रविवार, 28 दिसंबर 2014

धर्म संस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे.........

धर्म संस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे.........


दुनिया के  न जाने कितने धर्म पवित्र जम्बू द्वीप में उत्पन्न हुए है इस प्रकार हम स्वतः एक धार्मिक मुल्क है |धार्मिक राष्ट्र घोषित नही किये जाते , यह होते हैं | जिस धर्म के अनुयायी सबसे ज्यादा हों उस देश का धर्म वही होता है यह कोई दोहराने की बात नही है | लेटेस्ट गणना के मुताबिक़ देश में , एक नया धर्म पैदा हुआ है इसे प्यार से रिलीजन कहते है | इस नवजात धर्म के अनुयायी इस समय सबसे ज्यादा है | इस प्रकार यह जम्बू द्वीप का अघोषित परन्तु आफीशियलज धर्म है | इस धर्म के बीज तो आजादी के पहले से ही पड़ गए थे पर जन जन में इसका प्रसार वर्ष १९८३ से तेज़ी से बढा | इस से पूर्व  इस धर्म के संतो , महंथों और उनके दलों को विदेशी हमलावरों ने घर बाहर , हर जगह लगातार नेस्तनाबूद किया था , पर कुछ बात थी कि इसकी हस्ती मिटी नही |

वर्ष १९८३ , जब इस सम्प्रदाय का दल , कपिल मुनि के नेतृत्व में विश्विजय अभियान पर निकला | तमाम विदेशी आक्रांताओं को उनके ही गढ़ में पराजित कर कपिल मुनि ने चक्रवर्ती की उपाधि अर्जित की | १९८३ विश्विजय के उपरान्त , जम्बू द्वीप का प्रत्येक परिवार इसका अनुयायी हो गया | कालान्तर में एक अत्यंत सीमित , अद्यतन धूलधूसरित , पराजित सम्प्रदाय अपनी जीवनीशक्ति और आंतरिक गतिकी से न केवल एक विशाल धर्म के रूप में इस जम्बूद्वीप में स्थापित हुआ बल्कि उसने अद्यतन स्थापित बहुसंख्यक् सनातन धर्म को उसके स्थान से पदच्युत कर , जम्बूद्वीप के गुलाम हतोत्साहित जनसमुदाय को आधुनिकता के अपार आत्मगौरव से भर दिया |

नया धर्म होने के कारण अब तक इस धर्म में सिर्फ संत महंत और मुनि गण ही प्रचार पताका के वाहक थे | प्रभु हीन धर्म निराकार ज्ञान के आधार पर कब तक विकसित होता | एक अदद भगवान की कमी भक्त जनों को बुरी तरह खल रही थी | इस नए धर्म को एक भगवान की सख्त जरूरत थी | धरती पक चुकी थी | ऐसे कठिन समय में सागर तट पर स्थित देवी मुम्बा की महानगरी में एक बालक ने एक साहित्यिक के घर में जन्म लिया | साहित्यिक पिता ने नाम रखा '' सचिन '' | अभी वह चौदह वर्ष का ही था कि उसने एक दलित वंचित समाज के बालक विनोद काम्बली के साथ स्थानीय प्रतियोगिता में एक अभूतपूर्व रिकार्ड बना दिया | यह तो मात्र लीला थी | यह साबित करने के लिए कि उसकी नज़र में सब समान है , अपने चमत्कार के लिए उसने एक दलित बालक को निमित्त मात्र बनाया | बालक की कीर्ति दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ती गई | क्या रणजी , क्या दिलीप , क्या देवधर . क्या इरानी ट्राफी सबके पहले मैच में शतक | नए धर्म को , भक्तजनों को ,  सचिन में एक चमत्कारी पुरुष दिख रहा था | '' परित्राणाय साधुनाम विनाशाय च दुष्कृताम '' भगवान ने क्रिकेट धर्मसंस्थाप्नाये , एक ब्राह्मणी की कोख से जन्म ले लिया था | चिर प्रतीक्षित जिज्ञासा का उत्तर जम्बूद्वीप के भक्तजन को मिलता जान पड़ता था |

अंततः भक्त जनों की बेहद मांग पर जम्बूद्वीप् के धर्म गुरुओं ने उसे सर्वोच्च प्रतिनिधि सभा में शामिल कर उसे सबसे कठिन परीक्षा हेतु , अत्यंत अधीर ऋषि श्रीकांत के नेत्रत्व में जम्बूद्वीप के उद्दंड एवं अराजक पट्टीदार पाकिस्तान के धूसर मैदानों में पराक्रम दिखाने के लिए भेजा , भक्त जनों की आशाओं के मुताबिक़ उसने वहाँ अपने दिव्य बल्ले का बलाघात , परम कपटी मुल्ला अब्दुल कादिर पर इस भांति किया , कि उसकी सारी छ्लयोजना धरी की धरी रह गई | चमत्कारी सचिन , इस महायुद्ध के एक मोर्चे पर लहुलुहान भी हुआ पर यह तो मानों बाल लीला थी प्रभु कि | ऐसे कई चमत्कार के बाद अंततः नवजात क्रिकेट धर्म को उसका भगवान मिल गया |

