ग्रहण की गईं हैं परन्तु जितना मैं जानता हूँ महत्वपूर्ण योग आसनों में प्रकृति के सबसे उन्नत जीव यानि मनुष्य की सिर्फ दो मुद्राएं ही विशेष रूप से ग्रहण की गई है ......एक गर्भस्थ शिशु की मुद्रा और दूसरी शव मुद्रा .....मनुष्य का जीवन कहीं नहीं है अर्थात मानव समाज के विकास के दौरान श्रमजीवी और बुद्धिजीवी मनुष्य के जीवन के सम्पूर्ण क्रिया व्यापार की कोई मुद्रा योग के आसनों में ग्राह्य नही .......गर्भ के बाद सीधे शव ...बीच का पूरा जीवन गायब ..यदि कहीं कहीं किसी आकृति /मुद्रा में इसके संकेत मात्र मिलते है तो वह मनुष्य के श्रमिक और बौद्धिक किसी क्रिया से मेल नही खाते .....
इस तथ्य की व्यंजना जब कभी इस रूप में समझने लगता हूँ तो यह मुझे अत्यंत विचित्र और विडम्बनापूर्ण लगता है कि योग जिस का उद्देश्य मानवमात्र की देह को नीरोग , स्वस्थ और मन को शान्ति और उन्नति प्रदान करना है उसी योग अभ्यास से वह अभ्यास क्यों गायब है जिसने मनुष्य को जानवर से इंसान बनाया ........

20 June 2015


यक्ष -
कहते हैं योग किसी योग-गुरु के सुपरविजन में करना आवश्यक है, वरना परिणाम उल्टा हो सकता है | क्या यह सचमुच इतना लाभकारी है कि बस् करने से लाभ हो जाता है , थोडा विस्तार से उदाहरण देकर समझाओ |
युधिष्ठिर-
योग के लिए किसी तरह के सुपरविजन की जरूरत नही है , बस् कर देने से लाभ हो जाता है | जहाँ तक लाभ की बात है तो , जी हाँ ! योग सचमुच बहुत लाभकारी है | इतना लाभकारी कि एक दिन भी कर देने से चमत्कारिक लाभ होता है | पिछले एक दशक से यानि जब से इस विधा की लोकप्रियता बड़ी है , देश के श्रमजीवी वर्ग ने इसका सबसे ज्यादा लाभ उठाया है |
बेरोजगार होने पर , फसल खराब होने पर , कर्ज में डूबने पर , तमाम रोगों से ग्रसित होने और इलाज के पैसे न होने पर लाखों हताश निराश लोगों ने सिर्फ एक दिन शवासन किया वो भी बिना किसी सुपरविजन के , बिना शास्त्रों में वर्णित रीति से , फिर भी उन्हें चमत्कारिक लाभ हुआ | सारे रोग दूर हो गए , सारे कष्ट मिट गए | सारा कर्जा उतर गया .....और तो और योग के प्रति उनके समर्पण का सम्मान करते हुए देश प्रदेश की सरकारों द्वारा अकसर इन योगियों के परिवारजनों को पारितोषिक के रूप में अच्छी राशि भी प्रदान की जाती है | यह योग के इन्सिडेंटल बेनेफिट्स है |
यानि योग सिर्फ करने वाले के लिए नही वरन उसके पूरे परिवार के लिए लाभकारी है | लोगो में योग के संस्कार पैदा हो , देश में योग संस्कृति के तौर पर विकसित हो तभी देश विकास कर सकता है | भविष्य में , ऐसे चमत्कारिक रूप से लाभकारी आसनों में काफी सम्भावना है ......इस हेतु पर्याप्त अवसर भी सृजित किये जा रहे हैं ......

