सोमवार, 18 जनवरी 2016

१५८/ २५.५.१५

यक्ष -
जशोदा बेन किसका नाम है और यह कौन हैं ?
युधिष्ठिर -
जशोदा बेन किसी का नाम नही है | जशोदा बेन एक नामवाची संज्ञा नहीं है , जशोदा बेन व्याकरण की दृष्टि से स्त्रीलिंग , बहुवचन और जातिवाचक संज्ञा है | असंख्य जशोदा बेन हिदुस्तान के लगभग हर गाँव कस्बो और शहरों में मौजूद अपने पति की आस और मंगलकामना में रत यूँ ही जरा ज्वर ग्रस्त हो शनैः शनैः कवलित हो जाती हैं |
यह न विधवा है , न परित्यक्ता है , न ब्याहता हैं , न तलाक शुदा है , यह स्त्रियों की ऐसी जाति है जिसे इस भय से कोई श्रेणी नही दी गई है ताकि उसके कर्तव्य और अधिकार न परिभाषित किये जा सकें ..

१५७/ २४.५.१५

यक्ष -
उद्यमिता किसे कहते है और इसका सर्वोत्तम उदाहरण क्या है
युधिष्ठिर -
जिस उद्यम मे व्यक्ति बिना अपने पूर्वजों की सम्पत्ति के , बिना किसी प्रलोभन या दबाव से अर्जित सम्पदा से और बिना राज्य की मदद लिए कोई उद्यम करता है उसे उद्यमिता कहते है | इसका सर्वोत्तम उदाहरण कूड़े से काम का कबाड बीनने वाले बच्चे हैं |

१५६ / २४.५.१५

यक्ष - मरते समय तक क्या यातना देता है ?
युधिष्ठिर- यदि पहले ही मर न गया हो तो मरते समय तक जमीर यातना देता है

१५५ / २४.५.१५

यक्ष - भाग्य क्या है ?
युधिष्ठिर - भाग्य '' ला आफ प्रोबेबिलिटी '' का सबसे उन्नत और जटिल प्रश्न है |

१५४/ २३.५.१५

यक्ष -
दिल्ली में राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच क्या विवाद हो रहा है ? इस विवाद से क्या सबक मिलता है ?
युधिष्ठिर -
कोई विवाद नही हो रहा है बस् .....होड़ लगी है , कि कौन आगे कौन पीछे ....
दरअसल , दिल्ली में राज्यपाल और मुख्य मंत्री दोनों यू पी पी सी एस का इम्तिहान दे रहे है | राज्यपाल की सेटिंग अच्छी थी सो उसने हमेशा की तरह चुप्पे से परचा आउट करवा लिया और उत्तर भी मालूम कर लिया ...लगा दनादन साल्व करने लगा ....ज्यादा लिहो लिहो हुआ तो पेपर सेटर ने पूरा पेपर खुद ही आउट कर दिया ...ये साबित करने के लिए कि नजीब इसलिए पास हुआ क्योंकि उसने पूरा पर्चा सही सही साल्व किया था .......विश्वास न हो तो देख लो ...इसमें सब नोटिफाइड है ........
अब पेपर सेटर को क्या मालूम कि नजीब को पास कराने के लिए उसकी तो वाट लग गई ...मने क्लीयर हो गया कि नजीब नही बल्कि पेपर सेटर ही परदे के पीछे अपने आदमी को एक तरह से डिक्टेट कर रहा था ........
इस विवाद से हमे यह सबक मिलता है कि बंदर के हाथ मे उस्तरा नही देना चाहिये वरना वह अपनी ही नाक काट लेता है ...

