सोमवार, 2 नवंबर 2015

१०० / २८/४/१५

यक्ष - 
सबकी पीड़ा एक है तो राष्ट्रीयताएँ अलग अलग क्यों है ?
युधिष्ठिर -
क्योंकि राष्ट्रीयताएँ सिर्फ हितों और संसाधनों का बंटवारा रोकने की व्यवस्थाएं है .....

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