19 June 2015


यक्ष -
थोक के भाव में व्रत -उपवास , महीने भर चलने वाले रमजान की उपयोगिता क्या है ? क्या इससे परलोक सुधर जाता है ?
युधिष्ठिर -
सब बकवास है कि इस से परलोक सुधर जाता है | लेकिन इसके अलावा यह बहुत उपयोगी है | इसके जरिये भूखे रहने की प्रैक्टिस होती रहती है और भूखे रहने का स्टेमिना मेंटेन रहता है | इसमें गज़ब ये कि इसमें , यदि है कहीं इश्वर तो उसकी भी सहमति है और नही है तो वो जरिया है | मने भूख एक शाश्वत इशू है .....सिर्फ इकनामिक्स और पालिटिक्स नही इसमें धर्म भी उतना ही शामिल है |

18 June 2015 ·

यक्ष -
फेसबुक से तुम्हें सबसे बड़ी सीख क्या मिली है ?
युधिष्ठिर -
अव्वल तो जैसा यह माध्यम आभासी वैसी ही यहाँ दोस्ती आभासी है | यहाँ आदमी की उम्र चाहे जितनी हो लेकिन वह बिलकुल कच्ची उमर के प्रेमी प्रेमिका की तरह सार्वजनिक तौर पर पेश आता है यानि जिस रूप को वह दिखाना चाहता है उसी रूप में आता है और फिर उसी छवि का गुलाम हो कर रह जाता है ....इस लिहाज से यह फेसबुक कम और फेकबुक ज्यादा प्रतीत होती है .....
यक्ष -
यह तो जनरल बात हुई .....पर्टिकुलरली तुम्हे क्या सीख मिली ?
युधिष्ठिर-
मुझे फेस्बुकिया दोस्तों के बारे में बड़े सबक मिले हैं ...
यह कि , एफ बी फ्रेंड्स की मोटे तौर पर तीन केटेगरी होती है ..
पहली , उन दोस्तों की जिनका लिखा आप पढ़ना चाहते है और इन्वेरियब्ली उनकी वाल विजिट करते हैं .....
दूसरी , उनकी जिन्हें आप कई कारणों से चाहते हैं कि कम से कम वो हमारी वाल पे आये और हमारा लिखा हुआ पढ़ें ....
लेकिन अफ़सोस कि इन दोनों केटेगरी के लोग आपकी वाल पे नहीं आते ...बेहद निराश करते हैं ..
इसके अलावा बाकी बचे फेंड्स मिल कर एक तीसरी केटेगरी बनाते है .....
ये ही वो फ्रेंड्स होते हैं जो आपके दरवाजे पे आते है , हाल चाल पूछते है , कुछ कहते है , कुछ सुनते है , न बहुत बुद्धिजीवी होते है , न जाहिल लेकिन बिना किसी राग द्वेष के सहज भाव से आप से जुड़े रहते है |ये है तो फेसबुक हैं , ये न हो तो फेसबुक का रस खत्म हो जाए .......आज इस उत्तर के जरिये ऐसे दोस्तों को आदाब अर्ज करता हूँ ......
यक्ष -
और भी कुछ कहना है या जितना कहना था , कह दिया ?
युधिष्ठिर -
अरे हाँ ! फेसबुक पे आपको हमेशा और भी कुछ कहना होता है , जितना कहना था उतना कभी कहा नही जाता .....

18 June 2015 ·



यक्ष -
गले मिलने के क्या फायदे है ?
युधिष्ठिर-
कई फायदे है .....इस से पीठ में छुरा भोंकने में आसानी होती है | परफेक्ट ग्रिप बाडी और वेपन दोनों की | असफलता की आशंका मिनिमल .....सक्सेस का आधुनिक मंत्रा .....और सब कुछ विथ ह्यूमन टच ....