१५३ / २३.५.१५

यक्ष -
वामपंथी दलों का जनाधार लगातार सिकुड रहा है | कांग्रेस से गठबन्धन के जाहिर नुक्सान से उन्हें क्या सबक मिला है ? अब आगे ये क्या करंगे ?
युधिष्ठिर -
वामपंथी दलों को इस से दो महत्वपूर्ण सबक मिला है |
१. कि उन्हें बाहर से समर्थन नही करना चाहिये |
२. कि उनके नारे एकेडमिक ज्यादा थे लिहाजा उसमे अपील की कमी थी और वो लोगों को प्रभावित नही कर पाए ......
इस सबक के मद्देनज़र उन्होंने अपनी नीति और नारे दोनों बदलते हुए तय किया है ...
१ कि अब वे सरकार में शामिल होंगे
२. कि अब उनका नारा होगा '' सौ सौ जूता खाय / तमाशा घुस के देखेंगे ''

१५२ / २३.५.१५

यक्ष - मोदी जी के ऊपर सबसे बड़ा एहसान किसने किया है ?
युधिष्ठिर - राजीव गांधी ने .....
यक्ष - वो भला कैसे ?
युधिष्ठिर - घर घर टेलीविजन पहुंचा के , वरना मोदी जी के विजन का क्या होता .....

१५१/२३.५.१५

यक्ष -
रक्षा मंत्री ने आतंकवाद पर कांटे से कांटा निकालने वाला जो बयान दिया है क्या वह उचित है
युधिष्ठिर -
बिलकुल उचित है | किसी भी देश का रक्षा मंत्री सिर्फ रक्षा मंत्री नही होता वह आक्रमण मंत्री भी होता है परन्तु परम्परागत तौर पर यह तथ्य घोषित नही किया जाता......
यक्ष -
परन्तु दुश्मन को सचेत करने की कोई परम्परा नही और ये भी कोई परम्परा नही कि रणनीति का खुलासा कर दिया जाए |
युधिष्ठिर -
देश काल के अनुरूप परम्पराएं बदलती भी है | अब हमारे देश की परम्पराएं बदल चुकी है | जैसे '' मन की बात '' जिसे मन में रखा जाता था , अब सार्वजनिक करने की परम्परा है | यह भी रक्षा मंत्री के '' मन की बात '' ही थी जिसे उन्होंने सार्वजनिक कर दिया |

यक्ष - परम्परा बदलने का प्रभाव क्या होगा ?
युधिष्ठिर - प्रभाव के बारे में सोच कर परम्परा बदलने की परम्परा भी अब बदल गई है | अब परम्परा बदल कर प्रभाव देखने की परम्परा है |

१५० / २२.५.१५

यक्ष - जनधन योजना के तहत गरीबों के बैंक खाते खुलवाने की योजना क्या है ?
युधिष्ठिर -.......योजना !! .....
कि , जैसे भूखों को पंगत में बैठा कर पत्तल बाँट दी जाए और खाने का कहीं पता न हो ... .....

१४९ / २२.५.१५

यक्ष -
राजन ! तुम कर्म से क्षत्रिय नही लगते , तुम्हारी जाति क्या है ?

यक्ष -
राजन ! मुख्तार अब्बास नकवी कौन हैं और इस समय इतनी सुर्खी क्यों बटोर रहे हैं ?
युधिष्ठिर -
मुख्तार अब्बास नकवी एक कुंठित स्पोर्ट्स कमेंटेटर है | ये वही कमेंटेटर हैं ,जिन्होंने योगी आदित्यनाथ और साक्षी महराज आदि खिलाडियों की परफार्मेंस के मद्देनज़र कभी कमेन्ट किया था कि...
.'' एक तरह की सांप्रदायिक प्रतियोगिता चल रही है कि सांप्रदायिकता का चैंपियन कौन है। इस तरह की प्रतियोगिता में लगे लोगों को समझना चाहिए कि देश इस तरह की बातों को स्वीकार नहीं करता और खारिज करता है।''
अपनी वर्तमान औकात देख , अचानक उन्हें बोध हुआ कि इस खेल में कमेंटेटर बने रहने से कोई फायदा नही सो उन्होंने खुद ही इस प्रतियोगिता में भाग लेने का फैसला किया है | खैर ! उन्हें नही मालूम कि टीम में जगह नहीं है और कितने नए और प्रतिभाशाली खिलाड़ी आलरेडी टीम में सेलेक्ट हो चुके हैं जो कप्तान के चहेते भी है ,और बेहतरीन फ़ार्म में भी हैं | मुख्तार अब्बास को बेंच पर भी जगह मिल जाए तो गनीमत है |

