मंगलवार, 2 फ़रवरी 2016

2 June 2015


यक्ष -
श्रद्धांजलि क्या होती है ?
आंबेडकर साब को इतनी जोर-शोर से श्रद्धांजली देने की होड़ क्यों मची है ?
युधिष्ठिर -
किसी का काम तमाम हो जाने पर की जानी वाली आवर्ती क्रिया को श्रद्धांजलि कहते हैं | सामान्यतया श्रद्धांजलि अंजुरी में फूल रख अर्पित करने का कर्मकांड होता है परन्तु जिसके आचार विचार और स्मृति को फुल और फाइनल करना होता है उसे तोपों की सलामी दी जाती है | फुल एंड फाइनल करना ही तोप का कर्तव्य है | वैसे फूलों की श्रद्धांजलि इस सलामी के पहले और बाद भी बदस्तूर जारी रह सकती है , ऐसा श्रद्धांजलि के शास्त्रों में वर्णित है | शास्त्रों के अनुसार , शाख से टूटे हुए फूल कुछ ही घंटों में मुरझा अपनी सुरभि और सौन्दर्य दोनों खो देते है | श्रद्धांजलि का अभीष्ट भी यही होता है | आंबेडकर साब को अम्बेडकरवादी पार्टियां पहले ही तोपों की सलामी दे चुकी हैं | जो अब तक नही दे पाए थे वे अब इसी फाइनल असाल्ट की तैयारी में लग गए है .....ताकि बाबा साहेब को श्रन्द्धाजलि देने का बचा हुआ कर्तव्य पूरे जोर से और पूरे शोर से वे भी निभा कर अपने कर्तव्य और बाबा साहेब दोनों की इतिश्री कर सकें ...

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