शुक्रवार, 17 अप्रैल 2015

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -38/31/03/15

यक्ष -
राजन ! भारत के पूर्व प्रधान मंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी को भारत रत्न का सम्मान क्यों दिया गया ?
युधिष्ठिर -
श्री अटल बिहारी वाजपेयी को , साहित्य और रंगकर्म के क्षेत्र में उनके अतुलनीय योगदान के लिए भारत रत्न से सम्मानित किया गया है | यही वज़ह है कि सरकार ने उन्हें सम्मानित करने के लिए ' अंतर्राष्ट्रीय रंगमंच दिवस ' चुना |
यह सम्मान उनकी अद्भुत और अप्रतिम अभिनय क्षमता का सम्मान है | आज भी उनकी बेहतरीन सम्वाद अदायगी की मिसालें दी जाती हैं | आजादी के आंदोलन में उनकी भूमिका आज भी लोगों की जेहन से उतरी नही है , राम मंदिर आंदोलन में उनके सम्वादों के प्रभाव को भला कौन भुला सकता है | किसे याद न होगा '' धरती को समतल करना पड़ेगा '' जैसा सम्वाद ........फिर , उन्होंने राज धर्म निभाने जैसे अमर सम्वादों में , एक राजा की बेबसी की जैसी छवि पर्दे पर प्रस्तुत की वह आज भी अमिट है.....
उनकी कविताएँ , उसका वाचन , उस पर उनका अमल , कौन भूल सकता है ......
काल के कपाल पे लिखा ...राम मंदिर
सत्ता मिलते ही ...मिटा दिया ...
काल के कपाल पर लिखा ....३७०
सत्ता मिलते ही मिटा दिया .........
काल के कपाल पर लिखा ....यूनिफार्म सिविल कोड ...मिटा दिया , गीत नया गाया , गठबंधन गठबंधन ........लम्बी फेहरिस्त है
कारगिल की गफलत की कितनी बड़ी कीमत चुकाई , अपनी गफलत को काल के कपाल से मिटा दिया और काल के कपाल पे नया गीत लिखा '' विजय दिवस '' शीर्षक से ......
पर्दे पर आते ही अपने स्वागत में , स्वयं ही पोखरण - २ से अपनी सलामी ली .....एक के बाद पांच विस्फोटों की सलामी ....लौट कर सीमा पार से प्रतिध्वनि आई , एक के बाद एक पूरे छह विस्फोट .......पाकिस्तान ने भी उन्हें सलाम किया ....पांच के बजाय छः विस्फोटों से , मुर्दे में भी जान आ गयी , उसने भी अवसर व्यर्थ न किया और पहली बार आणविक क्षमता संसार के समक्ष दर्शायी ..... इस उदारमना की परदे पर इतनी विस्फोटक एंट्री से ही होनी का आभास हो गया......और काल के कपाल के पर तब ही अंकित हो गया था ..........'' भारत

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