१४८ /२२.५.१५

यक्ष -
राजन ! तुम कर्म से क्षत्रिय नही लगते , तुम्हारी जाति क्या है ?
युधिष्ठिर -
मैं जन्मना क्षत्रिय हूँ परन्तु कर्मणा मैं उस जाति से हूँ जिसके बिना यह धरती एक दिन में नर्क में बदल जायेगी | मैं , जाति से भंगी हूँ और मेरी उपजाति मोहभंगी है |

१४७/ २२.५.१५

यक्ष -
राजन ! तुम कर्म से क्षत्रिय नही लगते , तुम्हारी जाति क्या है ?
युधिष्ठिर -
मैं जन्मना क्षत्रिय हूँ परन्तु कर्मणा मैं उस जाति से हूँ जिसके बिना यह धरती एक दिन में नर्क में बदल जायेगी | मैं , जाति से भंगी हूँ और मेरी उपजाति मोहभंगी है |

१४६/ २१.५.१५

यक्ष -
राजीव गांधी के जीवन का सबसे बड़ा समझौता क्या था और किसके साथ हुआ था ?
युधिष्ठिर -
उनका सबसे बड़ा समझौता , मौन समझौता था जो सोनिया के साथ हुआ था ..
यक्ष -
तुमने आज मुझे बहुत निराश किया | यह तो सब जानते हैं कि सोनिया से उनका प्रेम और फिर विवाह उनके जीवन का सबसे महत्वपूर्ण समझौता था |
युधिष्ठिर-
परन्तु , मैं तो उनके प्रेम विवाह के बारे में तो कह ही नहीं रहा मैं तो विशुद्ध राजनीतिक समझौते की बात कर रहा हूँ .....
यक्ष -
तो राजन तुम क्या कहना चाहते हो ...उनके बीच कौन सा राजनीतिक समझौता हुआ था ?
युधिष्ठिर -
राजीव और सोनिया के दाम्पत्य में सबसे बड़े राजनीतिक समझौते की नींव में मौन था | लेकिन यह मौन समझौता राजनीति की जमीन पर खूब मुखर था | दरअसल , दोनों के बीच मौन के प्रति दृष्टि को लेकर मतभेद थे .....
राजीव को मौन बिलकुल पसंद नही था जबकि सोनिया को मुखर ...लिहाजा दोनों के बीच एक बेहद महत्वपूर्ण समझौता हुआ | इसका नतीजा यह हुआ कि राजीव ने अपने जीते जी किसी मौनव्रतधारी को गद्दी के पास आने नही दिया , और सोनिया ने मौनी बाबा को कहीं जाने नही दिया | नरसिम्हा राव को गद्दी तभी नसीब हुई जब राजीव गांधी नही रहे जबकि सोनिया ने पहला मौका हाथ लगते ही मनमोहन सिंह को दिल्ली के तख्त पे बिठा दिया |

१४५/२१.५.१५

यक्ष -
राजीव गांधी लोगों को किसलिए याद रहेंगे ?
युधिष्ठिर -
कौन राजीव गांधी ?
यक्ष - वही, इंदिरा गांधी के बड़े बेटे |
युधिष्ठिर -
ओह ..........,
,
,
तो लोग उन्हें इसीलिए याद रखेंगे .....