भक्तजन आह्लादित थे | भगवान सचिन ......जम्बू द्वीप की समस्त विघ्न बाधा और विकास के पथ पर ले जाने वाला नए धर्म का नया भगवान | पुस्तकें लिखी जाने लगी , शोध ग्रन्थ प्रकाशित होने लगे , चालीसाएं वितरित होने लगी , अखबारों में आर्टिकल्स आदि छपने लगे | कीर्ति चहुँदिश व्याप्त होने लगी | नव उद्भूत भगवान को साधारण जीव जन्तुओं के बीच विचरण से आम तत्व के संक्रमण की आशंका के मद्देनज़र सचेत राजनीतिक सत्ता ने तत्काल इस समस्या समाधान किया | प्रभु अब राज्यसभा में विराजमान है उनके मुकुट में बेशकीमती भारतरत्न शोभित है | उनके आभामंडल से देश देशांतर आच्छादित है | नए धर्म के गुणगान हेतु समस्त प्रसार माध्यम रत है | कई चैनल इस धर्म के देश विदेश में होने वाले यज्ञो , कर्मकांडों का अहर्निश प्रसार करते रहते है | प्रजा अपने सारे कष्टों से मुक्ति के लिए नए भगवान की ओर देखती है और मुक्त अनुभव करती है  | भगवान की पूजा में ' पेप्सी  का चरणामृत  'एवं  ' बूस्ट का प्रसाद ' ग्रहण करना अनिवार्य है क्योंकि भगवान की समस्त ऊर्जा का सीक्रेट इसी में है | भगवान आज भी हमारे बीच मौजूद है और मानव लीला कर रहे है | अभी अभी उन्होंने जम्बूद्वीप की राजनीतिक सरकार को अपनी इच्छा बताए कि जनता के सारे कष्टों को दूर करने और द्वीप के चहुमुंखी विकास हेतु नए धर्म की पाठशालाओं की श्रृंखलाओं की जरूरत है | यह शुभ कार्य जम्बूद्वीप की राजधानी से प्रारम्भ किया जाना चाहिये | सरकार ने उनकी इच्छा का सम्मान करते हुए प्रभु से सी पुछा कि इस क्रिकेट एकेडमी ( पाठ्शाला ) के लिए वह उपयुक्त स्थान चिन्हित करें |

प्रभु ने सरकार को दिये अपने प्रवचन में कहा कि जम्बूद्वीप युगों युगों से धर्मप्राण राष्ट्र  है | हमारे प्राण धर्मकर्म में ही बसते है | धर्म से विपथ राष्ट्र कभी उन्नति नहीं कर सकता | क्रिकेट ही राष्ट्र  का आधुनिक और लोकप्रिय धर्म है | राष्ट्र  को क्रिकेट के विकास के लिए सोचना चाहिये | इसके लिए हरसंभव प्रयास करना चाहिए | आज दुनिया यदि हमको किसी एक कारण से जानती है तो वह है क्रिकेट के क्षेत्र में हमारा असाधारण प्रदर्शन | प्रजाजनों तक , इस धर्म का मर्म और उसके प्रताप के प्रसार का ही हमारा एकमेव लक्ष्य होना चाहिये | इस लक्ष्यसिद्धि हेतु  सबसे पहले इसकी विरोधी विचारधारा को गढों को ध्वस्त करना होगा | ऐसी चिंतनपरम्परा से लोगों को विमुख करना होगा , जो भगवानों , दैवी चमत्कारों और धार्मिक कर्मकांडों का विरोध करती है , जो तर्क बुद्धि की सत्ता स्थापित करना चाहती है | ऐसे संस्थानों को शनैः शनैः समाप्त करना अभीष्ट होना चाहिये | इसलिए उनके संसाधनों और परिसरों को सीमित किया जाना जरूरी है | अतः मेरी इच्छा है ऐसे शीर्ष वैज्ञानिक संस्थानों जहाँ तर्क के विषाणु और बुद्धि के विकिरण से समाज में प्रदूषण बढ़ने की आशंका है उन्हें चिन्हित कर , अशक्त करने की आवश्यकता है  | मेरी दृष्टि में , राजधानी स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान ऐसा ही संस्थान है | इस संस्था के परिसर को संकुचित कर उसका एक बड़ा हिस्सा नूतन धर्म की पाठ शाळा हेतु सबसे उपयुक्त स्थल है | यह देश के विकास एवं जनहित के लिए आवश्यक है |

इस बीच , खबर है कि क्रिकेट के भगवान की पाठशाला हेतु जम्बू द्वीप के राजनीतिक तन्त्र ने त्वरित कार्यवाही प्रारम्भ कर दी है | इस धर्मयुद्ध में , इश्वर द्वारा रचे गए विचित्र चक्रव्यूह में फंस जाने और बाहर निकल पाने में असमर्थ , प्रतिपक्षी भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के दलपति ने , निदेशक पद से मुक्ति हेतु , एक मुक्तिपत्र चक्रव्यूह के मुख्य द्वारपाल को प्रेषित की है | विज्ञानध्वजदंड , ध्वजवाहक की मुट्ठी से फिसल रहा है , वैज्ञानिक वीरगति को प्राप्त हो रहे हैं | धर्मयुद्धोन्माद चतुर्दिक व्याप्त है | धार्मिक नारों से आकाश कम्पित है , धर्म ध्वजा लहरा रही है | इश्वर , राज्यसभा में मंद मंद मुस्कुरा रहे है .........