18 June 2015 ·

यक्ष - हे राजन ! क्या आप सूर्यनमस्कार करते हैं ?
युधिष्ठिर - जी नहीं ......
यक्ष -
कारण स्पष्ट कीजिये |
युधिष्ठिर -
जब तक हस्तिनापुर में सूतपुत्र के साथ न्याय नही होता , मेरा सूर्यनमस्कार करना फ्राड होगा | जीवन में मैंने एक बार फ्राड किया था और उसका परिणाम गुरु की हत्या के रूप में भुगता |

18 June 2015



यक्ष -
नैतिकता क्या है ?
युधिष्ठिर -
नैतिकता , ड्राइंगरूम में लगा हुआ आर्टीफीशियल मनी प्लांट है ताकि लोगों की आँखों को सुकून पहुंचे और ऊपर से देखने पर उन्हें सब हरा भरा दिखे ....यह गाछ जमीन पर नही पनपता लिहाजा इसमें जड़े नही होती इसलिए इस प्लांट को बचाए रखने के लिए इसे पास से देखने , छूने और छेड़ने की रवायत नही है | इसे दूर से ही देखना अच्छा लगता है |

17 June 2015 ·



यक्ष -
पूंजीवाद के छद्म को उघाड़ने वाला सबसे सटीक उदाहरण कौन सा प्रोडक्ट है ?
युधिष्ठिर -
टंगस्टन फिलामेंट वाला बल्ब .......विगत एक डेढ़ दशक से तो इसके दाम स्थिर है .....मात्र दस रुपया रिटेल प्राइस....
सरकारें एनर्जी पालिसी के तहत अलबत्ता इसे फेज आउट कर रही हैं लेकिन यह उद्योग अपनी मौत नही मर रहा .......इसके बावजूद कि बाकी रा मेटीरियल , टंगस्टन , अल्युमीनियम , सीसे आदि के दाम और फैक्ट्री की रनिंग कास्ट , बिजली , लेबर , पैकिंग मेटीरियल , ट्रांसपोर्ट , बिचौलियों की कड़ियाँ , सब कुछ उसी तरह मुनाफे के तर्क से चल रहे हैं ....
ये गुत्थी समझ में आ जाए बस् ....

16 June 2015 ·

यक्ष -
मीडिया ट्रायल क्या है ?
युधिष्ठिर -
जब आरोप लगने के साथ ही चार्ज फ्रेम हो जाए और ओपन कोर्ट में सुनवाई चालू हो कर दो चार सुनवाई में फैसला आ जाए तो उसे मीडिया ट्रायल कहते हैं |
यक्ष -
यह तो न्याय के हक में बिलकुल आदर्श स्तिथि है , तब इसमें बुराई क्या है ?
युधिष्ठिर -
इसमें बुरा कुछ भी नहीं है बस् एक छोटा सा पेंच है कि इसमें मात्र चंद लोगों को ही अपने वकील या पैरोकारों के जरिये अपने केस की पैरवी करने की सहूलियत मिल पाती है |

16 June 2015

यक्ष -
इस बीच अचानक '' बू '' इतने सवालों के घेरे में क्यों है ?
युधिष्ठिर -
सवालों के घेरे में '' बू '' नही है , '' बू '' से जुड़ा सवाल प्रथमतः और अंततः नाक का सवाल होता है ......सवालों के घेरे में दरअसल नाक है ...

16 June 2015

 ·
यक्ष -
सुना है आर्यावर्त में संस्कृत अब चलन में नही रही | आधुनिक आर्यावर्त में अभिजन आजकल किस भाषा का प्रयोग करते हैं ?
युधिष्ठिर -
इंग्लिश का .....
यक्ष -
वे ऐसा क्यों करते है जब कि राष्ट्रभाषा और राजभाषा दोनों हिन्दी है ?
युधिष्ठिर -
इसलिए ही तो करते हैं ....जिस भाषा को अधिकाँश आबादी प्रयोग करे वह अभिजन की भाषा कैसे हो सकती है वो तो आम जन की भाषा हुयी |
यक्ष -
इस तथ्य को प्रमाणित करो ?
युधिष्ठिर -
अब प्रत्यक्ष को प्रमाण की क्या जरूरत | आप किसी भी अभिजन के द्वार पर दस्तक तो दीजिए कभी .....सबसे पहले आपके स्वागत हेतु कोई कुत्ता आएगा | उनसे वार्ता कर के स्वयम देख लें ..न वह संस्कृत जानते है , न प्राकृत , न हिन्दी , और न ही कोई स्थानीय बोली ......वह सिर्फ और सिर्फ इंग्लिश कमांड समझते मिलेंगे .......अब जब उनके यहाँ के जानवरों का यह हाल है तो आगे आप स्वयम समझदार है ......

