यक्ष - मंटो कौन था ?
युधिष्ठिर - क्षमा करे ! यक्ष ...
यक्ष - क्यों ......क्या उत्तर है नहीं या देना नहीं चाहते |
युधिष्ठिर - उत्तर है पर देना नही चाहता ...
युधिष्ठिर - क्षमा करे ! यक्ष ...
यक्ष - क्यों ......क्या उत्तर है नहीं या देना नहीं चाहते |
युधिष्ठिर - उत्तर है पर देना नही चाहता ...
यक्ष -
पर क्यों , कारण ही बता दो |
युधिष्ठिर -
क्योंकि , द्रौपदी ने अर्जुन को वरा था परन्तु विडम्बना यह कि आज वह हम पांडवों पत्नी है | इस अनीति के बावजूद मैंने ही द्रौपदी को दांव पर भी लगाया था .....
इतने मसाले के बाद तो ..मंटो जैसे कलम के कसाई के नाम भर से मैं क्या किसी की भी फूंक सरक जायेगी , पजामा गीला हो जाएगा |
पर क्यों , कारण ही बता दो |
युधिष्ठिर -
क्योंकि , द्रौपदी ने अर्जुन को वरा था परन्तु विडम्बना यह कि आज वह हम पांडवों पत्नी है | इस अनीति के बावजूद मैंने ही द्रौपदी को दांव पर भी लगाया था .....
इतने मसाले के बाद तो ..मंटो जैसे कलम के कसाई के नाम भर से मैं क्या किसी की भी फूंक सरक जायेगी , पजामा गीला हो जाएगा |
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