मंगलवार, 2 फ़रवरी 2016

20 June 2015 ·

यक्ष -
ललितासन क्या है ?
युधिष्ठिर-
ललितासन आधुनिक युग की इजाद है | यह योग के इतिहास में एक नया एडीशन है |जैसा कि आजकल हो रहा है कि हर चीज़ पहली बार होती है परन्तु ललितासन के बारे में इसकी प्रमाणिकता पुष्ट भी की जा सकती है | बस महाभारत काल में इसका मात्र एक उदाहरण मिलता है , जिसे हम इसका ओल्ड वर्जन कह सकते है क्योंकि वह काफी क्रूड है और यह समाज के उस वर्ग की इजाद थी जिसे इतिहास में उचित सम्मान नही मिला लिहाजा वह आसन अपनी मौत मर गया | ललितासन का आधुनिक वर्जन बहुत रिफाइंड है इसलिए यह ज्यादा प्रभावशाली है |
ललितासन में शरीर के सिर्फ एक छोटे से अंग का इस्तेमाल होता है | उसे अभ्यास द्वारा इतना मजबूत किया जाता है कि सारी दुनिया उस पे रखी जा सके और यह करना सबके वश की बात नही है | सब इसे करना चाहते है पर इसे सफलता पूर्वक सम्पन्न करने वाले सिर्फ मुट्ठी भर लोग ही होते है | इस आसन से दुनिया भी मुट्ठी में भी की जा सकती है |
अब आपको यह दिलचस्पी होगी कि आखिर शरीर का वह अंग कौन सा है जिसे सशक्त बना कर असम्भव को सम्भव किया जा सकता है तो बता दूं कि वो अंग है '' ठेंगा '' | इस आसन में इसे इतना मजबूत किया जाता है कि सारी व्यवस्था को इसपे रखा जा सके | अति सिद्ध योगी तो सिर्फ इसे दिखा कर भी लक्ष्य हासिल कर लेते है | ठेंगा , जोड़े में पाया जाता है परन्तु अभीष्ट सिर्फ हाथ वाले दो में से किसी भी एक को मजबूत कर सिद्ध किया जा सकता है |
जहाँ तक महभारत में इसके एकमेव उपलब्ध प्रमाण की बात है तो उसका उदाहरण एकलव्य के साथ हुई त्रासदी , उसके साथ हुए अन्याय में देखा जा सकता है , जहां उसके गुरु ने उससे उसका ठेंगा बड़े ही शातिराना अंदाज़ में मांग लिया | ठेंगा , जिसे उसने निरंतर अभ्यास से इतना मजबूत बना लिया था कि तत्कालीन व्यवस्था भयग्रस्त हो गई थी |

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