मंगलवार, 2 फ़रवरी 2016

१६९ /२७.५.१५

यक्ष - ..क्या अच्छे दिन आ गए है ?
युधिष्ठिर- अच्छा और बुरा सापेक्षिक पद हैं , तो जो यह कह रहे हैं उनके आ गए होंगे ......
यक्ष - तुम्हारा आकलन क्या कहता है ?
युधिष्ठिर- मेरा हाल तो जस का तस है ...मेरे भाई अभी भी मूर्छित हैं , पांचाली अभी भी प्यासी है और मैं अब भी तमाम प्रश्नों से जूझ रहा हूँ .......जब कि सरोवर में पानी लबालब भरा है जिस पर तुम्हारा अधिकार है.......और तुम्हे इतने पानी की कोई जरूरत नही ......

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