रविवार, 17 मई 2015

७/५/१५

'' लाजिम है की हम भी फेंकेंगे .......हम फेंकेंगे '' .....3/15
चीन के बाद माबदौलत मंगोलिया जायेंगे | मंगोलिया से हमारे बहुत पुराने व्यपारिक रिश्ते है | किसी जमाने में हम उनसे लोहा लेते थे और बदले में उन्हें घोडा बेचते थे | वो बड़े सुकून के दिन थे घोडा बेच कर हमे चैन की नींद आती थी | '' मेक इन इण्डिया '' के स्लोगन की प्रेरणा हमें मंगोलों से ही मिली थी | मंगोलों ने सबसे पहली बार भारत में '' मेक इन इण्डिया '' प्रोग्राम को सफल बनाया था | उन्होंने मेक इन इण्डिया के तहत सोसायटी के हर सेक्टर में निवेश किया , खास तौर पर इन्फ्रास्टक्चर सेक्टर में तो उनके योगदान को आज भी याद किया जाता है | उन्होंने यहाँ यहाँ क्या क्या नही बनवाया | कितने किले , कितने दरवाजे , कितने महल , कितने उद्यान ...फेहरिस्त बहुत लम्बी है | ताज महल , लालकिला , बुलंद दरवाजा , शालीमार गार्डन , मुगल गार्डन वगैरह तो बस् बानगी भर है | उसका दस परसेंट भी यदि आज हो जाए तो भारत दुनिया की सबसे बड़ी शक्ति बन जाएगा | हमारा वादा है कि हम इस कोशिश में जरूर कामयाब होंगे |
अपने बचपन का एक किस्सा हमें अक्सर याद आता है | इसकी एक झलक आप सब को फिल्म मुगले आज़म में भी मिलेगी | बादशाह अकबर की रोबदार आवाज़ में वो जाहो जलाल वाला सम्वाद जरा याद करें | जाहोजलाल , इस जुमले को उस नासमझ डायरेक्टर , के . आसिफ ने फिल्म में एक विशेषण के तौर पर इस्तेमाल किया | इतिहास के साथ ऐसी छेड़छाड़ हम बर्दाश्त नही कर सकते |
हमारी नानी बताती थीं कि , कि जलाल एक संज्ञा है , वास्तव में , बाबर का एक सबसे खास आदमी था '' जलाल '' | जलाल , पूर्वी उत्तरप्रदेश के किसी गाँव का निवासी और भोजपुरी भाषी था , बहुत मजाकिया लेकिन बेहद शक्तिशाली और वफादार | उसने बाबर को भी भोजपुरी भाषा सिखाई | बाबर जब भी दुखी या उदास होता तो वह कोई न कोई मजेदार देसी चटपटी बात से बादशाह को खुश करने की कोशिश करता और कामयाब रहता | ऐसे मौकों पर बाबर के मुँह से उसी भोजपुरी रौ में बेसाख्ता निकल पड़ता ....'' जा ..हो ...जलाल .....'' जैसे ही बादशाह यह कहता सारे दरबारी जान जाते कि बादशाहसलामत अब खुश हैं | प्रजाजनों के बीच इस खुशखबरी की मुनादी करवा दी जाती ....अवसर का लाभ उठाने के लिए दुखी जन फौरन हाजिर हो बादशाह से मनचाही मुराद पूरी करवा लेते | जलाल के इन जलवों ने प्रजाजनों के कल्याण में बहुत मदद की |
जैसा की हमेशा से होता आया है , धीरे धीरे बाबर का '' जा हो जलाल '' , जुमला ..जाहोजलाल में तब्दील हो गया .....एक किंवदन्ती की तरह यह लोक में पैठ गया ....लोग बादशाह के जाहोजलाल की कसमे खाने लगे .......लोगों को यह विश्वास हो गया कि यह जुमला तैमूरी नस्ल की कोई विशेषता है ....फिल्म मुगले आजम में अकबर यही दोहराते हुए देखे जाते है ...'' नस्ले तैमूर के जाहोजलाल की कसम '' .......लेकिन असलियत से तो सिर्फ हम वाकिफ है |
आज फिर से वो वक्त आ गया कि जलाल के जलवों से हम हिन्दुस्तान को लबरेज कर दे इसलिए सबसे पहले मुझे हिन्दुस्तान में जलाल के वंशजों की तलाश करनी है | यह मेरी मंगोलिया यात्रा का सबसे जरूरी सबब है | मैं मंगोलिया जाकर जलाल के वंशजों शिनाख्त करने की स्किल पैदा करने की ट्रेनिंग खुद लेने जा रहा हूँ ....ताकि आने वाली पीढियां मेरे जाहो जलाल की भी कसमें खाएं ..........
बाकी सोने की चिड़िया की रेप्लिका तो ले ही जा रहा हूँ ...ताकि सनद रहे .........

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