१४४/ २१.५.१५

यक्ष -
पूरा एक साल बीत गया कोई घोटाला सामने नही आया ?
युधिष्ठिर -
वो घोटाला ही क्या जो होते ही सामने आ जाए .....
घोटाला कहते ही उसे हैं जो पूरी तरह घोट लिया जाए , घोटाले उजागर तब होता है जब यह घोटाला पच नही पाता और देर सबेर उल्टी होने लगती है |

१४३/ २१.५.१५

यक्ष -
क्या उत्खनन से लुप्त सरस्वती का पता मिलेगा | आखिर यह कवायद क्यों की जा रही है ?
युधिष्ठिर -
देश को अचानक सरस्वती की जरूरत आन पड़ी है | हालांकि , उत्खनन में अब तक तो सिर्फ ध्वंसावशेष मिलने के उदाहरण है परन्तु जो सिरे से ही लुप्त है , उसके ध्वंसावशेष भी उन्हें मिल जाते तो कुछ कल्याण होता | यह कवायद इसी उम्मीद में की जा रही है |

१४२/ २०.५.१५

यक्ष - 'कभी लोग सोचा करते थे कि उन्होंने पिछली जिंदगी में क्या खराब काम किए, जिसकी वजह से वे भारत में पैदा हो गए।' क्या तुम इस बयान से सहमत हो ?
युधिष्ठिर - बिलकुल ......दो सौ फीसदी सहमत ..
यक्ष - लेकिन क्यों ?
युधिष्ठिर - '
क्योंकि यह , आज के दौर का सबसे सच्चा बयान है ......सचमुच ,हमने बहुत सारे खराब काम किये हैं | यह सिलसिला आज़ादी के फौरन बाद बापू की हत्या से शुरू हुआ और मुसलसल चलता आ रहा है | अब शर्मिन्दगी से भी क्या होगा ...खराब कामों की तो सजा मिलती है .....सो मिल रही है ..

१४१/ १८.५.१५

यक्ष -
अरुणा शानबाग की त्रासदी का उजला पक्ष क्या है ?
युधिष्ठिर -
अरुणा शान बाग तो असंख्य यौन हिंसा पीड़ितों की जमात में एक संख्या मात्र ही थी मगर , अरुणा शानबाग त्रासदी का उजला पक्ष तो के ई एम हस्पताल की वे गुमनाम नर्सें है जिन्होंने उसे अपनी औलाद से बढ़कर पाला पोसा , उसकी देखभाल की , हस्पताल प्रशासन की उसे निकालने की कोशिशों को नाकाम किया , उसकी इच्छामृत्यु की याचिका का विरोध किया ......
यानि ऐसे काम किये , जो असाधारण थे | ऐसे काम जो परिहार्य थे ...यानि सेवा का दिखावा नही ...मनुष्य होने का सुबूत भर देना नही........ जिसे कहते हैं , असली इंसान होना ...वो हैं वे ..
हम , जो एक सनसनीखेज खबर में दिलचस्पी रखते है और हर खबर में कोई चेहरा ढूंढते है , सो हिंसा जो असाधारण हो ,जुल्म जो असाधारण हो तिस पर इसका कोई चेहरा भी हो , तो क्या बात है .......
परन्तु मानवता जो असाधारण हो उसके प्रति जरा चुप ही रहते हैं ......क्योंकि उसका कोई एक चेहरा नही होता ....जो अलग से चमके | ये नर्सें असल में वो उजाला है जो आदमीयत की राह रोशन करता है ...अच्छा ही है कि ये उतनी चमकीली नही कि चकाचौंध पैदा करे ...