१७२/ ३१ .५.१५

यक्ष -
सबसे जघन्य अपराध क्या है और इसे जघन्य मानने का कारण भी बताओ ?
युधिष्ठिर -
सबसे जघन्य अपराध प्रकृति द्वारा लाखों करोड़ों सालों में बनाई गई सम्पदा का अनावश्यक दोहन | चूंकि यह सम्पदा मानव निर्मित नही है और न ही इसे उसने किसी उपक्रम या श्रम के जरिये अर्जित किया है इसलिए किसी भी समाजिक राजनीतिक व्यवस्था के पास यह प्राधिकार (अथारिटी ) ही नहीं है कि वह इसके बारे में कोई फैसला कर सके | यह पुश्तैनी विरासत है जो जिसपे आने वाली पीढ़ियों का एकमेव अधिकार है |
यक्ष -
तब विकास के माडल का क्या होगा ?
युधिष्ठिर -
ऐसे माडल को बदलना होगा या फिर जितनी सम्पदा का दोहन किया जाना है उस के बदले जितना नुकसान राजनीतिक , सामाजिक, सांस्कृतिक , पर्यावरणीय या अन्य अनेक प्रकार की जैसी भी क्षति होने वाली हो है उसकी भरपाई की जाए ताकि हम विकसित के साथ साथ संरक्षित भी रह सके |

१७१/२९.५.१५

यक्ष -
आत्मा को देह किस मेथड से अलाट की जाती है , इस मामले में इश्वर की अलाटमेंट पालिसी क्या है ?
युधिष्ठिर -
लाटरी सिस्टम से ..........
यक्ष -
तो पूर्व जन्म के अच्छे और बुरे कर्मों को कैसे फैक्टर इन करते है ?
युधिष्ठिर-
यह फैक्टर किसी भी जीवित आदमी के लिए नान इशू है , क्योंकि कोई अलाटमेंट गलत हुआ या सही , इसे प्रूव करने के लिए इविड़ेंस पूर्व जन्म से ही कलेक्ट किया जाएगा और अदालतों में ऐसा कोई इविड़ेंस एड्मिसिबिल नहीं होता .......
यक्ष - क्या तुम पुनर्जन्म , पूर्वजन्म , जन्मांतर सम्बन्ध के सिद्धांत को मानते हो ?
युधिष्ठिर - जी नही , जो सिद्धांत इस जन्म में प्रूव न किये जा सकें मैं उन्हें नही मान सकता ...

१७०/ २८.५.१५

यक्ष -
भैंस के पास क्या नही है जो गाय के पास है ?
युधिष्ठिर -
भैंसों के पास चारण कवि नही हैं जो उसका सेहरा पढ़ सकें ...

१६९ /२७.५.१५

यक्ष - ..क्या अच्छे दिन आ गए है ?
युधिष्ठिर- अच्छा और बुरा सापेक्षिक पद हैं , तो जो यह कह रहे हैं उनके आ गए होंगे ......
यक्ष - तुम्हारा आकलन क्या कहता है ?
युधिष्ठिर- मेरा हाल तो जस का तस है ...मेरे भाई अभी भी मूर्छित हैं , पांचाली अभी भी प्यासी है और मैं अब भी तमाम प्रश्नों से जूझ रहा हूँ .......जब कि सरोवर में पानी लबालब भरा है जिस पर तुम्हारा अधिकार है.......और तुम्हे इतने पानी की कोई जरूरत नही ......

