यक्ष -
लोक तन्त्र में जनता क्या सचमुच जनार्दन होती है ?
युधिष्ठिर -
नही ....कत्तई नहीं ....जनता जनार्दन सिर्फ जुमलेबाजी है | जनता को जनार्दन की संज्ञा वही देते हैं जिनकी मुट्ठी में यह तन्त्र होता है | जैसे किसी बच्चे से काम निकालने या मनाने के लिए उसे राजा बेटा या रानी बिटिया कह के पुचकारा जाता है , ठीक उसी तरह ....दोनों पुचकार में जो तात्विक अंतर है वह नीयत में है ...
लोक तन्त्र में जनता क्या सचमुच जनार्दन होती है ?
युधिष्ठिर -
नही ....कत्तई नहीं ....जनता जनार्दन सिर्फ जुमलेबाजी है | जनता को जनार्दन की संज्ञा वही देते हैं जिनकी मुट्ठी में यह तन्त्र होता है | जैसे किसी बच्चे से काम निकालने या मनाने के लिए उसे राजा बेटा या रानी बिटिया कह के पुचकारा जाता है , ठीक उसी तरह ....दोनों पुचकार में जो तात्विक अंतर है वह नीयत में है ...
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