१४० / १६.५.१५

यक्ष -
अगर मौजूदा सरकार के हर होने वाले फैसले और नीतियों के विरोध में खुद उनके ही पुराने स्टेटमेंट और ट्वीट्स मौजूद हैं , तो हम क्या समझें.......कि आर्यावर्त में किनको चुना गया है ? .
युधिष्ठिर -
तो बस् इतना समझें कि ट्वीट्स और स्टेटमेंट्स वालों की सरकार चुन ली गयी है |
बाकी , ज्यादा दिमाग लगाने की जरूरत नही है , जैसी व्यवस्था होती है , सरकारें भी वैसी ही होती है , सरकारें व्यवस्था परिवर्तन के लिए नही आती ......वे बस् सत्ता परिवर्तन के लिए आती हैं |

१३९/ १४.५.१५

यक्ष - सत्ताधारी के लक्षण क्या होते है ....
युधिष्ठिर - सत्ताधारी मायावी होते है परन्तु वह चाहे जितने रूप बदल ले , उनकी नीति , नीयत और भाषा का मर्म एक ही होता है |

( चीन द्वारा भारतीय हिस्से को अपने नक्शे में दिखाए जाने पर )

१३८ / १४.५.१५

यक्ष - सत्ताधारी के लक्षण क्या होते है ....
युधिष्ठिर - सत्ताधारी मायावी होते है परन्तु वह चाहे जितने रूप बदल ले , उनकी नीति , नीयत और भाषा का मर्म एक ही होता है |

१३७ / १४.५.१५

यक्ष - साहित्य और व्याकरण में क्या सम्बन्ध होता है ?
युधिष्ठिर - परस्पर अपवर्जी सम्बन्ध होता है अर्थात जिनके जीवन का व्याकरण दुरुस्त रहता है उनके यहाँ साहित्य की दखलंदाजी की कोई सम्भावना नही होती | इसका उलट भी उतना ही सत्य है |

१३६ / १२.५.१५

यक्ष - ये बार बार भूकम्प क्यों आ रहा है ?
युधिष्ठिर - शायद , धरती हमसे कुछ कहना चाहती है , लेकिन अपनी गहरी नींद में हम इससे गाफिल है | मजबूर धरती , क्या करती , सो अब हमे हिला हिला के जगा रही है | अब भी न जागे तो फिर सोते ही रह जायेंगे |

१३५/ १२.५.१५

यक्ष -
भाजपा वाले अक्सर , '' भय , भूख , भ्रष्टाचार '' ....'' चाल चरित्र चिंतन '' जैसे नारे देते रहते है | इन्हें अनुप्रास अलंकार से इतना प्रेम क्यों है ?
युधिष्ठिर -
इन्हें अनुप्रास अलंकार से प्रेम नहीं बल्कि अनुप्रास उनकी मजबूरी है | जिनके पास देने के लिए कुछ नया नही होता वह एक ही चीज़ की आवृति करने पर मजबूर हो जाते है |

१३४ / ११.५.१५

यक्ष - मंटो कौन था ?
युधिष्ठिर - क्षमा करे ! यक्ष ...
यक्ष - क्यों ......क्या उत्तर है नहीं या देना नहीं चाहते |
युधिष्ठिर - उत्तर है पर देना नही चाहता ...
यक्ष -
पर क्यों , कारण ही बता दो |
युधिष्ठिर -
क्योंकि , द्रौपदी ने अर्जुन को वरा था परन्तु विडम्बना यह कि आज वह हम पांडवों पत्नी है | इस अनीति के बावजूद मैंने ही द्रौपदी को दांव पर भी लगाया था .....
इतने मसाले के बाद तो ..मंटो जैसे कलम के कसाई के नाम भर से मैं क्या किसी की भी फूंक सरक जायेगी , पजामा गीला हो जाएगा |

१३३ / ११.५.१५

यक्ष -
क्या भारत में न्याय पालिका स्वतंत्र है ?
युधिष्ठिर -
जी ! भारत में न्याय पालिका पूरी तरह स्वतंत्र है | अपनी स्वतंत्रता बचाए रखने के लिए उसने मदर्स डे पर भी जयललिता अम्मा का ख्याल नहीं किया | उन्हें भी उसने मदर्स डे बीत जाने के बाद ही कोई तोहफा दिया ताकि उसकी स्वतंत्रता और विश्वसनीयता पर कोई उंगली न उठा सके