१६८/२७.५.१५

यक्ष -
आजकल पिछले साठ सालों में हुए घपलों और घोटालों की लिस्ट जारी हो रही है | ये सब क्या है और इसका कितना नुकसान कांग्रेस को होगा ?
युधिष्ठिर -
ये सब घोटाले वास्तव में ...'' मियाँ की जूती '' हैं ..
इसका कांग्रेस को कोई नुक्सान नही होगा , जितना होना था वो हो चुका है .......अब इसका नुक्सान होगा भी तो भाजपा को होगा ....
यक्ष - ये तुम क्या कह रहे हो ? ऐसा कैसे होगा ?
युधिष्ठिर - दरअसल ये लिस्ट , चार साल बाद उनकी घोटालों के आरोप सिद्ध करने और घोटालेबाजों को सजा दिला पाने में असफलता का सबसे आथेंटिक प्रमाणपत्र बनने वाली है ........मियां की जूती मियाँ के सर .......

१६७/२७.५.१५

यक्ष -
आज जवाहरलाल नेहरु की पुण्य तिथि है | नेहरु कौन थे ...?
युधिष्ठिर -
नेहरु एक कुशल राज मिस्त्री थे और आनंद भवन में रहते थे | उन्हें शायद आनंद भवन का आनंद रास नही आया तो उन्होंने राज मिस्त्री का पेशा अपनाया | आगे चलकर वे बड़े बड़े ठेके भी लेने लगे | उन्होंने देश की इमारत बनाने का भी ठेका लिया और उसके मुख्य राज मिस्त्री के तौर पर काम भी उन्होंने ही किया | बड़े मनोयोग से उन्होंने ये काम किया लेकिन भूकम्प रोधी इमारत बनाने की तकनीक उन्हें नही मालूम थी इसलिए एक बड़ी कमी रह गई इमारत में ......
आज भी हल्के या भारी भूकम्प में इस इमारत के सारे पिलर हिलने लगते है और दीवारें दरकने लगती है | इमारत का मेनटेनेंस की जिम्मेदारी उनके बाद के कारीगरों ने ठीक से नही निभाई न ही बाद में इमारत की रेट्रो -फिटिंग की .....लिहाजा उन्हें बारहा शर्मसार होना पड़ता है | पब्लिक मेमोरी भी न .....कितनी शार्ट होती है |

१६६/२७.५.१५

यक्ष -
मोदी का कोई तोड़ एन डी ए सरकार में है , यदि है तो सिद्ध करो ...
युधिष्ठिर -
जी हाँ है न , नितिन गडकरी ...उनके सूट के हर जेब में करोड़ों करोड की अनूठी योजनाये होती है .....मैं उनके विसर्जित जल सिंचाई परियोजना की बात नही करता , फिर भी हमें याद है कि उन्होंने नेशनल हाई वेज के दोनों ओर २०० करोड पेड़ लगाने का वादा किया था | इसके अलावा हाई वेज बनाने में आड़े आने वाले , हरे भरे बड़े बड़े पेड़ों को उखाड कर दूसरी जगह जस का तस प्रत्यारोपित करने की बात भी की थी | आज अच्छे दिनों की गर्मी में मैं उन पेड़ों की छाँव में लोगों को हमेशा के सोते हुए देख रहा हूँ | कितना अच्छा फील हो रहा है | अब , उन्होंने बिहार में पचास हजार करोड की सडकें बनाने की घोषणा की है | मैं तो बहुत आशान्वित हूँ उनकी प्रतिभा और क्षमता से ......अच्छे दिनों की इतनी आशा तो नमो भी नही जगा पाते हैं ..चुनाव से पहले ...

१६५/२७.५.१५

यक्ष - राज्य और उसके नागरिक के सम्बन्धों की कसौटी क्या होनी चाहिये ?
युधिष्ठिर - राज्य , न्यूनतम तौर पर , अपने नागरिकों के बीमे और कफन जिम्मा स्वयं उठाता है या नही ....यह राज्य और उसके नागरिकों के बीच सम्बन्ध की कसौटी होनी चाहिये ......

