शुक्रवार, 17 अप्रैल 2015

यक्ष-युधिष्ठिर सम्वाद -11/19/03/15

यक्ष -- भूमि अधिग्रहण बिल क्या है ?
युधिष्ठिर सोच में पड़ गए ....उनके सामने सरोवर का अधिग्रहीता उपस्थित था , अधिग्रहीताओं के लिए , क्या सरोवर और क्या भूमि ....उन की प्रकृति तो तक एक जैसी ही होती है , धर्मराज थे सो झूठ बोल नही सकते थे , धर्म आड़े आता और समाज के व्यापक हित में साफ़ सीधी बात भी न कह सकते सो उन्होंने अन्योक्ति का सहारा लेने की सोची | काफी सोच विचार कर उन्होने कहा .......
जिस प्रकार मूषक किसानों के श्रम का फल चुरा कर अपने बिल में संग्रहीत कर पुष्ट होते है उसी प्रकार का एक बिल यह भी है .......दोनों में अंतर यह है कि , यह मूषक कर्म , मूषक नही मनुष्य करते हैं ......
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आख़िरी वाक्य कहते कहते युधिष्ठिर , अपने अन्य भाइयों की तरह यक्ष द्वारा शांत कर दिये गए ...........
उधर सरोवर जल से लबालब था परन्तु उसमे कोई हलचल न थी ...यक्ष परम तुष्ट था , कि अब कोई युधिष्ठिर अन्योक्ति में भी सत्य कहने से भयभीत होगा .......

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