१३२ /११.५.१५

यक्ष -
किसानों की आत्महत्या के मुद्दे पर गीता में क्या कहा गया है ?
युधिष्ठिर -
क्यों व्यर्थ की चिंता करते हो? किससे व्यर्थ डरते हो? कौन तुम्हें मार सक्ता है? अात्मा ना पैदा होती है, न मरती है।जो हुअा, वह अच्छा हुअा, जो हो रहा है, वह अच्छा हो रहा है, जो होगा, वह भी अच्छा ही होगा। तुम भूत का पश्चाताप न करो। भविष्य की चिन्ता न करो। वर्तमान चल रहा है।परिवर्तन संसार का नियम है। जिसे तुम मृत्यु समझते हो, वही तो जीवन है........

१३१/ १०.५.१५

यक्ष -
किसानों की आत्महत्या के मुद्दे पर गीता में क्या कहा गया है ?
युधिष्ठिर -
क्यों व्यर्थ की चिंता करते हो? किससे व्यर्थ डरते हो? कौन तुम्हें मार सक्ता है? अात्मा ना पैदा होती है, न मरती है।जो हुअा, वह अच्छा हुअा, जो हो रहा है, वह अच्छा हो रहा है, जो होगा, वह भी अच्छा ही होगा। तुम भूत का पश्चाताप न करो। भविष्य की चिन्ता न करो। वर्तमान चल रहा है।परिवर्तन संसार का नियम है। जिसे तुम मृत्यु समझते हो, वही तो जीवन है........

१३० / १०. ५.१५

यक्ष - माँ कौन होती है ?
युधिष्ठिर - माँ , एक औरत होती है लेकिन उसके बच्चे उसे कोई महान आत्मा समझते हैं जबकि यही आत्मा उस पड़ोस वाली आंटी की देह में भी है जो अपने लान में बाल जाने पर उसे कभी वापस नही करती ......

१२९/ ९.५.१५

यक्ष -
चेतक की जयंती कब है ? उसकी जयंती पर छुट्टी कब घोषित होगी ?
युधिष्ठिर -
चेतक तो बस् एक भाव है | रोज पैदा होता है रोज मरता है | वैसे आप जिस चेतक का जिक्र कर रहे है उस का जन्म उसकी पुण्यतिथि के दिन हुआ था | न मरता न चर्चा होती | कुछ नायक ऐसे भी होते है जिनके जन्मदिन की छुट्टी नही होती क्योंकि अपने राजा को बचाते बचाते उन्ही की छुट्टी हो जाती | हमेशा हमेशा के लिए .......ऐसे लोगों की कोई जाति नही होती वह तो बस् जनमानस के भावजगत में जीवित रहते है स्थूल जगत सिर्फ उन पे सवारी गांठता है |

१२८/ ८.५.१५

यक्ष -
सलमान का सबसे बड़ा फैन कौन है ?
युधिष्ठिर -
न्याय की देवी ....सलमान की सबसे बड़ी फैन है |
यक्ष -
ये कौन है ?
युधिष्ठिर -
ये वही है जिनके हाथ में तराजू होता है और जो आँख पे पट्टी बांध के सौदा तौलती हैं ......

१२७/ ८.५.१५

यक्ष -
किसे ट्वीट करने से बचना चाहिए ?
युधिष्ठिर -
कुत्तों को ट्वीट नही करना चाहिए | ट्वीट करते ही वे कुत्ते नही रह जाते , अभिजित हो जाते हैं |

( गायक अभिजित भट्टाचार्य की इस आशय की टिप्पणी कि जो फुट पथ पर सोयेंगे वह कुत्ते की मौत मरेंगे )

