सोमवार, 18 जनवरी 2016

१४१/ १८.५.१५

यक्ष -
अरुणा शानबाग की त्रासदी का उजला पक्ष क्या है ?
युधिष्ठिर -
अरुणा शान बाग तो असंख्य यौन हिंसा पीड़ितों की जमात में एक संख्या मात्र ही थी मगर , अरुणा शानबाग त्रासदी का उजला पक्ष तो के ई एम हस्पताल की वे गुमनाम नर्सें है जिन्होंने उसे अपनी औलाद से बढ़कर पाला पोसा , उसकी देखभाल की , हस्पताल प्रशासन की उसे निकालने की कोशिशों को नाकाम किया , उसकी इच्छामृत्यु की याचिका का विरोध किया ......
यानि ऐसे काम किये , जो असाधारण थे | ऐसे काम जो परिहार्य थे ...यानि सेवा का दिखावा नही ...मनुष्य होने का सुबूत भर देना नही........ जिसे कहते हैं , असली इंसान होना ...वो हैं वे ..
हम , जो एक सनसनीखेज खबर में दिलचस्पी रखते है और हर खबर में कोई चेहरा ढूंढते है , सो हिंसा जो असाधारण हो ,जुल्म जो असाधारण हो तिस पर इसका कोई चेहरा भी हो , तो क्या बात है .......
परन्तु मानवता जो असाधारण हो उसके प्रति जरा चुप ही रहते हैं ......क्योंकि उसका कोई एक चेहरा नही होता ....जो अलग से चमके | ये नर्सें असल में वो उजाला है जो आदमीयत की राह रोशन करता है ...अच्छा ही है कि ये उतनी चमकीली नही कि चकाचौंध पैदा करे ...

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