१६४/२७.५.१५

यक्ष -- राजन ! ये बताओ ......कि .....
युधिष्ठिर - अच्छा अब बस् करो ....जितना उस यक्ष ने नही पूछा था उससे ज्यादा तो तुम पूछ रहे हो
यक्ष - तुम २१ वीं सदी में पानी की कीमत नही जानते ........
युधिष्ठिर - जानता हूँ .....अच्छा पूछो ...
यक्ष - पानी इतना कीमती क्यों है ?
युधिष्ठिर - क्योंकि जहाँ जहाँ भी पानी होना चाहिये , वहाँ का पानी सूख गया है ....सारे स्त्रोत मर रहे हैं ....
यक्ष - कोई उदाहरण ..
युधिष्ठिर - आँख का पानी ....जो अजस्त्र स्त्रोत था .....सूख गया है , अब झूठ भी आँख मिला कर बोला जाता है , अपनी मुँह से अपनी तारीफ़ करने में भी कोई शर्म नही और कफन के बिम्ब को सुरक्षा के बिम्ब से तौला जाने लगा है ....

१६३/२६.५.१५

यक्ष - मोदी सरकार की साल गिरह के जश्न का इतना ढोल क्यों पीटा जा रहा है ?
युधिष्ठिर - सबको सुनाने के लिए , क्योंकि ढोल की आवाज़ दूर दूर तक जाती है |
यक्ष - ढोल में यह गुण आता कैसे है ?
युधिष्ठिर - ढोल मे पोल की वज़ह से ...जितना बड़ा पोल उतनी ज्यादा आवाज़ ...

१६२/२५.५.१५

यक्ष - प्रधान मंत्री जी ने कहा है कि हम कफन के पैसे में बीमा दे रहे है , आखिर ये बीमा क्या है ?
युधिष्ठिर - बीमा एक खौफनाक स्वप्न है जिससे आँखें नही मूंदनी चाहिये | इसे आँखें खोल कर देखना चाहिये | बीमा मृतक का जेहनी सुकून और उसके परिवार के लिए सबसे बड़ा आश्वासन है ........
यक्ष - कफ़न क्या है ?
युधिष्ठिर - वर्तमान में , यूँ तो कफन मृतक को भी कुछ न कुछ बेच देने का फन है परन्तु यह अकेला ऐसा व्यापार है जो जीते जी न सही लेकिन आदमी के मरने बाद उसकी गरिमा का सम्मान करता है ......
यक्ष - राज्य और उसके नागरिक के सम्बन्धों की कसौटी क्या होनी चाहिये ?
युधिष्ठिर - एक मानवीय राज्य न्यूनतम तौर पर , अपने नागरिकों के बीमे और कफन जिम्मा स्वयं उठाता है या नही ....यह राज्य और उसके नागरिकों के बीच सम्बन्ध की कसौटी होनी चाहिये ......

१६१/२५.५.१५

यक्ष - ३३० रु और १२ रु वाली बीमा पालिसी , सरकारी है या एल आई सी की है ..
युधिष्ठिर - दोनों की है ....
यक्ष - दोनों की कैसे
युधिष्ठिर - वो ऐसे कि ...
सरकार का किस्त जमा करने में कोई योगदान नही है लेकिन घोषणा करने में है
एल आई सी का पालिसी तय करने में कोई योगदान नहीं है लेकिन क्लेम सेटेल करने में है

१६०/२५.५.१५

यक्ष - प्रधान मंत्री ने बीमे और कफन की तुलना की , बीमा और कफन दो भिन्न चीज़ों की तुलना किया जाना समझदारी है या बेवकूफी ?
युधिष्ठिर - दोनों में कोई भिन्नता नहीं है , इनकी तुलना सबसे समझदारी का काम है ..
यक्ष - दोनों में क्या समानता है ?
युधिष्ठिर- दोनो मरने के बाद ही काम में आता है |

१५९/२५.५.१५

यक्ष -
क्या तुम बीफ बैन का समर्थन करते हो ?
युधिष्ठिर -
जी हाँ ......मैं सिर्फ बीफ नही बल्कि मांसाहार ही बैन करने के पक्ष में हूँ |
यक्ष - लेकिन क्यूँ ?
युधिष्ठिर - ताकि , न तो कोई मेरा भेजा खा सके और न ही खून पी सके ...