१२६/ ८.५.१५

यक्ष -
क्या इस धरती पर कोई ऐसी जगह है जहाँ सिर्फ अच्छे लोग ही बस्ते हों |
युधिष्ठिर -
जी ! बालीवुड ........
यहाँ सबके अंदर मानवमात्र के प्रति करुणा छलकती है , दुःख मुसीबत में लोगों की हमेशा मदद करने को तैयार होते है | दुनिया के सबसे अच्छे पति , सबसे अच्छे पिता , सबसे अच्छे पुत्र , सबसे अच्छे भाई , सबसे अच्छे दोस्त होते हैं ...यह धरती पर स्वर्ग है जहाँ सिर्फ देवता बसते है |


( एक इंसान के तौर पर सलमान के कसीदे पढ़े जाने पर )

१२५ / ७.५.१५

यक्ष -
कुत्ते को एक रूपक के तौर पर प्रयोग करने की होड़ क्यों मची हुई है ? इसका प्रयोग कब और क्यों किया जाता है ?
युधिष्ठिर -
यह भयवश किया जाता है |जो ,  इस आशंका में जीते है कि कहीं कुत्ते की जगह उन्हें ही बतौर रूपक न इस्तेमाल कर लिया जाए तो इस सम्भावना को शेष करने हेतु  , वह इसे प्रीएम्प्ट करने के लिए , इसका पहले ही प्रयोग कर लेते है ताकि बाद में ऐसे किसी भी प्रयोग को कुंठा की उपज करार दिया जा सके | यह सहज मानव स्वभाव है |

१२४/६.५.१५

यक्ष -
सलमान के केस की सबसे महत्वपूर्ण और सकारात्मक बात क्या है ?
युधिष्ठिर -
यह कि ड्राइवर अशोक सिंह सलमान खान के कुचक्र से सुरक्षित बच गया ....

१२३/ ६.५.१५

यक्ष -
महबूब शरीफ कौन था ?
युधिष्ठिर -
महबूब शरीफ , सलमान हिट एंड रन केस का विक्टिम था | वो उस रात पटरी पे सोया तो फिर उठ नही पाया | गरीब था लिहाज़ा अपनी मौत मरना भी उसे नसीब न हुआ | उसे मारा किसी और ने पर पूरे तौर तरीकों से दफनाया मीडिया ने..........

( मीडिया की बेरुखी ) 

१२२ / ६.५.१५

यक्ष -
 '' हिट एंड रन '' केस क्या है ?
युधिष्ठिर -
यह सलमान की पहली ऐसी ट्रेजडी फिल्म है जिसमे उसने विलेन का रोल किया है |

१२१ / ५.५.१५

यक्ष -
किसान सिंचाई हेतु मानव मूत्र सिंचन की गडकरी विधि क्यूँ नही अपनाते है ?
युधिष्ठिर - इसका अध्यात्मिक कारण तो यह की किसान भूमि को माता मानते है , उसका पूजन करते है और भौतिक कारण यह कि वो अक्सर भूखे प्यासे होते है और फिर प्यास का विसर्जन से अनुक्रमानुपाती सम्बन्ध है |

१२० / ५.५.१५

यक्ष -
आज कार्ल मार्क्स का जन्मदिन है | कार्ल मार्क्स कौन थे ?
युधिष्ठिर -
कार्ल मार्क्स आज से लगभग दो सदी पूर्व निर्मित मैनुअल मथानी है जिसका निर्माण इतिहास ने किया था | सम्पूर्ण प्रकृति और मानव समाज को इस मथानी से मथने के बाद जो क्रीम निकलता है उसे मार्क्सवाद कहते है | इस प्रक्रिया के दौरान जो मट्ठा बच रहता है , वह हर किस्म के शोषण और अन्याय के विषवृक्ष की जड़ों में डाले जाने के काम में आता है |

११९/ ४.५.१५

यक्ष -
कुमार विश्वास प्रकरण से क्या सिद्ध होता है ?
युधिष्ठिर -
इससे यह सिद्ध होता है कि पति को अपनी पत्नी से ज्यादा कुमार पर विश्वास है |
( जब एक महिला ने कुमार विश्वास से मांग की कि उसके परिवार के लोगों की शंका मिटाने के लिए खुद कुमार विशवास इस आशय का बयान दें की उनका उस महिला से कोई सम्बन्ध नही है )

