सोमवार, 18 जनवरी 2016

१५८/ २५.५.१५

यक्ष -
जशोदा बेन किसका नाम है और यह कौन हैं ?
युधिष्ठिर -
जशोदा बेन किसी का नाम नही है | जशोदा बेन एक नामवाची संज्ञा नहीं है , जशोदा बेन व्याकरण की दृष्टि से स्त्रीलिंग , बहुवचन और जातिवाचक संज्ञा है | असंख्य जशोदा बेन हिदुस्तान के लगभग हर गाँव कस्बो और शहरों में मौजूद अपने पति की आस और मंगलकामना में रत यूँ ही जरा ज्वर ग्रस्त हो शनैः शनैः कवलित हो जाती हैं |
यह न विधवा है , न परित्यक्ता है , न ब्याहता हैं , न तलाक शुदा है , यह स्त्रियों की ऐसी जाति है जिसे इस भय से कोई श्रेणी नही दी गई है ताकि उसके कर्तव्य और अधिकार न परिभाषित किये जा सकें ..

१५७/ २४.५.१५

यक्ष -
उद्यमिता किसे कहते है और इसका सर्वोत्तम उदाहरण क्या है
युधिष्ठिर -
जिस उद्यम मे व्यक्ति बिना अपने पूर्वजों की सम्पत्ति के , बिना किसी प्रलोभन या दबाव से अर्जित सम्पदा से और बिना राज्य की मदद लिए कोई उद्यम करता है उसे उद्यमिता कहते है | इसका सर्वोत्तम उदाहरण कूड़े से काम का कबाड बीनने वाले बच्चे हैं |

१५६ / २४.५.१५

यक्ष - मरते समय तक क्या यातना देता है ?
युधिष्ठिर- यदि पहले ही मर न गया हो तो मरते समय तक जमीर यातना देता है

१५५ / २४.५.१५

यक्ष - भाग्य क्या है ?
युधिष्ठिर - भाग्य '' ला आफ प्रोबेबिलिटी '' का सबसे उन्नत और जटिल प्रश्न है |

१५४/ २३.५.१५

यक्ष -
दिल्ली में राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच क्या विवाद हो रहा है ? इस विवाद से क्या सबक मिलता है ?
युधिष्ठिर -
कोई विवाद नही हो रहा है बस् .....होड़ लगी है , कि कौन आगे कौन पीछे ....
दरअसल , दिल्ली में राज्यपाल और मुख्य मंत्री दोनों यू पी पी सी एस का इम्तिहान दे रहे है | राज्यपाल की सेटिंग अच्छी थी सो उसने हमेशा की तरह चुप्पे से परचा आउट करवा लिया और उत्तर भी मालूम कर लिया ...लगा दनादन साल्व करने लगा ....ज्यादा लिहो लिहो हुआ तो पेपर सेटर ने पूरा पेपर खुद ही आउट कर दिया ...ये साबित करने के लिए कि नजीब इसलिए पास हुआ क्योंकि उसने पूरा पर्चा सही सही साल्व किया था .......विश्वास न हो तो देख लो ...इसमें सब नोटिफाइड है ........
अब पेपर सेटर को क्या मालूम कि नजीब को पास कराने के लिए उसकी तो वाट लग गई ...मने क्लीयर हो गया कि नजीब नही बल्कि पेपर सेटर ही परदे के पीछे अपने आदमी को एक तरह से डिक्टेट कर रहा था ........
इस विवाद से हमे यह सबक मिलता है कि बंदर के हाथ मे उस्तरा नही देना चाहिये वरना वह अपनी ही नाक काट लेता है ...

१५३ / २३.५.१५

यक्ष -
वामपंथी दलों का जनाधार लगातार सिकुड रहा है | कांग्रेस से गठबन्धन के जाहिर नुक्सान से उन्हें क्या सबक मिला है ? अब आगे ये क्या करंगे ?
युधिष्ठिर -
वामपंथी दलों को इस से दो महत्वपूर्ण सबक मिला है |
१. कि उन्हें बाहर से समर्थन नही करना चाहिये |
२. कि उनके नारे एकेडमिक ज्यादा थे लिहाजा उसमे अपील की कमी थी और वो लोगों को प्रभावित नही कर पाए ......
इस सबक के मद्देनज़र उन्होंने अपनी नीति और नारे दोनों बदलते हुए तय किया है ...
१ कि अब वे सरकार में शामिल होंगे
२. कि अब उनका नारा होगा '' सौ सौ जूता खाय / तमाशा घुस के देखेंगे ''

१५२ / २३.५.१५

यक्ष - मोदी जी के ऊपर सबसे बड़ा एहसान किसने किया है ?
युधिष्ठिर - राजीव गांधी ने .....
यक्ष - वो भला कैसे ?
युधिष्ठिर - घर घर टेलीविजन पहुंचा के , वरना मोदी जी के विजन का क्या होता .....