मंगलवार, 2 फ़रवरी 2016

26 June 2015 ·

यक्ष - विचारवान मनुष्य की सबसे महत्वपूर्ण लाक्षणिकता क्या है ?
युधिष्ठिर - विचारवान मनुष्य में जिज्ञासा का होना उसकी सबसे महत्वपूर्ण लाक्षणिकता है |
यक्ष - जिज्ञासा कितने प्रकार की होती है
युधिष्ठिर- जिज्ञासा दो प्रकार की होती है | एक तात्कालिक और दूसरी शाश्वत .....
यक्ष - जिज्ञासा के तात्कालिक और शाश्वत दोनों रूपों को उदाहरण से समझाओ ..
युधिष्ठिर - तात्कालिक जिज्ञासा का सुलभ उदाहरण तो यही है कि यक्ष मुझसे अगला प्रश्न कौन सा पूछने वाले है .....जहां तक शाश्वत जिज्ञासा का स्वरूप है तो वह गणेश जी के रूप में प्रकट होती है .....गणेश जी जिज्ञासा का शाश्वत स्वरूप है |
यक्ष - अर्थात !!
युधिष्ठिर - अर्थात यह कि ...यह जिज्ञासा आज तक बनी हुई है कि प्लास्टिक सर्जरी या ऑर्गन ट्रांसप्लांट से पहले गणेश जी का मुखमंडल कैसा था ...और यह भी कि ** गणेश जी के एक सिद्धहस्त लेखक होने में इस विशिष्ट सर्जरी का क्या योगदान है क्योंकिं आधुनिक विज्ञान ऐसी सर्जरी के जरिये आज भी रूप तो बदल सकता है पर गुण धर्म नहीं ...
** ऐसी मान्यता है कि गणेश जी महाभारत के लेखक थे और इस शर्त पर तैयार हुए थे कि उनकी लेखनी बीच में रुकनी नहीं चाहिये सो वेदव्यास ने पूरी महाभारत बोल कर एक बार में लिखवाई |

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