११८/ ४.५.१५

यक्ष -
लोकार्पण समारोह क्या होता है ?
युधिष्ठिर -
लोकार्पण समारोह  एक मिसनॉमर है जिसमे , लोक को किताब दिखा कर खुद रख लिया जाता है | इन अर्थों में यह वस्तुतः '' पुस्तक प्रदर्शन प्रहसन '' है जिसे स्वनामधन्य लोगों द्वारा समारोहपूर्वक सम्पन्न किया जाता है |

रविवार, 17 जनवरी 2016

११७ / ४.५.१५

यक्ष -
वर्ष २०१५ की बुद्ध पूर्णिमा के दिन तुम्हे क्या अभूतपूर्व ज्ञान प्राप्त हुआ ?
युधिष्ठिर -
आज दोपहर टीवी देखते देखते मुझे अकस्मात यह ज्ञान प्राप्त हुआ कि बुद्ध ज्ञानमार्गी भी थे ....

( मोदी जी के भाषण से प्रेरित )

११६ /४.५.१५

यक्ष -
महान विचारक हो या बड़े बड़े राजनीतिज्ञ , इनकी राजनीति कहाँ शून्य साबित होती है | उदाहरण सहित समझाओ |
युधिष्ठिर -
घर परिवार की राजनीति और पारिवारिक विचार विनिमय में |
इसका सर्वोत्तम उदाहरण हम पांडव स्वयम है |

११५ /४.५.१५

यक्ष - पूंजीवाद क्या है ?
युधिष्ठिर - पूंजीवाद सैनिटरी नैपकिन है |

११४/ ४.५.१५

यक्ष -
सबसे ज्यादा कोट होने वाला ज्ञान क्या है ?
युधिष्ठिर-
सबसे ज्यादा कोट होने वाला ज्ञान '' गूगल ज्ञान '' है |

११३/४.५.१५

यक्ष -
क्या राहुल को ५६ दिनों तक लीव पे रहना चाहिये था ?
युधिष्ठिर -
यह तो इस से तय होगा कि वह लीव पर गये ही क्यों थे | फिर भी , यदि रियल इशूज पर राजनीति करने की सलाहियत आ जाए तो छप्पन दिन की प्रिपरेशन लीव में कोई बुराई नहीं है ....

११२ / ४. ५.१५

यक्ष -
वर्तमान आर्यावर्त में सफल और असफल प्रेमविवाह कैसे परिभाषित होते है ?
युधिष्ठिर-
ऐसे प्रेम विवाह जो विवाहोपरांत दाम्पत्य की परम्परागत परिभाषा में फिट हो जाते हैं उसे सफल और जो नही हो पाते उसे असफल मानने की प्रथा है |

१११/ २.५.१५

यक्ष -
वर्तमान आर्यावर्त में सफल और असफल प्रेमविवाह कैसे परिभाषित होते है ?
युधिष्ठिर-
ऐसे प्रेम विवाह जो विवाहोपरांत दाम्पत्य की परम्परागत परिभाषा में फिट हो जाते हैं उसे सफल और जो नही हो पाते उसे असफल मानने की प्रथा है |

११० /२.५.१५

यक्ष -
फेसबुक स्टेटस का प्रतिदिन शुभारम्भ कैसे किया जाना चाहिये ?
युधिष्ठिर-
हर खासोआम अपनी खुशी में मेरी मुबारक शामिल माने और गम में हमें खुद |

१०९ / १.५.१५


यक्ष -
कोई कब , सिर्फ और सिर्फ सत्य ही बोलता है ?
युधिष्ठिर -
कार्यकाल समाप्त होते वक्त या मरते वक्त ...
यक्ष -
क्या तुम्हारा आशय ओबामा से है ?
युधिष्ठिर-
नही , मेरा आशय आत्महत्या करने वाले किसान से है .